अभी कश्मीर में है तनावपूर्ण खामोशी, सुधार के संकेत नहीं

बाजार और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान सुबह के वक्त कुछ देर खुलते हैं। लोग ज़रूरत की खरीदारी करते हैं और घंटे भर के भीतर सभी दुकानें दोबारा बंद हो जाती हैं। घाटी के ज्य़ादातर हिस्सों में सार्वजनिक वाहन सडक़ों से नदारद हैं हालांकि श्रीनगर के लाल चौक और जहांगीर चौक समेत शहर के कुछ इलाकों में निजी वाहन सडक़ों पर दौड़ते दीखते हैं।

कश्मीर में सरकार के तमाम दावों के विपरीत खामोशी है। दुकानें बंद हैं और स्कूल खुले होकर भी बिना बच्चों के हैं। सेब की फसल घरों में सड़ रही है क्योंकि आतंकी बाहर के व्यापारियों को निशाना बना रहे हैं। डर के कारण बाहर के व्यापारियों ने कश्मीर जाने से तौबा कर ली है।

पिछले दिनों एक और खबर आई कि लोगों से धारा 370 के पक्ष में न बोलने के लिए बांड पर दस्तखत करवाए जा रहे हैं जिससे कश्मीर के नागरिकों के अधिकार को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। इनमें ज्यादातर वो लोग हैं जो रिहा किये जा रहे हैं। प्रशासन भले इसे सही बता रहा हो, लोग इसे उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन बता रहे हैं।

जिन बड़े नेताओं को हिरासत में लिया गया था, उन्हें रहा करने को लेकर जारी चर्चाओं के हकीकत में बदलने का अभी भी इन्तजार है। कश्मीर में अनुच्छेद 370 के अधिकतर  प्रावधान निरस्त किए जाने के बाद से जनजीवन अभी तक ठप्प पड़ा है।

इसी 10 अक्तूबर से सरकार ने सैलानियों के कश्मीर जाने पर से पाबंदी उठाने का भी ऐलान किया लेकिन इसका कोई असर नहीं दिख रहा और सैलानी अभी भी कश्मीर में शांति का इन्तजार कर रहे हैं ताकि वहां जाने में किसी तरह का जोखिम न रहे।

कश्मीर में हालत ये हैं कि वहां बाजार और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान सुबह के वक्त कुछ देर खुलते हैं। लोग ज़रूरत की खरीदारी करते हैं और घंटे भर के भीतर सभी दुकानें दोबारा बंद हो जाती हैं। घाटी के ज्य़ादातर हिस्सों में सार्वजनिक वाहन सडक़ों से नदारद हैं हालांकि श्रीनगर के लाल चौक और जहांगीर चौक समेत शहर के कुछ इलाकों में निजी वाहन सडक़ों पर दौड़ते दीखते हैं।

राज्य प्रशासन की स्कूलों को खोलने की कोशिशें नाकाम रही हैं। माता-पिता बच्चों की सुरक्षा को आशंकित हैं। वे उन्हें स्कूल नहीं भेज रहे हैं। हालांकि कश्मीर के जानकारों का मानना है कि माता-पिता का बच्चों को स्कूल न भेजना उनके धारा 370 खत्म करने और उन्हें घरों में कैद कर दिए जाने के खिलाफ मूक प्रोटेस्ट है। आने वाले समय में इस विरोध के कमजोर होने की संभावना दिखाई नहीं देती।

दिलचस्प है कि इस स्थिति में भी प्रदेश प्रशासन बोर्ड की परीक्षाओं को निर्धारित समय पर कराने की तैयारी कर रहा है। ऊपर से सरकार वहां बीडीसी के चुनाव करवाने का भी दम भर रही है। यह कैसे हो पायेगा, अभी कहना मुश्किल है।

यह भी रिपोर्ट्स आई हैं कि सरकार किन्हीं कारणों से पकडे गए लोगों को रिहा कर रही है उनसे एक बांड पर हस्ताक्षर करवा रही है कि वे धारा 370 खत्म करने के खिलाफ नहीं बोलेंगे। घाटी में इस तरह की बात आने के बाद लोगों को और गुस्सा भर गया है। उनका कहना है कि यह उनके संबैधानिक अधिकार पर डाका है और इस तरह की चीजें करके हालत और खराब होंगे।

