शादी के लिए धर्मांतरण

मुस्लिम युवकों से विवाह करने वाली कुछ हिन्दू युवतियों पर धर्मांतरण के लिए डाला जाता है दबाव!

देश में सख़्त क़ानून के बावजूद धर्मांतरण के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। भले ही मुस्लिम बुद्धिजीवी यह मानते हैं कि इस्लाम इस तरह की हिंसा और विवाह के लिए धर्मांतरण की इजाज़त नहीं देता; लेकिन कुछ मौलवी ऐसी गतिविधियों में लिप्त हैं। ये मौलवी हिन्दू युवतियों द्वारा मुस्लिम युवकों से विवाह करने के पहले अथवा बाद में उन पर धर्मांतरण के लिए ज़ोर देते हैं और इसका विरोध करने पर उन पर क्रूर अत्याचार करने की भी सलाह देते हैं। हो सकता है कि यह व्यापक स्तर पर न होता हो; लेकिन दो मौलवियों से ‘तहलका’ की बातचीत ज़ाहिर करती है कि अंतर्धार्मिक विवाह यानी मुस्लिम युवक से शादी करने के बाद कुछ हिन्दू युवतियों की राह आसान नहीं होती। तहलका एसआईटी की जाँच रिपोर्ट :-

‘शादी करने से पहले हिन्दू लडक़ी का धर्म इस्लाम में परिवर्तित कर दो। शादी के बाद अगर लडक़ी इस्लाम छोडक़र अपने हिन्दू धर्म में वापस चली जाती है, तो पहले विनम्रता से उसे ऐसा न करने के लिए कहें। अगर वह नहीं सुनती है, तो उसे थप्पड़ से समझाएँ। उसे इस तरह पीटें कि उसके शरीर से ख़ून न बहे। उसके शरीर पर थप्पड़ का कोई निशान नहीं रहना चाहिए, और उसकी हड्डियाँ नहीं टूटनी चाहिए। यदि आप घरेलू हिंसा के लिए पुलिस कार्रवाई से बचना चाहते हैं, तो आपको अपनी पत्नी के शरीर पर हिंसा का कोई सुबूत नहीं छोडऩा चाहिए।’ -मौलाना मोहम्मद मुक़ीम ने यह बात ‘तहलका’ के रिपोर्टर से कही। ‘तहलका’ रिपोर्टर ने मुस्लिम के रूप में ख़ुद को पेश करते हुए मौलाना मोहम्मद मुक़ीम से अपने 29 वर्षीय काल्पनिक भतीजे के एक हिन्दू लडक़ी से उसकी मर्ज़ी से शादी (प्रेम विवाह) करने की इच्छा को ज़ाहिर करते हुए एक काल्पनिक चरित्र के रूप में उनसे सम्पर्क किया था, जिसके जवाब में मौलाना मुक़ीम ने रिपोर्टर को यही सलाह दी। मदरसे में अपनी वर्तमान नौकरी में आने से पहले मौलाना मुक़ीम उत्तर प्रदेश के एक शहर में एक मस्जिद के इमाम के रूप में काम कर रहे थे।

मौलाना मुक़ीम ने कहा- ‘उसे पीटने के बाद भी, यदि आपकी पत्नी हिन्दू धर्म का पालन करना जारी रखती है और इस्लाम में वापस नहीं आती है, तो आप उसे शरिया अदालत में ले जाएँ, जहाँ उसका धर्मांतरण कराया गया था। उन्हें बताएँ कि लडक़ी शादी के बाद हिन्दू धर्म में वापस चली गयी है। शरिया अदालत के सदस्य उसे ऐसा न करने के लिए कहेंगे। अगर वह उनकी भी नहीं सुनती है, तो शरिया अदालत उन्हें एक-दूसरे को तलाक़ देने के लिए कहेगा।’

