फ़रवरी 2020 के दिल्ली दंगे सुनियोजित थे: किताब

मदीहा रज़ा

दिल्ली दंगों के एक वर्ष बाद उन दंगों पर लिखी गई किताब ‘दिल्ली दंगे- साजिश का खुलासा’ का लॉन्च मंगलवार को दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब में किया गया। राजधानी में पिछले साल फरवरी महीने में हुए दंगों पर लिखी इस किताब में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 23 फरवरी 2020 से लेकर 26 फरवरी 2020 तक घटी घटनाओं का जिक्र किया गया है।
किताब में लिखा गया है कि किस तरह से सुनियोजित ढंग से देश की राजधानी को जलाने की तैयारी की गई थी। इस किताब के लेखक आदित्य भारद्वाज और आशीष कुमार अंशु हैं।
कॉल फॉर जस्टिस की तरफ से दिल्ली दंगों की बरसी पर एक दिन का कार्यक्रम आयोजन किया गया। जहां प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक को लान्च किया गया । इस कार्यक्रम के पहले सत्र का संचालन डॉ. जसपाल चौहान ने किया। जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा, अधिवक्ता नीरज अरोड़ा, पत्रकार आदित्य भारद्वाज शामिल रहे।
किताब के बारे में लेखक आदित्य भारद्वाज ने कहा – “किताब में आप को दिल्ली में हुए दंगों की साजिश का पता चलेगा, इस किताब में विस्तार से लिखा गया है कि कैसे दिल्ली में दंगे सुनियोजित तरीके से हुए” इन दंगों की पृष्ठभूमी पहले ही तैयार करली गई थी। पुलिस चार्जशीट में भी यही तथ्य सामने आ रहे हैं।
कॉल फॉर जस्टिस के संयोजक नीरज अरोड़ा ने दिल्ली में हुए दंगों की प्लानिंग के बारे में विस्तार से बताया। उनहोने दिल्ली दंगे और किसान आंदोलन को एक जैसा बताते हुए कहा कि दिल्ली दंगों और किसान आंदोलन के बीच काफी समानता है। दोनों में एक ही तरह का नेतृत्व काम कर रहा था।
मोनिका अरोड़ा ने कहा कि जिस तरह दिल्ली दंगे भड़काए गए। उसी तरह से अब कृषि कानूनों को लेकर भी किसानों को भड़काया जा रहा है।
पत्रकार आदित्य भारद्वाज ने बताया कि, वो खुद उस इलाके में रहते हैं जहां ये दंगे हुए थे। उनके अनुसार दंगों की प्लानिंग बहुत पहले ही हो चुकी थी। दंगा उस समय शुरू किया गया, जब घरों में पुरूष नहीं थे। जबकि जिन दुकानों और जगहों पर हमला किया जाना था, वो पहले से ही तय किया गया था। उसके लिए सारे हथियारों का बंदोबस्त भी किया गया था।
पुस्तक के अन्य लेखक वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप महापात्रा ने कहा कि झगड़े आचानक होते है पर इन झगड़ो की पृष्ठभूमि पहले ही तैयार कर ली गई थी। दिल्ली दंगों की साजिश एक अंतरराष्ट्रीय साजिश थी।
पुस्तक के अंग्रेजी वर्जन के लेखक मनोज वर्मा ने सड़को पर बैठकर अंदोलन करने का विरोध करते हुए कहा- कि लोकतंत्र में सबको अपनी बात कहने का और आंदोलन करने का पूरा अधिकार है, पर यह सही नही के लोग सड़क पर बैठ कर, रास्ते रोक कर अपनी बात मनवाये।
गौरतलब है कि दिल्ली में बीते वर्ष 23 फरवरी को हुई हिंसा में 581 लोगों के घायल होने की और 53 लोगों की मौत की जानकारी है। इन दंगो मे शामिल 755 लोगों के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और 1818 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है।