भ्रष्टाचार के ‘पास’

एक कहावत है- ‘मुफ़्त में कुछ नहीं मिलता।’ अर्थात् बिना कुछ दिये कुछ प्राप्त करने की सोचना बेवक़ूफ़ी है। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के कॉम्प्लिमेंट्री पास के मामले में यह कहावत सटीक बैठती है। आईपीएल के यह पास सरकारी अधिकारियों, सलाहकारों और अन्य लोगों के प्रति सद्भावना के संकेत के रूप में बाँटे जाते हैं। जब भी अधिकारी इन मुफ़्त टिकटों (पास) पर जीएसटी लगाने का निर्णय लेते हैं, तो भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की आईपीएल फ्रैंचाइजी यह तर्क देते हुए तुरन्त इसका विरोध करती है कि इसमें विचार करने लायक कुछ नहीं; क्योंकि ये पास केवल व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए हैं। लेकिन मुफ़्त, कितना मुफ़्त है? यह अक्सर एक सवाल रहा है। क्योंकि ऐसे उदाहरण भी सामने आये हैं, जब यह मुफ़्त टिकट (पास) भी बहुत ऊँची दरों पर बेचे गये और बेचे जा रहे हैं। इस समय चल रहे आईपीएल मैचों के दौरान पुलिस ने तीन अलग-अलग मामले दर्ज किये, जब 18 अप्रैल को सनराइजर्स हैदराबाद और मुंबई इंडियंस के बीच हुए आईपीएल मैच के दौरान हैदराबाद के राजीव गाँधी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में बारकोड के साथ कॉपी किये गये नक़ली आईपीएल टिकट ले जाने वाले लोग घुस गये। दिल्ली कैपिटल्स बनाम मुंबई इंडियंस के बीच मैच के दौरान अरुण जेटली क्रिकेट स्टेडियम में अवैध प्रवेश के लिए मामला भी दर्ज किया गया था। इससे पहले मरीन ड्राइव पुलिस ने आईपीएल मैचों के लिए वानखेड़े स्टेडियम के बाहर फ़र्ज़ी टिकट बेचने के मामले में धोखाधड़ी और जालसाज़ी का मामला दर्ज किया था।

जैसा कि आईपीएल एक के बाद एक विवादों में उलझा हुआ है, ‘तहलका एसआईटी’ के इस अंक में एक विशेष रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे नक़ली टिकट, कालाबाज़ारी और ‘बिक्री के लिए नहीं’ लिखे पास की बिक्री एक और घोटाला साबित हो रही है। ‘तहलका’ के पत्रकार ने कैमरे में एक दलाल को रिकॉर्ड किया, जो फ़रीदाबाद में अपनी क्रिकेट अकादमी चलाता है; लेकिन ‘बिक्री के लिए नहीं’ वाले कॉम्प्लिमेंट्री आईपीएल पास बेचने में माहिर है। उसने ‘तहलका’ रिपोर्टर, जिन्होंने यह पास ख़रीदने के लिए ख़ुद को एक नक़ली ग्राहक के रूप में प्रस्तुत किया था; को एक दलाल ने दिल्ली कैपिटल्स और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच 20 अप्रैल को दिल्ली में खेले जाने वाले मैच के ‘बिक्री के लिए नहीं’ लिखे कॉम्प्लिमेंट्री आईपीएल पास बेचने की पेशकश की। हमने वास्तव में ऐसा एक आईपीएल पास ख़रीदा, ताकि अपनी रिपोर्ट और ऐसे दलालों को पकडऩे के लिए उनकी सच्चाई को सत्यापित कर सकें। ‘तहलका एसआईटी’ ने अपना काम कर दिया है और अब गेंद सम्बन्धित अधिकारियों के पाले में है कि वे इस पर कार्रवाई करें।

इस अंक में दो और रिपोट्र्स हैं- एक, कैसे पानी दुनिया में सामूहिक विनाश का अगला नया हथियार बन रहा है। दूसरी, पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के विस्फोटक ख़ुलासे। जब हम इस अंक के प्रकाशन की तैयारी में हैं, शीर्ष पहलवानों का दिल्ली के जंतर-मंतर पर भारतीय कुश्ती महासंघ प्रमुख के ख़िलाफ़ यौन उत्पीडऩ और डराने-धमकाने के आरोपों पर धरना जारी है और मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद पुलिस आरोपी अधिकारी पर एफआईआर दर्ज कर चुकी है। उधर दु:खद ख़बर यह रही कि 25 अप्रैल को पंजाब के पाँच बार मुख्यमंत्री रहे राजनीति के पