‘महिलाओं पर अंगुली उठाना हमेशा से आसान रहा है’

Patralekhaa
पत्रलेखा, मॉडल अभिनेत्री (24 वर्ष)

क्या अभिनय का ख्वाब बचपन से ही था?
मैं शिलॉन्ग में पली लेकिन मेरी स्कूली शिक्षा बेंगलुरु के बिशप कॉटन कान्वेंट स्कूल में हुई. बोर्डिंग के दिनों में हम पढ़ाई के अलावा तमाम गतिविधियों में हिस्सा लेते थे और मेरा उनकी ओर तगड़ा झुकाव हो गया. इसमें खेल और ड्रामा शामिल थे. लेकिन कभी भी मैंने यह नहीं सोचा कि मैं मॉडल या अभिनेत्री बनूंगी.

तो बॉलीवुड में कैसे आना हुआ?
मेरे परिवार का झुकाव शिक्षा की ओर था. मैं ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए मुंबई चली गई और चार्टड अकाउंटेंट बनने की योजना बनाने लगी. उसी दौरान मैंने विज्ञापनों में काम शुरू किया. जल्दी ही मुझे कास्टिंग डायरेक्टर्स के फोन आने लगे कि मैं ऑडीशन दूं. लेकिन मैं फिल्मों में पूरी तैयारी से आना चाहती थी. मैंने दो साल का ब्रेक लिया और कॉलेज की शिक्षा पूरी की. इस बीच मैंने  तमाम अप्रेंटिश और वर्कशॉप आदि किए. जब मुझमें आत्मविश्वास आ गया तो मैंने फिल्मों के लिए ऑडीशन देना शुरू किया. इस तरह मुझे सिटीलाइट्स में काम मिला.

सिटीलाइट्स में आपकी भूमिका काफी सघन है. इसके लिए क्या तैयारी करनी पड़ी?
मैंने राखी की भूमिका निभाई है जो राजस्थान के एक गांव की रहने वाली है. यह भूमिका मेरे निजी जीवन से एकदम उलट थी. उसकी मनःस्थिति को समझने के लिए हंसल सर ने हमें तीन सप्ताह के लिए राजस्थान के पाली गांव में भेजा. हमने वहां स्थानीय लोगों के साथ वक्त बिताया और उनके रहन सहन तथा बोली-भाषा पर ध्यान दिया.

कहा गया कि आपको यह भूमिका राजकुमार राव से रिश्ते के कारण मिली है. आप इसे लैंगिक भेदभाव मानती हैं?
बिल्कुल. महिलाओं पर अंगुली उठाना हमेशा से आसान रहा है. आपने कितनी बार ऐसा देखा है कि किसी अभिनेता को वरिष्ठ अभिनेत्री के साथ करियर शुरू करने पर कठघरे में खड़ा किया गया हो? लेकिन मैं इसके लिए मानसिक रूप से तैयार थी और मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ा. लोगों ने यह तक ध्यान नहीं दिया कि इस भूमिका के लिए मैंने छह बार ऑडीशन दिया लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि मैंने अच्छा काम किया है. हंसल मेहता और मुकेश भट्ट जैसे फिल्मकार किसी को इसलिए काम नहीं देते कि वह फिल्म के नायक की गर्लफ्रैंड है.

क्या आप फिल्म की रिलीज से पहले घबराई हुई हैं?
नहीं मैं आत्मविश्वास से भरी हुई हूं. व्यक्तिगत तौर पर कहूं तो मुझे घर पर खाली बैठने से डर लगता है. मैं अपने संघर्ष भरे दो सालों की बहुत कद्र करती हूं. मैं उन्हें दोबारा नहीं जीना चाहती