सरकारी कार्यालय खुले हैं और उनमें

उपस्थिति मिली-जुली है। यह रिपोर्ट लिखे जाने तक लैंडलाइन और पोस्टपेड मोबाइल फोन सेवाएं बहाल कर दी गई हैं लेकिन सभी इंटरनेट सेवाएं बंद हैं। तीन पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्लाह, उमर अब्दुल्ला और पीडीपी की महबूबा मुफ्ती जेल में बंद हैं। दूसरे कार्यकर्ता भी जेलों में हैं।

दिलचस्प यह है कि सांसद फारूक अब्दुल्ला को विवादास्पद जन सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में रखा गया है। इसे लेकर कश्मीर ही नहीं देश के कई बुद्धिजीवी भी सकते में हैं। ज्यादातर का मानना है कि हमेशा भारत के साथ खड़े रहे फारूक के साथ मोदी सरकार का यह सलूक स्थिति को और खराब करने में मदद करेगा। भले देश हित की बात करके मोदी सरकार कश्मीर से जुड़े अपने फैसलों को सही ठहराने की कोशिश कर रही हो, हकीकत यह है कि आने वाले समय में यह उलटे पड़ सकते हैं।

बहुत से जानकार मानते हैं कि घाटी की शांति बहुत कुछ बयान करती है। लोग यह मानते हैं कि देश की सरकार ने उनसे गलत किया है। सरकार के यह दावे भी सही प्रतीत नहीं हो रहे कि धारा 370 खत्म करने से वहां आतंकवाद खत्म हो जाएगा। करीब नौ से 10 लाख की सैनिक मौजूदगी के बावजूद वहां आतंकी घटनाएं हो रही हैं। पाकिस्तान की भूमिका भी खराब रही है और वह कश्मीर के लोगों के लिए घडय़ाली आंसू बहाकर वहां अभी भी आतंकियों को भेज रहा है। इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि आतंकवाद की गाज हमेशा कश्मीर की जनता पर गिरती रही है।

आतंकियों के निशाने पर सेब व्यापारी

कश्मीर में आतंकवादियों ने अब नई स्ट्रेटेजी अपनाकर बीते कुछ दिन से आतंकियों ने खासकर सेब व्यापारी और किसानों को निशाना बनाना शुरू किया है। कश्मीरी सेब का आजकल सीजन है लेकिन हालत ने सेब व्यापार की कमर तोड़ कर रख दी है।

आतंकियों ने पिछले एक पखबाड़े में ऐसे कई हमले किए गए हैं, जिनमें निशाना सेब व्यापारी रहे हैं। चाहे ट्रक ड्राइवर पर हमला हो या देश के दूसरे हिस्से से घाटी में जाकर काम कर रहा व्यापारी, वे सभी उनके निशाने पर रहे हैं।

पाकिस्तानी समर्थित आतंकियों की जम्मू-कश्मीर में शांति न बनने देने की रणनीति दिखती है। पिछले दिनों पंजाब के रहने वाले दो सेब व्यापारी जब जम्मू-कश्मीर पहुंचे, तो आतंकियों ने उनपर हमला कर दिया। जम्मू-कश्मीर के शोपियां में सेब व्यापारी चरणजीत सिंह, संजीव को आतंकियों ने गोली मारी और चरणजीत सिंह की मौत हो गई।

उनसे पहले शोपियां में ही ट्रक में सेब भरकर ले जा रहे राजस्थानी ट्रक ड्राइवर को आतंकियों ने अपना निशाना बनाया था। इस हमले में ट्रक ड्राइवर की मौत हो गई थी। इससे वहां हालात भी काफी तनावपूर्ण हो गए थे। एक बाग मालिक की पिटाई का मामला भी सामने आया था। पुलवामा में आतंकियों का छत्तीसगढ़ के एक मजदूर की गोली मारकर हत्या करना भी इसी कड़ी में दिखता है।