अवैध बूचड़ख़ानों की संख्या वैध बूचड़ख़ानों से क़रीब दो गुना है ज़्यादा
इस साल अप्रैल महीने में भारत में दोबारा हलाल मीट (मांस) को लेकर बहस हुई थी। बहस की शुरुआत कर्नाटक के कुछ हिन्दू संगठनों द्वारा हिन्दुओं से होसातोड़ाकु के दिन हलाल मीट न ख़रीदने की अपील करने से हुई। इस मुद्दे पर बहस से राजनीति शुरू हो गयी और ऐसी राजनीति हुई कि हलाल और झटका मीट का मामला पूरे देश में बहस का मुद्दा बना।
इस विवाद में आग में घी डालने का काम कर्नाटक पशुपालन विभाग की उस चिट्ठी ने किया, जो उसने जनवरी, 2020 में बृहत बेंगलूरु महानगर पालिका को 01 अप्रैल को लिखी थी। कर्नाटक पशुपालन विभाग ने चिट्ठी में लिखा कि मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री के अधीन आने वाले एग्रीकल्चरल ऐंड प्रोसेस्ड फूड एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी ने रेड मीट (लाल मांस) नियमावली (मैनुअल) से हलाल शब्द हटाकर जानवरों को आयात करने वाले देशों के नियमों से काटा है। मुस्लिम संगठनों ने इस पर आपत्ति जतायी थी। यह बहस इतनी बढ़ी कि कई मांस बेचने वाले कुछ होटलों, रेस्टोरेंट और दुकानों पर हलाल, तो कुछ पर झटका आदि लिखा जाने लगा।
कर्नाटक में होसातोड़ाकु का मतलब नये साल की शुरुआत होता है। भाजपा, जो कि इस तरह के मुद्दों पर हर हाल में आगे रहती है; इस मुद्दे पर भी राजनीति करने में आगे ही रही। कई भाजपा नेताओं के हलाल और झटका को लेकर बयान आये। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सी.टी. रवि ने तो हलाल मीट को आर्थिक जेहाद तक कह दिया। स्टेट ऑफ द ग्लोबल इस्लामिक इकोनॉमी रिपोर्ट 2020-21 कहती है कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हलाल मीट का निर्यातक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2020-21 में भारत ने 14.2 अरब डॉलर (2021 में क़रीब 1,057.9 अरब रुपये) का हलाल मीट निर्यात किया था। इतना ही नहीं, भारत दुनिया के 70 से ज़्यादा देशों में मीट और एनिमल प्रोडक्ट्स का निर्यात करता है।
सरकारी आँकड़े बताते हैं कि भारत ने वित्त वर्ष 2020-21 में भैंसों (नर और मादा) का 10.86 लाख मीट्रिक टन मीट दुनिया भर में निर्यात किया, जिसकी कुल क़ीमत 23,460 करोड़ रुपये थी। वहीं गोमांस (बीफ) निर्यात 16 लाख टन से ज़्यादा किया है। माना जा रहा है कि साल 2026 तक भारत क़रीब 19.30 लाख टन गोमांस का निर्यात करेगा। मांस निर्यात पर एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा की सरकार केंद्र में आने के बाद गोमांस निर्यात बढ़ा है। सन् 2017 में मांस निर्यात को लेकर लोकसभा में सरकार की ओर से ही कहा गया था कि मांस निर्यात 17,000 टन बढ़ गया है।
सवाल यह है कि भारत में वैध बूचड़ख़ाने कितने हैं? स्टेट ऑफ द ग्लोबल इस्लामिक इकोनॉमी की रिपोर्ट की मानें, तो भारत में केवल 111 बूचड़ख़ाने ही ऐसे हैं, जहाँ पशुओं को काटने के लिए तय मानकों और दिशा-निर्देशों का पालन किया जाता है। जबकि 1,707 बूचड़ख़ाने पूरे देश में रजिस्टर्ड हैं। बाक़ी अवैध तरीक़े से चोरी-छिपे चलने वाले बूचड़ख़ानों की संख्या वैध बूचड़ख़ानों से क़रीब दोगुनी है। पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा), जो कि एक पशु संरक्षक संस्था है; के अनुसार, भारत में अवैध बूचड़ख़ानों की संख्या 30,000 से भी ज़्यादा है। इसके अलावा लाखों की संख्या में पशु काटकर उनका मांस बेचने वाली दुकानें भी भारत में हैं।