दरअसल भारत के कई राज्यों के धर्मांतरण विरोधी क़ानून पारित करने के बाद ‘तहलका’ ने मौलाना मुक़ीम से सम्पर्क किया। लेकिन नये धर्मांतरण विरोधी क़ानून के तहत, अंतर्धार्मिक जोड़ों को अब शादी करने से पहले एक ज़िला अधिकारी को दो महीने का समन (नोटिस) देना होगा। वर्तमान में विशेष विवाह अधिनियम-1954 के तहत, जो भारत में अंतर्धार्मिक विवाहों को नियंत्रित करता है; जोड़ों को 30 दिन का नोटिस देना होगा। नये क़ानून में आपराधिक पहलू भी हैं कि यदि एक पति या पत्नी को अपना धर्म बदलने के लिए मजबूर करने के लिए शादी का उपयोग करने का दोषी पाया जाता है, तो उसमें 10 साल तक की जेल की सज़ा शामिल है। माता-पिता, भाई-बहन और कोई भी रिश्तेदार विवाह और गोद लेने से धर्मांतरण के ख़िलाफ़ शिकायत कर सकते हैं। ऐसे विवाहों को निरस्त भी किया जा सकता है। यह साबित करने के लिए कि धर्मांतरण मजबूर करके नहीं किया है, इसके सुबूत देने का ज़िम्मा धर्मांतरण करने वाले व्यक्तियों या जो लोगों को धर्मांतरण के लिए परामर्श देते हैं; उनका होता है।

भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण विरोधी क़ानून पारित होने के बाद भी मौलाना मुक़ीम जैसे लोग हैं, जो धर्मांतरण पर अपने फ़ैसलों को सही समझते हैं। इसी वास्तविकता की जाँच ‘तहलका’ ने की। मौलाना मुक़ीम ने तो सारी हदें पार कर दीं। उन्होंने रिपोर्टर को सलाह दी कि यदि उसकी पत्नी इस्लाम धर्म अपनाने और उससे शादी करने के बाद अपने हिन्दू धर्म में वापस जाती है और इस्लाम धर्म छोड़ देती है, तो उसे मारो। उसे इस्लाम में लौटने के लिए मजबूर करो। और अगर वह फिर भी ऐसा नहीं करती है, तो तलाक़ ही एकमात्र विकल्प है।

रिपोर्टर : आप कह रहे हैं न! अगर वह अपने मज़हब पर नहीं क़ायम रहती है और हिन्दू धर्म पर चली जाती है; इस्लाम पर नहीं रहती है…।

मुक़ीम : हाँ।

रिपोर्टर : लडक़ा पहले उसे समझाये, फिर तमाचा मारे?

मुक़ीम : हाँ।

रिपोर्टर : अगर तमाचा मारे, तो वह थाने में इल्जाम लगा सकती है।

मुक़ीम : हाँ।

रिपोर्टर : …कि मेरे साथ मार-पीट की है। डोमेस्टिक वायलेंस हुआ है।

मुक़ीम : तमाचा? …नहीं उसमें यह एहतियात है। समझाएँगे, तब कि तमाचा ऐसा मारना कि चूड़ी टूट के हाथ में ख़ून न निकले। या गाल पर न मारकर मुँह चाप जाए। या घूँसा न मारकर कि हड्डी टूट जाए। समझाएँगे कि तमाचा मरने से मतलब यह है कि हल्का-फुल्का मारना। उसे मारना, ऐसा मारना कि ख़ून न निकले। हड्डी न टूटे। निशान न पड़े। तुम्हारी शिकायतें करे, तो कोई निशान न दिखा सके।

रिपोर्टर : सुबूत न हो कोई?

मुक़ीम : सुबूत न हो कोई। हाँ ऐसा मत मारना। और फिर समझाएँ नहीं मान रही, हल्का-फुल्का मार दिया। शरिया अदालत जहाँ कलमा पढ़ाया गया है, वहाँ लेकर जाएँ। जी, मैंने निकाह किया। मुसलमान थी। अब यह नहीं मान रही। अब यह हिन्दू बने जा रही है। अब मुझे क्या करना है? तो वो समझाएँगे अपने तरीक़ै से। बात करेंगे उससे। वो मान जाती है, तो ठीक है। नहीं मानती, तो वो फिर अलग कर देंगे।

रिपोर्टर : तलाक़ हो जाएगा?

मुक़ीम : तलाक़ हो जाएगा।

रिपोर्टर : अगर लडक़ा-लडक़ी तलाक़ के लिए तैयार नहीं हुए?

