वायु प्रदूषण से कम घातक नहीं मास्क का लगातार या ग़लत उपयोग
देश में कोरोना वायरस की रफ़्तार भले ही कम हुई है; लेकिन कोरोना की तीसरी लहर का ख़तरा अभी भी बना हुआ है। इसके चलते दिल्ली जैसे महानगरों में मास्क से अभी भी लोगों का पीछा नहीं छूटा है। बताते चलें जब देश में कोरोना वायरस की पहली लहर मार्च, 2020 में आयी थी, तब मास्क को आनिवार्यता के तौर पर लागू किया गया। तबसे अधिकतर शहरों के लोग लगातार मास्क लगाने को मजबूर हैं। हालाँकि कई प्रदेशों में लोग मास्क नहीं लगा रहे हैं;
लेकिन दिल्ली में यह अभी भी अनिवार्य बना हुआ है। लेकिन लगातार मास्क लगाने से स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव भी पड़ रहा है।
हालाँकि डॉक्टर्स कहते हैं कि कोरोना वायरस के साथ-साथ अन्य कई बीमारियों और वायु प्रदूषण से बचने के लिए मास्क ज़रूरी है। इससे कई तरह की परेशानियों से बचा जा सकता है। लेकिन यह भी सच है कि लगातार मास्क लगाये रखने से ज़रूरत के हिसाब से ऑक्सीजन शरीर में नहीं पहुँच पाती। यानी दोनों तरह से मुसीबत है, अगर मास्क नहीं लगाया तो मुश्किल और अगर नहीं लगाया, तो भी मुश्किल। देश के अधिकतर राज्यों में जागरूकता के अभाव और लापरवाही के कारण लोगों में आम धारण ये बन चुकी है कि मास्क लगाने की अब ज़रूरत नहीं है, क्योंकि कोरोना चला गया है। लेकिन सच्चाई तो यह है कि कोरोना वायरस अभी गया नहीं है और अगर लापरवाही बरती गयी, तो निश्चित तौर पर कोरोना वायरस फिर से बढ़ सकता है। अब जहाँ लोग मास्क लगा रहे हैं, वहाँ भी लोगों को ख़तरा है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के पूर्व संयुक्त सचिव डॉक्टर अनिल बंसल का कहना है कि मास्क को अगर सही से नहीं लगाया जाए, तो यह भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। देखा गया है कि दिल्ली जैसे शहर में ज़्यादातर लोगों को दमा और साँस सम्बन्धी बीमारियाँ हैं। इसके कारण वे ज़्यादा समय तक सार्वजनिक स्थानों पर मास्क नहीं लगा पाते हैं और मास्क को नाक के नीचे लटका कर रखते हैं, जिससे संक्रमण (इंफेक्शन) फैलने का ख़तरा बना रहता है। डॉक्टर बंसल का कहना है कि कई लोग तो एक ही मास्क को कई-कई दिनों तक इस्तेमाल करते हैं, जिससे संक्रमण होने का ज़्यादा ख़तरा रहता है। जागरूकता के अभाव में कई लोग तो बिना धुले या ज़मीन पर गिरे मास्क को भी मुँह पर लगा लेते हैं, जो सबसे ज़्यादा हानिकारक होता है। ऐसे में दो तरह से मास्क भी वायु प्रदूषण से कम घातक नहीं होता। एक तो लगातार मास्क लगाये रखना और दूसरा लगातार एक ही मास्क का इस्तेमाल करना, ख़ासकर हर रोज बिना धोये और बहुत दिनों तक इस्तेमाल करना।
इधर हर साल की तरह वायु प्रदूषण इस बार भी चरम पर रहा है। डॉक्टर बंसल का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के कारण दीपावली के बाद से धुन्ध-ही-धुन्ध छायी रही है, जिसके चलते बच्चों से लेकर बुज़ुर्ग तक साँस लेने में दिक़्क़त महसूस कर रहे हैं। क्योंकि हवा में जब प्रदूषण फैलता है, तो फेफड़ों तक हवा में हानिकारक तत्त्व सीधे जाते हैं, जिससे फेफड़े काफ़ी कमज़ोर हो जाते हैं। कोरोना वायरस का सीधा असर भी फेफड़ों पर ही पड़ा है। देश में अगर सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्या फेफड़ों की बीमारी के रूप में सामने आयी है। ऐसे में मास्क लगाना बहुत ज़रूरी हो जाता है।