रहस्यमयी ग़ुब्बारे
अमेरिका ने दावा किया है कि चीन कई देशों की जासूसी कर रहा है
हाल में एक मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि चीन ने भारत और जापान सहित कई देशों में जासूसी ग़ुब्बारों के एक बेड़े को संचालित किया है। चीनी ग़ुब्बारों का यह मामला तब गर्म हुआ, जब अमेरिका और भारत में ये ग़ुब्बारे देखे गये। अमेरिका ने एक हफ़्ते में चार चीनी ग़ुब्बारे को निशाना बनाकर नष्ट कर दिये हैं। चीन का कहना है कि ये ग़ुब्बारे मौसम की जानकारी लेने से जुड़े हैं; लेकिन भारत सहित कई देश मान रहे हैं कि इनका मक़सद जासूसी रहा है।
अमेरिका के अधिकारियों ने बाक़ायदा अपने मित्र देशों और सहयोगियों को चीनी ग़ुब्बारों को लेकर अवगत कराया है। इनमें भारत भी शामिल है। उसने कुल जमा 40 दूतावासों के अधिकारियों को इस बारे में बताया है। इसे मामले की गम्भीरता का अहसास होता है। यह सही है कि अमेरिका और चीन के रिश्ते हाल में काफ़ी ख़राब हुए हैं। लेकिन यह भी सही है कि चीन के इरादों पर गहरी शंका पैदा हो रही है, क्योंकि जिन इलाक़ों में इन चीनी ग़ुब्बारों को देखा गया है, वह संवेदनशील प्रतिष्ठान हैं।
दिलचस्प यह भी है कि ये ग़ुब्बारे साधारण ग़ुब्बारे नहीं हैं। यह ख़ासे बजनी हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में मार गिराये गये चीनी ग़ुब्बारों का वज़न हज़ारों किलो था और पकड़े जाने पर उनमें ख़ुद को नष्ट कर देने के लिए विस्फोटक बँधा था। विशेषज्ञ दावा कर रहे हैं कि ये जासूसी ग़ुब्बारे हैं। चीन के संदिग्ध ग़ुब्बारे को फरवरी के पहले हफ़्ते अमेरिका ने अटलांटिक महासागर के ऊपर साउथ कैरोलिना के तट पर एक लड़ाकू विमान द्वारा नष्ट कर दिया था।
अमेरिकी अख़बार ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ की एक रिपोर्ट, जो अनाम रक्षा और ख़ुफ़िया अधिकारियों से बातचीत पर आधारित है में दावा किया गया है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) वायु सेना से संचालित इन जासूसी ग़ुब्बारों (जो वास्तव में निगरानी यान हो सकते हैं) को पाँच महाद्वीपों में देखा गया है। अख़बार ने एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी के हवाले से कहा कि ये ग़ुब्बारे पीआरसी के निगरानी बेड़े का हिस्सा हैं।
इन्हें निगरानी अभियान चलाने के लिए तैयार किया गया है। इस अधिकारी का कहना है कि चीन ये ग़ुब्बारे भेजकर अन्य देशों की संप्रभुता का उल्लंघन कर रहा है। हाल के वर्षों में अमेरिका के हवाई, फ्लोरिडा, टेक्सास और गुआम में चार ग़ुब्बारे देखे जाने की बात कही थी। पेंटागन ने तस्वीरें जारी कर दावा किया था कि फरवरी में देखे गये चीनी ग़ुब्बारों के अलावा बा$की तीन चीनी ग़ुब्बारे डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के दौरान देखे गये थे। बात सच निकली।
भारत पर भी नज़र
अमेरिका ही नहीं भारत पर भी चीनी जासूसी ग़ुब्बारों की नज़र है। अमेरिका के मोंटाना में जो जासूसी ग़ुब्बारा मार गिराया गया, उसके बाद कुछ हैरान करने वाली जानकारियाँ सामने आयीं। मसलन, यह ग़ुब्बारा अंडमान निकोबार से होकर गुज़रा था। जब यह जानकारी सामने आयी, तो रक्षा विशेषज्ञ परेशान हो गये। अंडमान निकोबार भारत के लिहाज़ से हिंद महासागर में रक्षा के लिए अहम रणनीतिक भूमिका निभाता है। वहाँ भारत की तीनों सेनाओं की मौज़ूदगी है। निश्चित ही यह माना जा रहा है कि चीन भारत की सेना की जासूसी भी कर रहा है।
बहुतों को जानकारी नहीं होगी कि अंडमान निकोबार कमांड इकलौती कमान है, जहाँ भारत की तीनों सेनाएँ मौज़ूद हैं। अंडमान भारत की दृष्टि से बहुत अहम द्वीप और मार्ग है, जहाँ से भारत का ज़्यादातर व्यापार होता है। चीन इस रास्ते को रोकने का षड्यंत्र करता रहा है, इसके बावजूद भारत ने कभी इस रास्ते से व्यापार बन्द नहीं किया।
भारत ने तीनों सेनाओं की एकीकृत कमान की शुरुआत साल 2001 में की थी। इसका मक़सद दक्षिण एशिया में भारत की रणनीतिक ज़रूरतों को ताक़त देना था। हाल के महीनों में देखा गया है कि चीन की नौसेना लगातार हिंद महासागर क्षेत्र में ख़ुद को काफ़ी सक्रिय। वहाँ कई बार चीनी पनडुब्बियाँ दिखी हैं। जिस तरह चीन हिंद महासागर में अपनी शक्ति बढ़ा रहा है उसे देखते हुए भारत ने इसे काउंटर करने के लिए मैरीटाइम सर्विलांस और क्षमताओं को बढ़ाया है।