योगी राज बनाम अपराध
अपराध को रोकने के लिए यदि अपराध का सहारा लेना पड़े, तो इसे उचित नहीं माना जा सकता। क़ानून को हाथ में लेने का अधिकार किसी को नहीं है। बुलडोजर नीति पर कुछ लोग यही कह रहे हैं। मगर कुछ लोग प्रसन्न हैं कि योगी राज में अपराधियों पर बुलडोजर चल रहा है। होली पर बुलडोजर बाबा से लेकर राम राज्य के गुणगान वाले गाने बजाकर ये लोग अति प्रसन्न हैं। मगर इन लोगों को यह ज्ञान नहीं है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जिस अपराध को समाप्त करने के लिए लगातार हुंकार भर रही है, वो अपराध अगर समाप्त हो रहा होता, तो हर दिन अपराधों के दर्ज़नों समाचार पत्रों की सुर्ख़ियाँ नहीं बन रहे होते।
जघन्य हत्याकांड
जौनपुर के सुजानगंज थाना क्षेत्र के लोहिंदा बाज़ार में घटी घटना ने किसका दिल नहीं दहला दिया होगा, जहाँ बदमाशों ने एक पंक्चर मिस्त्री की हत्या कर उसकी पत्नी की दोनों आँखें निकाल लीं। विवाद दुकान के सामने बोलेरो खड़ी करने को लेकर शुरू हुआ। पंक्चर जोडऩे वाले छोटे से दुकानदार कमालुद्दीन (45) ने बदमाशों से उसकी दुकान के आगे से बलेरो हटाने को कहा। बस बदमाशों ने योगी के राम राज का नमूना पेश करते हुए पहले दुकानदार की पिटाई शुरू कर दी, फिर उसे गोली मार दी।
इस बीच थोड़ी सी तू-तू, मैं-मैं हुई, जिसमें बीच-बचाव के लिए उतरी पंक्चर मिस्त्री की पत्नी की आँखें फोडऩे का घिनौना कृत्य करते हुए बदमाशों के हाथ नहीं काँपे और न बाज़ार में किसी की हिम्मत हुई कि वह बदमाशों का विरोध कर सके। इतने पर भी बदमाशों का जी नहीं भरा, तो उन्होंने पंक्चर मिस्त्री की आठ महीने की बेटी को उठाकर पटक दिया। प्रश्न यह उठता है कि कुछ दिन पूर्व माफ़िया को मिट्टी में मिलाने की घोषणा विधानसभा से करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ क्या इन बदमाशों को भी मिट्टी में मिलाएँगे?
सरकारी धमकी बना बुलडोजर
उत्तर प्रदेश में बुलडोजर क़ानून के चर्चे हैं। एक प्रकार से बुलडोजर सरकारी धमकी बन चुका है। प्रश्न यह उठता है कि क्या अब अपराध रोकने के लिए बुलडोजर कार्रवाई क़ानूनी रूप से उचित है? क्या अपराधियों के अतिरिक्त विरोधियों के घरों पर भी बुलडोजर चल रहा है? योगी आदित्यनाथ सरकार पर आरोप तो ऐसे ही लगते रहे हैं।
कुछ दिन पूर्व उमेश पाल हत्याकांड को लेकर प्रयागराज में गैंगस्टर अतीक अहमद और उसके साथी जफर की संपत्तियों पर बुलडोजर चलाया गया। इससे पहले भी सैकड़ों लोगों के घरों पर बुलडोजर उत्तर प्रदेश सरकार ने चला रखा है। आरोप है कि अपराधियों एवं आरोपियों के घर पर बुलडोजर चलाने को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार न्यायालय की अनुमति लेने की भी आवश्यकता नहीं समझती है। कुछ दिन पूर्व मुख्यमत्री योगी आदित्यनाथ के एक मंत्री जेपीएस राठौर ने भी अपराधियों को संकेतों में कानपुर के विकास दुबे कांड की याद दिलायी। उन्होंने चेतावनी की तरह उमेश हत्याकांड के आरोपियों का एनकाउंटर होने के संकेत दिए।
मंत्री राठौर ने कहा कि माफ़ियाओं के ठिकानों पर पुलिस के द्वारा दबिश दी जा रही है। इनको पाताल लोक से भी खोजकर लाएँगे। जब ये पकड़े जाएँ, तो गाड़ी में बैठते समय हाय तोबा न करें। ऐसा न हो कि ड्राइवर असंतुलित हो जाए और गाड़ी पलट न जाए। प्रश्न यह उठता है कि क्या अनर्गल भाषा के इस्तेमाल से अपराध रुक सकते हैं?
आपराधिक आँकड़े
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आये दिन प्रदेश में अपराधों के कम होने के दावे करके अपनी पीठ थपथपाते रहते हैं, मगर जब भी राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के आँकड़े सामने आते हैं, उन्हें ग़लत बताया जाता है। 2022 के राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के आँकड़ों की मानें, तो उत्तर प्रदेश में महिलाओं व बच्चों के प्रति अपराधों की संख्या बढ़ी है। हालाँकि महिला एवं साइबर अपराधों के आरोपियों से निपटने में उत्तर प्रदेश पुलिस का स्थान पहला है। वहीं सन् 2022 की अपेक्षा सन् 2019, 2020 एवं 2021 में अपराधों में कमी देखी गयी।