मुक़ीम : वो तलाक़ हो जाएगा।

दरअसल ‘तहलका’ पत्रकार ने मौलाना मुक़ीम से मुलाक़ात पर अपने एक काल्पनिक भतीजे के अंतर्धार्मिक विवाह को लेकर सवाल किये। इस पर मौलाना मुक़ीम ने रिपोर्टर को नसीहत दी कि पहले हिन्दू लडक़ी को इस्लाम में धर्मांतरित करवाओ; अन्यथा उनकी शादी नाजायज़ मानी जाएगी।

मुक़ीम : बिलकुल साफ़ मना कर दिया। मुसलमान बच्चे का निकाह हिन्दू बच्चे से नहीं हो सकता। बिलकुल नहीं हो सकता। यह है कि लडक़ी दीन-ईमान में आये पहले।

मौलाना मुक़ीम ने ‘तहलका’ पत्रकार को हिन्दू लडक़ी को शादी के लिए इस्लाम में बदलने की तरकीब बतायी।

मुक़ीम : अच्छा यह तो जो हो गया, उसूल की बात है। दूसरी एक बात वो है, जो बहुत मुश्किल से मिलती है। तावीज़ के ज़रिये से। एक दुआ, झाड़ कुछ चीज़ करके उसे खिला दिया जाए।

रिपोर्टर : लडक़ी को?

मुक़ीम : हाँ; लडक़ी को। वो उधर माइल हो जाए।

रिपोर्टर : माइल हो जाए, मतलब?

मुक़ीम : उसकी तरफ़ झुक जाए। लडक़े की तरफ़।

रिपोर्टर : मतलब मुसलमान हो जाए?

मुक़ीम : हाँ।

 

मौलाना मुक़ीम ने हमें बताया कि वह हिन्दू लडक़ी को मेरठ में रहने वाले इस्लामिक स्कॉलर कलीम सिद्दीक़ी के पास धर्मांतरण के लिए भेजेगा। मुक़ीम के मुताबिक, कलीम सिद्दीक़ी के पास सरकार से लोगों का धर्मांतरण कराने की इजाज़त है। मुक़ीम ने कहा कि उन्हें लोगों के धर्मांतरण की अनुमति नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर कोई हिन्दू लडक़ी उसके पास धर्मांतरण के लिए आती है, तो वह उसकी अर्ज़ी नहीं मान सकता। और अगर उसने ऐसा करने की कोशिश की, तो उसे गिरफ़्तार कर लिया जाएगा।

यह पाठकों को याद दिलाने के लिए है कि इस्लामिक विद्वान मौलाना कलीम सिद्दीक़ी, जिनके बारे में मौलाना मुक़ीम धर्मांतरण के लिए बात कर रहे थे; को उत्तर प्रदेश आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने मेरठ से कथित रूप से सबसे बड़ा धर्मांतरण सिंडिकेट चलाने के आरोप में गिरफ़्तार किया था। ख़बर लिखे जाने तक वह जेल में बन्द था।

रिपोर्टर : लडक़ी को अगर हम आपके पास लेकर आएँगे, तो आप करवा देंगे लडक़ी को इस्लाम क़ुबूल?

मुक़ीम : मैं भेजूँगा मेरठ। मेरठ में फुलत में हमारे उस्ताद के उस्ताद हैं- कलीम सिद्दीक़ी साहब। जिनको सरकार से ऐसी परमीशन हासिल है। अगर कोई कलमा पढ़ सकता है, तो आप उसे पढ़ाएँ। उनको यह अनुमति है, सरकार से। यहाँ कोई लडक़ी मेरे पास आती है। मुझे अनुमति नहीं है। मुझे पुलिस वाले पकड़ लेंगे कि क्यों कलमा पढ़ा आपने। उनके पास अनुमति है।

रिपोर्टर : कलीम सिद्दीक़ी के पास?

मुक़ीम : कलीम सिद्दीक़ी साहब।

रिपोर्टर : मेरठ में कहाँ रहते हैं?

मुक़ीम : वह फुलत में रहते हैं?

 

मौलाना मुक़ीम ने अब बताया कि कैसे लव-जिहाद क़ानून की शुरुआत ने उत्तर प्रदेश में परिदृश्य को बदल दिया था।

मुक़ीम : अब यह भाजपा सरकार न हो। यह क़ानून पास करवा लेंगे। क़ानून पास हो गया, लव-जिहाद का…।

रिपोर्टर : ऑर्डिनेंस (अध्यादेश) लाये हैं यह।

मुक़ीम : अगर यह न पास हुआ होता, तो ये ही कलमा, यहीं पढ़वा देता। पकड़ो निकाह हुआ भाई। मैं ये कहता हूँ कि कलमा पढ़वाया है, निकाह पढ़वाया है। कोई दिक़्क़त नहीं, कुछ नहीं।

रिपोर्टर : आप ही करवा देते?

