
आम आदमी पार्टी (आप) और उसके नेता अरविंद केजरीवाल इन दिनों न्यूज मीडिया से खासे नाराज और खिन्न-से दिख रहे हैं. उन्हें लगता है कि न्यूज चैनल और अखबार पूर्वाग्रह और एक एजेंडे के तहत उनकी सरकार की गैरजरूरी आलोचना कर रहे हैं और नकारात्मक खबरें दिखा रहे हैं. केजरीवाल के मुताबिक पत्रकार तो ईमानदार हैं लेकिन मीडिया के मालिक इस या उस पार्टी से जुड़े हैं और पत्रकारों पर दबाव डालकर आप के खिलाफ खबरें करवा रहे हैं.
दूसरी ओर, आरोपों से घिरे दिल्ली सरकार में कानून मंत्री सोमनाथ भारती की मीडिया से नाराजगी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि टीवी रिपोर्टरों के सवालों पर वे आपा खो बैठे और उल्टे रिपोर्टर पर सवाल दाग दिया कि सवाल पूछने के लिए (नरेंद्र) मोदी ने कितने पैसे दिए हैं.
हालांकि भारती ने बाद में माफी मांग ली, लेकिन आप पार्टी के दूसरे नेताओं और कार्यकर्ताओं की न्यूज मीडिया से नाराजगी खत्म नहीं हुई है. असल में, वे चैनलों और अखबारों के लगातार तीखे होते सवालों और आलोचनाओं को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं. आप पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की बौखलाहट से ऐसा लगता है कि उनमें आलोचना सुनने की आदत नहीं है. गोया वे भगवान हों जो गलतियां नहीं कर सकता और किसी भी तरह की आलोचना से परे है. आलोचना के हर सुर को वे संदेह और साजिश की तरह देख रहे हैं. वे अपनी गलतियों और कमजोरियों को देखने के लिए तैयार नहीं हैं. उल्टे गलतियां और कमियां बताने वालों को निशाना बना रहे हैं.