पाकिस्तान में जल्दी आम चुनाव की माँग कर रहे पूर्व प्रधानमंत्री
इमरान ख़ान पाकिस्तान में जल्दी चुनाव की वकालत कर रहे हैं और सत्ता से बाहर होने के बाद लगातार जनता के बीच हैं, ताकि इसके लिए दबाव बन सके। इमरान देश में सेना की समानांतर सत्ता का सिलसिला कमज़ोर करने के लिए माहौल बनाने में लगे हैं। वह सेना के ताक़तवर होने को देश की तरक़्क़ी के ख़िलाफ़ बता रहे हैं और सत्ता में बैठे गठबंधन को भ्रष्ट बताकर इसे ख़ुद के ख़िलाफ़ विदेशी षड्यंत्र की बात कह रहे हैं। जनता उनकी बातों से प्रभावित दिख रही है और उनकी जनसभाओं में बड़ी संख्या में आ रही है। हाल में पाकिस्तान के पंजाब में हुए उपचुनाव में उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) की बड़ी जीत से ज़ाहिर होता है कि जनता उनसे प्रभावित है।
सत्ता से बाहर होने के बाद इमरान ख़ान ने देश के कई इलाक़ों में बड़ी रैलियाँ की हैं। इनमें बड़ी तादाद में जनता दिखी है। पाकिस्तान की राजनीति के जानकार मानते हैं कि इन रैलियों के ज़रिये इमरान ख़ान सरकार और चुनाव आयोग पर देश में जल्दी चुनाव करवाने का दबाव डाल रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वह फिर सत्ता में आ सकते हैं। इमरान के भाषणों से उनका लक्ष्य साफ़ ज़ाहिर होता है। हाल ही में सत्तारूढ़ दल के एक मंत्री ख़ुर्रम दस्तगीर ने दावा किया था कि इमरान ख़ान पूरे तत्कालीन विपक्ष का सफ़ाया कर 15 साल तक सत्ता में रहने की योजना बना रहे हैं। पीटीआई इस आरोप को बकवास कह चुकी है। हालाँकि इसमें कोई दो-राय नहीं कि इमरान काफ़ी ज़्यादा महत्त्वाकांक्षी नेता हैं।
इमरान की राजनीति काफ़ी हद तक पाकिस्तान की परम्परागत राजनीति से हटकर है। वह ढके-छिपे अंदाज़ में तालिबान के भी समर्थन में दिखते हैं। प्रधानमंत्री के रूप में चार साल पहले अपने शपथ ग्रहण में जब उन्होंने भारत के प्रति दोस्ती की बात कही थी, तो उन पर भरोसा किया गया था; लेकिन उनके 1,332 दिन के शासन में भारत से बातचीत या दोनों देशों के बीच सम्बन्ध बेहतर करने के प्रति वह कभी भी गम्भीर नहीं दिखे। उलटे इस दौरान दोनों देशों की सीमा पर कई बार तनाव दिखा। आतंकवादियों की घुसपैठ भी बराबर जारी रही।
इमरान एक रणनीति के तहत राजनीति कर रहे हैं, जो उनकी तीसरी पत्नी बुशरा बीबी के लीक हुए एक ऑडियो से ज़ाहिर हो जाता है। इस ऑडियो में बुशरा पीटीआई के सोशल मीडिया विंग को निर्देश देती सुनी जा सकती हैं कि सोशल मीडिया पर वर्तमान सरकार देशद्रोह का नैरेटिव चलाया जाए।
बुशरा पीटीआई के डिजिटल मीडिया चेयरमैन अर्सलान ख़ालिद से कहती सुनायी देती हैं कि ट्रेंड चलाएँ और लोगों को बताएँ कि मुल्क (पाकिस्तान) और इमरान ख़ान के साथ ग़द्दारी की जा रही है। बुशरा सोशल मीडिया टीम को रूस से पाकिस्तान के तेल ख़रीदने के मुद्दे को ठण्डा न होने देने के लिए कहा। ऑडियो में बुशरा ने ख़ालिद से कहा कि आप इस मुद्दे को दबने नहीं दें। ऑडियो में बुशरा पार्टी छोडक़र जाने वाले असन्तुष्टों को भी विदेशी साज़िश से जोडऩे की बात करती हैं।
उपचुनाव में बड़ी जीत
पाकिस्तानी पंजाब की असेंबली की 20 सीटों के उपचुनाव में इमरान ख़ान की पार्टी पीटीआई को 15 सीटें मिलीं, जो इस बात का पुख़्ता प्रमाण है कि इमरान जनता के बीच लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं। यह नतीजे इसलिए भी अहम हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री का पद खोने के बाद यह पहला ऐसा चुनाव था, जिसमें इमरान की पार्टी पीटीआई और प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ (पीएमएल-एन) के बीच सीधी टक्कर थी।
इससे भी बड़ी बात यह है कि यह उपचुनाव शरीफ़ बंधुओं का गढ़ माना जाता है। फिर भी प्रधानमंत्री शहवाज़ शरीफ़ की पार्टी को महज़ चार सीटें ही मिलीं। एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार के हिस्से में आयी। इसी साल अप्रैल में पीटीआई के मुख्यमंत्री उस्मान बुज़दार के इस्तीफ़े के बाद प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ के बेटे हमज़ा शाहबाज़ मुख्यमंत्री बन गये थे; क्योंकि पीटीआई के 25 विधायकों ने दलबदल कर लिया था। बाद में इमरान की याचिका पर चुनाव आयोग ने इन 25 विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया था।