भर्तियों में देरी और रोज़गार माँगने के बदले युवाओं की पिटाई से खुल सकता है बड़े आन्दोलन का रास्ता
बिहार में रेलवे भर्ती के नतीजों में धाँधली के आरोपों के बाद शुरू हुआ छात्र आन्दोलन क्या देश भर में रोज़गार के मुद्दे को एक बड़े रूप में खड़ा कर सकेगा? यह अभी कहना मुश्किल है। लेकिन छात्रों / युवाओं ने जिस तरह इस मुद्दे को उठाने की हिम्मत दिखायी है और सत्ताधीशों ने इसे कुचलने की कोशिश की है, उससे यह तो साफ़ है कि चुनाव से ऐन पहले शुरू हुए इस आन्दोलन ने सत्ता में बैठे राजनीतिक दलों की नींद उड़ा दी है। फ़िलहाल यह रिपोर्ट लिखे जाने तक बिहार से शुरू हुआ छात्र विरोध उत्तर प्रदेश में भी पाँव पसार रहा है। हो सकता है कि विधानसभा चुनावों के बाद यह नये रूप में सामने आये और सरकारें इससे मुश्किल में पड़ती दिखें।
आन्दोलन बिहार में रेलवे भर्ती में नतीजों में धाँधली के विरोध में शुरू हुआ। ज़ाहिर है इससे पता चलता है कि किस स्तर पर भ्रष्टाचार योग्य उम्मीदवारों को उनके हक़ से वंचित कर रहा है। सबसे ख़राब बात यह रही कि रोज़गार का हक़ माँगने सडक़ों पर उतरे युवाओं को पुलिस ज़ुल्म का शिकार बनाया गया। उन्हें लाठियों से लहूलुहान करके उनकी आवाज़ दबाने की कोशिश की गयी।
आन्दोलन के बीच ही कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने इन छात्रों के प्रति अपना समर्थन ज़ाहिर किया। लेकिन मीडिया और बाक़ी राजनीतिक दल इस विरोध पर ख़ामोशी अख़्तियार किये रहे। दिन-रात राजनीतिक चाटुकारिता में मग्न मीडिया को यह कोई बड़ी ख़बर नहीं लगी, जबकि सच्चाई यह है कि यही इस देश के असली मुद्दे हैं। बिहार बन्द के दिन 28 जनवरी को जाकर राजनीतिक दलों ने छात्रों के नाम पर अपनी दुकान चमकाने की कोशिश की। जबकि आन्दोलन के दौरान जब छात्र सडक़ों पर पुलिस के हाथों लहूलुहान हो रहे थे, तब उनकी भूमिका शून्य ही थी।
छात्रों का कहना था कि उन्होंने 10 दिन तक लगातार ट्वीट किये। एक करोड़ ट्वीट हुए; लेकिन सरकार सोयी रही। इसके बाद हमें मजबूरी में सडक़ पर उतरना पड़ा। सरकार के इस मामले में समिति बनाने को भी छात्र शंका की दृष्टि से देखते हैं। उनका कहना है कि सरकार समिति बनाकर हमारे ग़ुस्से को ठंडा करना चाहती है, ताकि उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों के चुनावों पर असर न हो और बेरोज़गार शान्त रहें। हम सरकार की साज़िश समझ रहे हैं।
बिहार की राजधानी पटना और कई शहरों में ग़ुस्साये छात्रों के प्रदर्शन का असर उत्तर प्रदेश में भी दिखायी दिया है। कई स्थानों पर हिंसा हुई है। ट्रेनों को जलाया गया है। बड़ी संख्या में छात्र गिरफ़्तार किये गये हैं। उन पर पुलिस के लाठीचार्ज का सर्वत्र विरोध हुआ है। कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने छात्रों पर लाठीचार्ज के बाद इसकी कड़ी निंदा करते हुए छात्रों के समर्थन का ऐलान किया। छात्रों का ग़ुस्सा तब भडक़ा, जब 14 जनवरी को रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड (आरआरबी) ने नॉन टेक्निकल पॉपुलर कैटेगरी (एनटीपीसी) परीक्षा के नतीजे घोषित किये। उन्होंने नतीजों में बड़े पैमाने पर धाँधली के आरोप लगाये। बड़ी संख्या में छात्र इनके ख़िलाफ़ मैदान में उतर आये। छात्रों का आरोप था कि इन नतीजों में गड़बड़ी है और इसके चलते ऐसे छात्र बाहर हो जाएँगे, जिनके पास मेरिट है।