अर्नब चैट गेट मामला राजद्रोह, दोषियों को इसकी सज़ा मिलनी चाहिए : कांग्रेस

पत्रकार अर्नब गोस्वामी का व्हाट्सएप चैट लीक मामला तूल पकड़ रहा है। इस मामले को उठाते हुए कांग्रेस ने बुधवार को मोदी सरकार पर जबरदस्त हमला किया है। कांग्रेस ने आज एक प्रेस कांफ्रेंस करके मांग की है कि इस मामले की जांच की जाए और वह इस मामले को संसद में उठाने जा रही है। पार्टी ने कहा कि रिपब्लिक टीवी’ के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी और टीवी रेटिंग एजेंसी बार्क के पूर्व सीईओ पार्थ दासगुप्ता के बीच व्‍हाट्सएप की कथित बातचीत राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल खड़े करती है।

मुंबई पुलिस ने पत्रकार अर्नब गोस्वामी की व्हाट्सएप की कथित चैट लीक की थी, जो लगभग 500 पन्नों की है। इनमें कई चैट अर्नब गोस्वामी की देश से जुड़े सुरक्षा मामलों की पूर्व जानकारी होने का संकेत देते हैं। कांग्रेस ने इसे गंभीर मसला बताते हुए इस सारे मामले की जांच की मांग की है।

प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस के सभी बड़े नेता गुलाम नबी आज़ाद, एके एंटनी, सुशील कुमार शिंदे, सलमान खुर्शीद आदि शामिल थे। बता दें चैट में बालाकोट स्ट्राइक को लेकर कुछ जानकारियां हैं, जिस पर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है और सवाल किया है कि अर्नब गोस्वामी को इस मुद्दे की जानकारी किसने दी ?

प्रेस कांफ्रेंस में पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने लीक चैट पर सवालिया निशान खड़े करते हुए कहा – ‘सैन्य अभियानों के बारे में संवेदनशील जानकारी लीक करना किसी देशद्रोह कार्य से कम नहीं है। इसमें शामिल लोगों को दंडित किया जाना चाहिए।’

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि जब देश 40 जवानों को खोने के गम में डूबा हुआ था,   कुछ लोग इसकी खुशियां मना रहे थे। कांग्रेस नेताओं ने कहा – ‘हम इस मुद्दे को संसद में उठाएंगे लेकिन अभी तक इस मुद्दे पर सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया है। देश जानना चाहता है कि सरकार इस पर क्या एक्शन लेगी।’

पार्टी ने कहा कि रिपब्लिक टीवी’ के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी और टीवी रेटिंग एजेंसी बार्क के पूर्व सीईओ पार्थ दासगुप्ता के बीच व्‍हाट्सएप की कथित बातचीत राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल खड़े करती है। एंटनी ने कहा कि पुलवामा के 40 शहीदों को लेकर जिस तरह ही भाषा का इस्तेमाल अर्णब और दासगुप्ता ने किया उसे लेकर मुझे गहरी पीड़ा और क्षोभ है। उन्‍होंने कहा – ‘मिलिट्री ऑपरेशन के बारे में एक पत्रकार को जानकारी होना गहरी चिंता की बात है क्‍योंकि ऐसे ऑपरेशंस अत्यंत गोपनीय होते हैं।  यह राजद्रोह है और इसके दोषियों को सज़ा मिलनी चाहिए।’

वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे ने इस मौके पर कहा – ‘यह बातचीत ऑफिशियल सीक्रेसी के नियम का उल्लंघन है। ये जर्नलिज़्म के नाम पर धब्बा है। इसकी जांच होनी चाहिए। हम ये संसद में उठाएंगे। सरकार को ऑफिशियल सीक्रेसी एक्ट के तरह जो कार्रवाई करनी चाहिए वो शुरू नहीं की है।’

पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्य सभा में कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा – ‘यह सब टीआरपी के लिए किया गया। टीआरपी से विज्ञापन आता है और विज्ञापन से पैसा। और ये आपराधिक कृत्य के तहत किया गया है। देश की सुरक्षा की क़ीमत पर टीआरपी के लिए किया गया। ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।’