बेअसर साबित होगी महँगाई से मामूली राहत, उठाने होंगे ठोस क़दम
जब भी देश में महँगाई बढ़ती है, तो सरकार बढ़ती महँगाई के लिए कई कारणों को ज़िम्मेदार बताती है। लेकिन महँगाई घटने का श्रेय लेने में देर नहीं लगाती। जैसे पेट्रोल, डीजल, सीएनजी और रसोई गैस के दामों के साथ-साथ अन्य वस्तुओं के बढ़ते दामों के लिए रूस-यूक्रेन युद्ध को ज़िम्मेदार ठहराया गया। लेकिन अब जब कुछ महीनों में कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने की आहट आनी लगी और महँगाई का विरोध चौतरफ़ा होने लगा, तो सरकार ने महँगाई कुछ कम करने की जुगत निकाली। इससे कुछ उपभोक्ताओं को कुछ राहत तो मिली; लेकिन सरकार ने इसका सारा श्रेय लेने में देर नहीं की। मामूली महँगाई कम करने में जो सियासी माहौल बनाया गया है, उसका चर्चा लोगों में है।
पेट्रोल-डीजल और गैस पर आर्थिक मामलों के जानकारों ने ‘तहलका’ बताया कि मौज़ूदा दौर में जो सियासी माहौल चल रहा है, उसमें धरातल पर कम आँकड़ों पर ज़्यादा खेल चल रहा है। इसका लाभ पूँजीपतियों को मिल रहा है। महँगाई में थोड़ी-सी राहत भी उसी का हिस्सा है। पूँजीपति जानते हैं कि कब महँगाई बढऩी है और कब कम होनी है।
आर्थिक मामलों के जानकार विभूति शरण ने बताया कि देश में बढ़ती महँगाई के चलते सरकार के जन प्रतिनिधियों को जनता के कोप-भाजन का शिकार होना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार के ही लोगों का सरकार पर दबाव है। उनका मानना है कि अगर समय रहते महँगाई पर क़ाबू नहीं पाया गया, तो चुनाव में इसके परिणाम जो भी हों; लेकिन जनमानस को क्रोधवश सडक़ों पर उतरने को देर नहीं लगेगी। तब स्थिति को सँभालना मुश्किल होगा और विपक्ष को मौक़ा मिलेगा। इन्हीं तमाम पहलुओं पर सरकार ने सियासी गुणा-भाग करके महँगाई पर क़ाबू पाने के लिए थोड़ी-सी राहत दी गयी है। इसके तहत केंद्र सरकार ने डीजल, पेट्रोल और उज्ज्वला योजना के तहत दिये जाने वाले गैस सिलेंडरों के दामों में कटौती की है। पेट्रोल 9 रुपये 50 पैसे और डीजल 7.00 रुपये सस्ता किया है। विभूति शरण का कहना है कि डीजल और पेट्रोल के दामों में कमी करने को लेकर सरकार मानना है कि इससे परिवहन ख़र्च और खाद्य वस्तुओं में कमी आने की उम्मीद है।
दिल्ली स्थित चाँदनी चौक के व्यापारी तथा आर्थिक मामलों के जानकार विजय प्रकाश जैन का कहना है कि दुनिया में बढ़ती महँगाई का एक माहौल बनाया जा रहा है। अगर तर्कसंगत अध्ययन किया जाए, तो साफ़ नज़र आता है कि महँगाई जानबूझकर लादी गयी है, ताकि समाज का एक बड़ा वर्ग कमज़ोर हो और उन पूँजीपतियों को लाभ मिले सके, जो सरकार के इशारों पर चलते हैं। विजय प्रकाश जैन का कहना है कि ख़ुदरा और थोक महँगाई के बढऩे से सरकार की चिन्ता बढ़ गयी थी और सरकार पर शुल्क कटौती का दबाब इसलिए बढ़ गया था, क्योंकि रिजर्व बैंक का कहना था कि अगर तेल की क़ीमतें कम नहीं की गयीं, तो महँगाई को क़ाबू पाना मुश्किल होगा। इसलिए पेट्रोल-डीजल के दाम कम किये गये हैं।
देश में बढ़ती महँगाई को लेकर देश के शहरों से लेकर गाँवों तक जो माहौल बना हुआ है, उसे देखकर और भाँपकर सरकार सहम रही थी। वित्त मंत्रालय से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि सरकार सत्ता के नशे में इस क़दर चूर है कि वो न तो किसी की सुनने को राज़ी है, न जनता की परेशानी समझने को तैयार है। लेकिन सरकार के प्रतिनिधियों का दबाब इस क़दर था कि अगर गाँवों की जनता को अपने पाले में लाना है, तो निश्चित तौर पर उज्ज्वला गैस के दामों को कम करना होगा। नहीं तो गाँवों का जो माहौल सरकार के पक्ष में बना है, उसको बिगडऩे में देर नहीं लगेगी। इसलिए अब उज्ज्वला योजना के लगभग नौ करोड़ लाभार्थियों को साल में 12 सिलेंडर पर 200 रुपये प्रति सिलेंडर की सब्सिडी मिलेगी। कुल मिलाकर उज्ज्वला योजना के माध्यम से सरकार ने बढ़ती महँगाई को कम करने का प्रयास भर ही किया है।
दिल्ली के व्यापारियों का दावा है कि महँगाई से थोड़ी राहत भर दी गयी है। आँकड़ों में उलझानों का प्रयास किया गया है। दिल्ली के व्यापारी संतोष अग्रवाल का कहना है कि देश में सटोरियों का बोलबाला है, जो महँगाई के लिए काफ़ी हद तक ज़िम्मेदार है। अगर देश में महँगाई को रोकना है, तो सटोरियों को रोकना होगा। उनका कहना है कि कब देश में महँगाई कम होगी और कब बढ़ेगी? इसका सारा ख़ाका सटोरियों के पास पहले से होता है। इससे देश के सटोरी जमकर पैसा कमाते हैं। संतोष अग्रवाल का कहना है कि सट्टा और सटोरी के खेल में कुछ राजनीतिक लोगों का हाथ है, जिससे देश में महँगाई का खेला चलता रहता है।