जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 जून को दिल्ली में अपने आवास पर जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ बैठक कर रहे थे, उसी दिन यह रिपोर्ट सामने आयी कि कश्मीर में इस साल के पाँच महीनों में सुरक्षा बलों के हाथों मारे गये आतंकवादियों में 56 फ़ीसदी स्थानीय थे। इससे संकेत मिलता है कि हाल के महीनों में कश्मीर के स्थानीय युवकों की आतंकी संगठनों में भर्ती बढ़ी है। पिछले साल 31 दिसंबर तक राज्य भर में मारे गये 203 आतंकियों में 166 स्थानीय और 37 पाकिस्तानी या अन्य विदेशी थे।
‘तहलका की जानकारी के मुताबिक, मोदी सरकार बैकडोर चैनेल्स के ज़रिये आतंकवाद, जम्मू-कश्मीर और अन्य मुद्दों को लेकर पाकिस्तान से बातचीत कर रही है और एनएसए अजीत डोवाल इसमें विशेष भूमिका निभा रहे हैं। भले प्रधानमंत्री की बैठक वाले दिन भारत की विदेश मंत्रालय ने कहा कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और पाकिस्तान से सम्बन्धों को लेकर हम पुराने रुख़ पर क़ायम हैं। भारत ने यह भी कहा कि बातचीत के लिए पाकिस्तान को आतंकवाद पर लगाम लगाना होगा। पाकिस्तान बातचीत के लिए माहौल बनाये। उधर भारत परदे के पीछे तालिबान से भी बात कर रहा है और उसका मक़सद दक्षिण एशिया में अपनी भूमिका को वृहद करना है।
उधर प्रधानमंत्री के जम्मू-कश्मीर के नेताओं को बैठक में बुलाने से यह संकेत भी मिलता है कि 5 अगस्त, 2019 को राज्य का विशेष दर्जा ख़त्म करके उसके दो हिस्से करने के बाद भी जम्मू-कश्मीर के मुख्य अनुच्छेद के राजनीतिक दलों, जिन्होंने मिलकर ‘गुपकारÓ के नाम से साझा राजनीतिक मंच बना लिया है, की प्रासांगिकता घाटी में बनी हुई है और उनके बिना वहाँ राजनीतिक प्रक्रिया को शुरू नहीं किया जा सकता। इस बैठक में अनुच्छेद-370 पर कोई बात नहीं हुई और मोदी सरकार बैठक का विषय परिसीमन और भविष्य में चुनाव की सम्भावनाओं तक सीमित रखने में ज़रूर सफल रही, जो उसका मक़सद भी था। हो सकता है भविष्य में इस तरह की एक-दो और बैठकें हों। हाँ, बैठक के बाद बाहर आकर पीडीपी नेता महबूबा मुफ़्ती ने अनुच्छेद-370 की बहाली पर ज़रूर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा- ‘वहाँ अनुच्छेद-370 को असंवैधानिक तरीक़े से हटाया गया। लोगों को यह मंज़ूर नहीं। हम प्रजातांत्रिक, संवैधानिक तरीक़े से उसकी बहाली की लड़ाई लड़ेंगे। अगर जम्मू-कश्मीर के लोगों को सुकून मिलता है, तो आपको पाकिस्तान से बात करनी चाहिए। हमारा व्यापार बन्द है। उसे लेकर बात की जानी चाहिए। लोगों पर यूएपीए लगाया जाता है, तख़्ती की जाती वह बन्द होनी चाहिए। जेलों में बन्द राजनीतिक क़ैदी रिहा किये जाने चाहिए। हमारे प्राकृतिक संसाधनों की हिफ़ाज़त हो। जम्मू-कश्मीर के लोग ज़ोर से साँस भी लेते हैं, तो उन्हें जेल में दाल दिया जाता है; ये बन्द होना चाहिए।