हरियाणा में माफिया का आका कौन?

सरकार और पुलिस को सीधी चुनौती दे गये डीएसपी को डंपर से कुचलने वाले माफिया

हरियाणा के नूह ज़िले के पचगाँव में बेख़ौफ़ अवैध खनन माफिया ने डंपर से पुलिस उप अधीक्षक (डीएसपी) की कुचलकर कथित हत्या कर दी। नूह ज़िले के पचगाँव में अरावली पहाडिय़ों पर अवैध खनन की सूचना के बाद डीएसपी सुरेंद्र बिश्नोई तीन पुलिसकर्मियों के साथ दबिश देने गये थे। हत्या की इस कथित साज़िश में माफिया की वहशत का शिकार होने से तीन अन्य पुलिसकर्मी बाल-बाल बचे। डीएसपी सुरेंद्र सिंह बिश्नोई की डंपर से कुचलकर की जाने वाली इस कथित हत्या को क़ानून और पुलिस को सीधी चुनौती देने वाली घटना माना जा सकता है। इसी वर्ष अक्टूबर में सेवानिवृत्त होने जा रहे बिश्नोई की ड्यूटी के दौरान हत्या की वजह राज्य में अवैध खनन और बेख़ौफ़ खनन माफिया ही हैं। इसे राज्य सरकार की नाकामी और सर्वोच्च न्यायालय के कड़े आदेशों की पालना में कोताही माना जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने घटना की न्यायिक जाँच के आदेश दिये हैं। साथ ही परिवार को एक करोड़ रुपये की आर्थिक मदद और एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा की है। लेकिन क्या इससे सरकार अपनी ज़िम्मेदारी से मुक्त हो गयी? भविष्य में ऐसी घटना और न हो इसके लिए अवैध खनन पर पूरी तरह से रोक लगाने की ज़रूरत है। सरकारी दस्तावेज़ों में तो अरावली क्षेत्र में खनन का काम बन्द है; लेकिन आपसी मिलीभगत से यह धंधा धड़ल्ले से चल रहा है। ज़ाहिर है इस अवैध खनन को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। पचगाँव में किसी सरकारी कर्मचारी की हत्या का चाहे यह पहला मामला हो; लेकिन इससे पहले अवैध खनन माफिया के लोगों ने सरकारी टीमों को मौक़े से भागने पर भी मजबूर किया है।

पहले भी इसी नूह ज़िले में जाँच के दौरान एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के क़ाफ़िले के वाहन पर डंपर से भारी पत्थर गिरा दिये थे। इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ; लेकिन सरकारी वाहन क्षतिग्रस्त हो गया था। पुलिस ने इस मामले में हत्या के प्रयास में मुक़दमा दर्ज किया है। यमुनानगर में वर्ष 2020 में एक ऐसा ही मामला हुआ, जिसमें जाँच करने गये प्रशासनिक अधिकारी की टीम पर खनन माफिया के लोगों ने हमला कर दिया।

अवैध खनन को रोकने का ज़िम्मा खनन और भूगर्भ विभाग का होता है। कई बार शिकायत मिलने पर इनका दल (टीम) मौक़े पर जाता है; लेकिन वहाँ उनका मुक़ाबला हथियारबंद लोगों से हो जाता है, और मजबूरन बिना कार्रवाई के आना पड़ता है। ऐसी घटनाओं के बाद विभाग पुलिस दल को साथ लेता है। पचगाँव की घटना निंदनीय है। लेकिन इसमें कहीं-न-कहीं पुलिस की भी चूक मानी जा सकती है। अवैध खनन की सूचना पक्की थी, तो डीएसपी सुरेंद्र बिश्नोई का केवल तीन लोगों के साथ वहाँ जाना ठीक नहीं था। पर्याप्त पुलिस बल होता, तो यह घटना नहीं होती। पुलिस टीम ने मामले को हल्के में लिया, जिसका बड़ा ख़ामियाज़ा सामने आया।

बिश्नोई ज़िले के तावड़ू में तैनात थे और अवैध खनन रोकने की समिति के सदस्य होने के नाते उनकी ज़िम्मेदारी भी थी। ज़िले के पंडाला, ककरोला, बड़ गुज्जर और तावड़ू के अरावली क्षेत्र में अवैध खनन ख़ूब होता है। डंपर का नंबर स्पष्ट तौर पर न दिखने या बिना नंबरों के डंपर और अन्य वाहन इस धंधे में लगे हैं। पत्थरों से लदे ये वाहन क्रशर जोन में या फिर सीधे निर्माण क्षेत्र में जाते हैं। जब मेवात के इलाक़े में खनन पर पूरी तरह से रोक के आदेश हैं, तो पत्थरों का अवैध खनन कैसे हो रहा है? देर रात या सुबह जल्दी ऐसे वाहनों की भरमार देखी जा सकती है। पुलिस ने पचगाँव के ही छ: डंपरों को ज़ब्त किया है, जो इसी काम में लगे हुए हैं।

खनन के लिए प्रतिबंधित अरावली क्षेत्र में यह काम क्या डंपर चालक, ख़लासी या मज़दूर टाइप के लोग नहीं कर रहे; बल्कि समाज के सफ़ेदपोश लोग करा रहे हैं। डंपर चालक, ख़लासी या मज़दूर तो काम के बदले वेतन पाते हैं। ज़्यादातर ऐसे लोग ग़ुरबत में ज़िन्दगी बिता रहे हैं। डीएसपी सुरेंद्र बिश्नोई को रौंदने वाले डंपर के चालक शब्बीर उर्फ़ मित्तर और ख़लासी इक्कर को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया है। घटना के दौरान डंपर पर चार और लोग भी थे। पुलिस उन्हें भी गिरफ़्तार कर लेगी। न्यायालय दोषियों को दण्डित भी करेगा; लेकिन क्या इससे अवैध खनन का यह काला कारोबार रुक जाएगा? हत्या की घटना के बाद इस क्षेत्र में भले कुछ समय के लिए काम थम जाए, पर बाद में यह फिर उसी तरह से जारी रहेगा; जैसा अब तक चलता आ रहा है।