आजाद देश में किससे आजादी के नारे लगाए जा रहे हैं : रविशंकर

देशभर में इन दिनों अलग-अलग राज्यों में अपनी-अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन का दौर चल रहा है। खासकर, नागरिकता संशोधन कानून के संसद से पास होते ही पूर्वोत्तर समेत देशभर में इसके विरोध में आंदोलन ने एक अलग ही माहौल बना दिया है। अब लगता है कि केंद्र सरकार इससे आजिज होने लगी है। इससे परेशान तो है, पर वह सीधे तौर पर इसे उजागर होते नहीं दिखना चाह रही है। मंत्रियों के बयानों से इस बारे में सहज समझा जा सकता है।

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट कर लिखा कि हम आजकल कुछ जगहों पर  आजादी-आजादी  के नारे सुन रहे हैं। किससे आजादी मांगी जा रही है? लोग खुलकर सरकार की आलोचना करते हैं। वे चुनाव के जरिये किसी को भी चुन सकते हैं या नकार सकते हैं। उनमें से कुछ विश्वविद्यालयों का घेराव और पुलिस के खिलाफ नाराजगी भी जता चुके हैं। फिर किससे आजादी चाहते हैं?

वरिष्ठ भाजपा नेता ने एक कार्यक्रम में कहा कि आपकी आजादी का आलम यह है कि आप अपनी ही यूनिवर्सिटी का घेराव कर लेते हैं और अपनी ही पुलिस से झड़प तक कर लेते हैं। फिर आपको किस चीज से आजादी चाहिए। इस सवाल पर बहस होनी चाहिए।

आजादी के नारों से ‘खफा’ रविशंकर प्रसाद ने कहा कि नारे लगाने वाले प्रदर्शकारियों को यह तो पता है कि देश पहले से ही आजाद है, इसलिए इस तरह के प्रदशनों से कई सवाल खड़े होते हैं। यह सच है कि भारतीय संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी का प्रावधान है, लेकिन इसका दुरुपयोग करने पर अंकुश लगाने के प्रावधानों को भी हमें नहीं भूलना चाहिए।

बता दें कि पिछले दो-तीन महीनों से जेएनयू, जामिया, एएमयू और डीयू के तमाम कॉलेजों समेत देशभर बहुत से विश्वविद्यालयों समेत अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों में बड़ी तादाद में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किए हैं। इन प्रदर्शनों के दौरान बर्बर पुलिसिया कार्रवाई या गुंडई होने के विरोध में तो युवाओं का गुस्सा और अधिक फूट पड़ा है। इस गुस्से को ठंडा करने का तरीका फिलहाल सरकार के पास नजर नहीं आ रहा है।