मुक़ीम : हाँ।

 

मौलाना मुक़ीम से पहली मुलाक़ात एक मस्जिद में हुई थी, जहाँ वह इमाम के तौर पर काम कर रहे थे। महीनों के बाद हम मौलाना मुक़ीम से फिर मिले, इस बार उनके नये कार्यस्थल पर, जो शहर के दूसरे इलाक़ै में स्थित है। दूसरी मुलाक़ात में मौलाना मुक़ीम ने हमें क़ानून की आँखों में धूल झोंककर एक हिन्दू लडक़ी से शादी करने के दो तरीक़ै बताये। उन्होंने कहा कि वह दोनों विकल्पों के लिए खुले हैं।

रिपोर्टर : कोर्ट मैरिज अपने-अपने मज़हब पर होगी?

मुक़ीम : हाँ।

रिपोर्टर : भाँजा हमारा मुस्लिम रहेगा, लडक़ी हिन्दू रहेगी?

मुक़ीम : अपने-अपने मज़हब पर।

रिपोर्टर : लेकिन आप तो कह रहे हो, वो शादी इस्लाम में जायज़ नहीं है?

मुक़ीम : कोर्ट में होने का मतलब सरकार की तरफ़ से सर्टिफिकेट है। लेकिन आपस में साथ रह सकते हैं। उधर से हमें सर्टिफिकेट मिल जाएगा। इधर हम उनका फ़ौरन निकाह करवा देंगे।

रिपोर्टर : उधर सर्टिफिकेट मिलेगा…।

मुक़ीम : इधर हम फ़ौरन निकाह करवा देंगे।

रिपोर्टर : निकाह और कन्वर्जन तो आप ही करवाएँगे?

मुक़ीम : हाँ।

रिपोर्टर : आप ही करवाएँगे?

मुक़ीम : हाँ।

मुक़ीम ने अब हमें दूसरा विकल्प दिया, जिसके तहत वह ख़ुद चुनिंदा लोगों की मौज़ूदगी में अज्ञात स्थान पर हिन्दू लडक़ी को चुपके से इस्लाम में परिवर्तित कर देंगे और निकाह कराएँगे।

मुक़ीम : ऐसे हो सकता है कि लडक़ा-लडक़ी एक जगह जमा हों, कहीं भी। वहाँ मैं पहुँच जाऊँ। वो मेरे पास आ गये लडक़ा-लडक़ी या मैं उनके पास चला जाऊँगा। फिर मैं उनके अपने हाथ पर हराब भरके उनको कन्वर्ट करवा दूँगा। जो इस्लाम के क़ानून हैं, फ़र्ज़ हैं, वो उनको बता दूँगा। क़ुबूल करवा दूँगा। और फिर वहीं निकाह पढ़वा दूँगा। और मैं जो लिखकर सर्टिफिकेट दूँगा, …मैंने तुम्हें कन्वर्ट (धर्मांतरित) कर लिया है और निकाह पढ़वा दिया। फिर जो है मेरी पकड़ है। तुमने कैसे पढ़ा निकाह इनका? तुमने कैसे सर्टिफिकेट दिया इसको?

रिपोर्टर : नहीं, ये आप दोनों तरीक़ै पर तैयार हैं?

मुक़ीम : हाँ।

मौलाना मुक़ीम ने अब हमें बताया कि एक मुस्लिम मौलवी धर्मांतरण और निकाह के लिए कितना शुल्क लेता है? वह उन्हें ‘वर्दी वाला’ कहते हैं।

मुक़ीम : जो वर्दी वाले होते हैं।

रिपोर्टर : जी?

मुक़ीम : जो वर्दी वाले होते हैं। जो दो नंबर कह लीजिए …11,000, कोई 21,000, 30,000 वो माँगते हैं।

रिपोर्टर : ये वर्दी वाले…? पुलिस वाले?

मुक़ीम : नहीं, नहीं। हमारी नीयत ख़राब हो जाती है भाई! काम तो कर देंगे। काम तो हो जाएगा। ख़र्चा इतना आएगा।

रिपोर्टर : आपको कितना नज़र कर दिया जाए?

मुक़ीम : वो आपकी मर्ज़ी है। मेरा कुछ नहीं है।

रिपोर्टर : फिर भी एक थोड़ा-सा आइडिया, अंदाज़ा?

मुक़ीम : कुछ नहीं।