विराट से उम्मीदें

क्या कोहली 100 शतक के पार जाकर तोड़ेंगे तेंदुलकर का रिकॉर्ड? टेस्ट क्रिकेट में दर्शकों की रुचि कम हो गयी है, जबकि अब एक दिवसीय मैच देखने भी स्टेडियम में अपेक्षाकृत कम दर्शक आने लगे हैं। ऐसे में क्या बल्लेबाज़ की बेहतर प्रदर्शन करने की प्रेरणा पर असर पड़ता है? यह अध्ययन का एक दिलचस्प विषय है। भले ताबड़तोड़ भीड़ सिर्फ़ टी-20 में ही दिखती हो। हाल के इन वर्षों को देखें, तो बल्लेबाज़ों के बल्ले से एक दिवसीय और टेस्ट के दोनों ही फॉर्मेट में ख़ूब रन और शतक निकले हैं। इतने कि क्रिकेट की दुनिया के कई बड़े रिकॉर्ड या तो टूट गये या ख़तरे में पड़ गये हैं। विराट कोहली को ही लें। कुछ महीने की ख़ामोशी के बाद उनका बल्ला जमकर बोल रहा है और इससे शतक भी ख़ूब निकल रहे हैं। किंग कोहली इतनी अच्छी फार्म हैं कि लाखों क्रिकेट प्रेमी पूछ रहे हैं कि क्या विराट महान् सचिन तेंदुलकर का 100 अंतरराष्ट्रीय शतक का रिकॉर्ड तोड़ देंगे? विराट कोहली के बल्ले की गूँज कह रही है कि वह ऐसा कर सकते हैं। देखें तो तेंदुलकर और विराट में एक अन्तर है। तेंदुलकर के शतक कहीं ज़्यादा पारियों में बने हैं, जबकि कोहली के उनसे कहीं कम पारियों में। ऐसे में यदि विराट और चार-पाँच साल क्रिकेट खेल लेते हैं तो उनके शतकों की संख्या आश्चर्यजनक आँकड़ा पार कर सकती है। अकेले जनवरी में ही यह कॉलम लिखने तक विराट एक दिवसीय और टेस्ट मैचों में 73 शतक बना चुके हैं। शतकों के इस सिलसिले की दौड़ लम्बी चली, तो रिकॉर्डों का महल तो खड़ा होना ही है। विराट को कई क्रिकेट प्रेमी रन मशीन कहते हैं। उनकी शतकों की भूख असीमित है। वह शानदार एथलीट हैं और अपनी ऊर्जा से मैदान में एक अलग माहौल बनाते हैं। टीम के खिलाड़ी उनसे प्रेरणा लेते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि विराट की तरह बनना खेल की सबसे बड़ी उपलब्धि होगी। हाल के महीनों में जब वह अपनी लय में नहीं थे, तब भी मैदान में उनकी ऊर्जा देखते बनती थी। इस मुश्किल दौर में भी उनका हर कैच और विकेट पर एग्रेशन के साथ जोश दिखाने वाला ट्रेड मार्क हमेशा जीवंत रहा। अब जबकि शतकों के मामले में वे तेंदुलकर के रिकॉर्ड 100 के आँकड़े की तरफ़ बढ़ते दिख रहे हैं, तब भी उन पर इसे लेकर कोई दबाव नहीं दिखता। हो सकता है वह इस लक्ष्य को दिमाग़ में ही न रखें हों, क्योंकि जैसा कि कोहली ख़ुद भी कहते हैं कि मैदान में उनकी नज़र कभी आँकड़ों पर नहीं रहती, बल्कि इस बात पर रहती है कि कैसे भारत को यह मैच जिताना है। उनकी इसी जज़्बे को उनके प्रशंसक प्यार करते हैं। सम्भव है रिकॉर्ड बनाना कोहली के लिए तेंदुलकर का रिकॉर्ड तोडऩा बिलकुल सम्भव है। तेंदुलकर और धोनी सहित कई बड़े खिलाड़ी 40 साल की उम्र तक देश के लिए खेलते रहे हैं, क्योंकि वह परफॉर्म कर रहे थे और फिट भी थे। विराट फिटनेस और वर्तमान फार्म में उनसे भी आगे दिखते हैं। ख़ुद विराट ने अभी तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से दूर जाने का कोई भी संकेत नहीं दिया है। इसकी ज़रूरत भी नहीं है, क्योंकि वह शानदार तरीक़े से खेल रहे हैं। एक मोटे अनुमान के अनुसार वह कम-से-कम पाँच-छ: साल और देश के लिए खेलने की क्षमता रखते हैं। विराट कोहली ने अंतरराष्ट्रीय करियर का 70वाँ शतक महज़ 31 साल की उम्र में बांग्लादेश के ख़िलाफ़ 2019 के कोलकाता टेस्ट में ही बना दिया था। लेकिन इसके बाद उनके 30 महीने बिना शतक के निकल गये। यहीं सारा खेल ख़राब हो गया। यहाँ तक कि कई विशेषज्ञ उन्हें रिटायर होने तक की सलाह देने लगे। नहीं तो जैसी उनकी फार्म चल रही थी, उसके हिसाब से वह अब तक 90 शतकों के आसपास होते। ख़ैर, यह अफ़सोस करने की चीज़ नहीं, क्योंकि किसी का समय हमेशा एक-सा नहीं रहता। खिलाड़ी की फार्म भी हमेशा एक-सी नहीं रहती और कोहली भी इस मानवीय चक्र के अपवाद नहीं। हाँ, उनके प्रशंसक और क्रिकेट के रिकॉर्डों में रुचि रखने वाले इस बात से सन्तुष्ट हो सकते हैं कि कुछ देरी से ही सही, विराट फार्म में लौट आये हैं और उनका पुराना रंग दिखने लगा है।