सीमा, सुरक्षा और सियासत

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पहले 2008 के दिल्ली बम धमाकों का आरोपित सलमान, फिर पूर्व कश्मीरी आतंकवादी लियाकत, उसके बाद लश्कर का बम एक्सपर्ट अब्दुल करीम टुंडा और फिर इंडियन मुजाहिदीन का उपसंस्थापक यासीन भटकल और उसका साथी असदुल्ला अख्तर उर्फ हड्डी. इन सभी को भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने हाल के समय में भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया है. दरअसल कुछ साल पहले तक सिर्फ तस्करी के लिए इस्तेमाल होने वाली भारत-नेपाल सीमा अब आतंकियों की भी पसंद बन गई है. इस खतरे को भांपते हुए भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने हाल-फिलहाल नेपाल में अपने संबंधों को पहले से बेहतर किया है. इसके नतीजे में उन्हें कई सफलताएं भी मिली हैं. यह अलग बात है कि वोटों की सियासत इस कवायद की हवा निकालने में लगी है.

नेपाल के साथ भारत के विशेष संबंध का अगर आतंकी फायदा उठा रहे हैं तो सुरक्षा एजेंसियों को भी इस खास रिश्ते का फायदा मिलता है. दरअसल यही इकलौता पड़ोसी मुल्क है जहां जाने के लिए सीमाएं पूरी तरह खुली हैं. न तो पासपोर्ट की जरूरत है और न वीजा की.  इसलिए आतंकियों के लिए नेपाल में आसानी से दाखिल होकर शरण लेना जितना सरल है उतना ही आसान भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए वहां से अपने शिकार को भारत लाना है.

नेपाल आतंकियों की पसंद क्यों बन गया है, इसका खुलासा खुद पकड़े गए आतंकवादियों ने ही किया है. उत्तर प्रदेश एटीएस ने इंडियन मुजाहिदीन यानी आईएम के आतंकवादी सलमान की गिरफ्तारी को उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले से लगने वाली नेपाल की सीमा से दिखाया था. एटीएस के सूत्रों के मुताबिक पूछताछ के दौरान 21 साल के सलमान ने बताया कि 2008 में दिल्ली के बाटला हाउस कांड के बाद वह भाग कर मुंबई गया और वहां आजमगढ़ से ताल्लुक रखने वाले एक राजनीतिक पार्टी के नेता के घर पर रुका. इसके बाद वे सभी सीधे नेपाल पहुंचे. इसके बाद उन्होंने नेपाल का पासपोर्ट और नागरिकता हासिल करने का जुगाड़ किया. एटीएस सूत्रों के मुताबिक उनका यह काम 50 हजार रु में हो गया. 19 सितंबर, 2008 को दिल्ली के बाटला हाउस इलाके में दिल्ली पुलिस के साथ मुठभेड़ में उसी महीने हुए दिल्ली बम धमाकों के दो साजिशकर्ता मारे गए थे जबकि दो फरार हो गए थे जिन्हें बाद में गिरफ्तार किया गया. इस मुठभेड़ में पुलिस टीम की अगुवाई कर रहे इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की भी मौत हुई थी.

नेपाल जाने वालों में सलमान इकलौता नहीं था. बाटला हाउस कांड के बाद जब आईएम नाम के आतंकवादी संगठन का चेहरा खुल कर सामने आया तो हाल ही में पकड़े गए असदुल्ला, डाक्टर शाहनवाज, मोहम्मद साजिद सहित कुछ और लोग जो आईएम से जुड़े थे, उन सभी ने नेपाल में शरण ली थी. एटीएस सूत्रों के मुताबिक सलमान ने खुलासा किया है कि सबके पासपोर्ट, नागरिकता और वीजा की व्यवस्था नेपाल में आसानी से हो गई. इन लोगों में से कुछ नेपाल से ही खाड़ी देशों की तरफ निकल गए और कुछ बांग्लादेश होते हुए पाकिस्तान चले गए.

जिस सलमान ने पकड़े जाने के बाद इन बातों का खुलासा किया, उसकी तलाश 2008 में दिल्ली में हुए सिलसिलेवार धमाकों के मामले में थी. बाटला हाउस कांड के बाद वह नेपाल होते हुए पाकिस्तान चला गया था. सूत्र बताते हैं कि 2010 में वह फिर से नेपाल लौटा था. 2008 से 2010 के बीच खुफिया एजेंसी आईबी लगातार कुछ संदिग्ध नंबरों की निगरानी कर रही थी. इसी में इस बात का खुलासा हुआ कि सलमान नेपाल के सुनसरी जिले में शरण लिए हुए है. सटीक सूचना के आधार पर आईबी ने नेपाल पुलिस को विश्वास में लिया और उसकी निगरानी शुरू कराई. इसके बाद ही आईबी और उत्तर प्रदेश की एटीएस ने उसे नेपाल सीमा से लगे बढ़नी कस्बे से पकड़ा.

सलमान की तरह ही डॉक्टर शहनवाज आलम का भी नाम बाटला हाउस कांड के बाद सामने आया था. बिहार के सिवान जिले से बीयूएमएस करने के बाद शहनवाज लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में काम कर रहा था. अचानक बाटला हाउस के बाद वह गायब हो गया. सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्र बताते हैं कि गायब होने के बाद शहनवाज भी सीधे नेपाल गया था जहां से वह दुबई चला गया था. आईबी के सूत्र बताते हैं कि इस बात की पूरी संभावना है कि डॉक्टर फिलहाल पाकिस्तान में ही हो.

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