पंजाब में बढ़ी भ्रष्टाचारियों के ख़िलाफ़ शिकायतों की संख्या और छापेमारी
भ्रष्टाचार पर कार्रवाई में पंजाब अब कुछ दिखने लगा है। भ्रष्टाचार के दलदल में फँसे राज्य में यह बदलाव कुछ आशा जगाता है। मंत्री, पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक, आईएएस और आईएफएस पर कार्रवाई के बाद उन्हें सलाख़ों के पीछे भेजा जा रहा है। जमानतों पर बाहर आना मुश्किल हो रहा है। भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ शिकायतों की संख्या एकाएक कई गुना बढ़ गयी। लगभग ख़ाली बैठे विभाग के अधिकारियों के पास बहुत ज़्यादा काम आ गया। भगवंत मान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ के बाद अपना निजी नंबर जारी कर लोगों का भ्रष्टाचार ख़त्म करने का आह्वान किया, तो लगा वाक़ई यह सरकार अपने एजेंडे को पूरा करना चाहती है। भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ शिकायतों की जाँच के बाद आरोप सही पाये जाने पर यक़ीनी कार्रवाइयाँ हो रही हैं। करोड़ों रुपये के घोटाले सामने आ रहे हैं।
यह सब पिछले तीन माह के दौरान हुआ। तो क्या माना जाए कि राज्य में आम आदमी पार्टी की सरकार राज्य में भ्रष्टाचार पर काफ़ी हद तक अंकुश लगा पाने में सफल रहेगी? इसे कहना अभी जल्दबाज़ी होगी। लेकिन इस दिशा में जिस तरह से कार्रवाइयाँ हो रही हैं, नि:सन्देह वह अच्छी पहल है। भ्रष्टाचार को पूरी तरह समाप्त करना सम्भव नहीं; लेकिन कम हो जाए और कार्रवाई का ख़ौफ़ रहे, तो भी आम आदमी के लिए राहत की बात है।
राज्य में लचर क़ानून व्यवस्था की आलोचना से घिरी सरकार की कोई विशेष उपलब्धि अभी नहीं दिखी है; लेकिन भ्रष्टाचार पर कार्रवाई में निश्चित ही कुछ असर दिखने लगा है। सार्वजनिक तौर पर विपक्ष चाहे इसकी सराहना न करे; लेकिन आम लोगो में अच्छा सन्देश गया है। इसका पहला उदाहरण राज्य के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री विजय सिंगला के रूप में दिखा। उनके ख़िलाफ़ विभाग के साज-ओ-सामान की ख़रीद में एक फ़ीसदी कमीशन की शिकायत हुई। जाँच के बाद आरोप सही साबित हुए और सिंगला के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया और तुरन्त मंत्री पद से हटा दिया गया। इस तरह के उदाहरण विरले ही मिलते हैं। कितने ही मौज़ूदा मंत्रियों पर आरोप लगे; लेकिन वे या तो साबित नहीं हो सके या फिर कार्रवाई बहुत देर से हुई।
विजिलैंस (सतर्कता) विभाग जैसे नींद से जाग उठा और ताबड़तोड़ कार्रवाई करने पर जैसे आमादा हो गया। इसे अच्छी शुरुआत तो माना जाएगा; लेकिन यह सब पहले इतनी तेज़ी से क्यों नहीं हो पा रहा था? क्या विभाग के पास क़ाबिल अधिकारी नहीं थे? अब वही अधिकारी क़ाबिल हो गये हैं? सब कुछ वही है पर अब सरकारी संरक्षण कमोबेश कुछ कम होता दिख रहा है। राज्य में विजिलैंस विभाग की कार्रवाइयाँ तीव्र गति से हो रही है। चट मंगनी पट व्याह जैसी उक्ति चरितार्थ हो रही हैं।