प्रधानमंत्री को लेकर विकट कांव कांव मची है। प्रधानमंत्री हैं, पर पीएमओ में कुछ काम नहीं हो रहा है। मतलब पीएम पीएम हैं या नहीं, इस पर विकट डाऊट मचे हैं। मैंने एक सीनियर जर्नलिस्ट को पकड़ा और उससे इस बारे में दरियाफ्त की।
सर, पीएम लगता है कि पीएम नहीं रहे। लेफ्ट एक दिन में पचास बार धमकी देता था, वह अब प्रति दिन एक धमकी के लेवल पर आ गये हैं, मतलब पीएम को अब पीएम ना माना जाये-मैंने अपनी राय रखी।
नहीं ऐसा नहीं है। लेफ्ट ने सारे मीडिया को इंस्ट्रक्शन दे रखे हैं, उनकी धमकी को स्टेंडिंग धमकी माना जाये और हर घंटे पर धमकी की खबर को दिखा दिया जाये। वो तो मीडिया वाले ही कचुआ गये हैं, सो दिखाते नहीं हैं-जर्नलिस्ट ने बताया।
देखिये, एक जमाने में पीएम राष्ट्र के नाम संदेश जारी करते थे, तो पता चलता रहता था कि पीएम हैं। बाकायदा हैं। अब तो प्रधानमंत्री के संदेश भी टीवी पर ना आते, इसका मतलब हम यह मान ले कि पीएम पीएम नहीं हैं-मैंने पूछा।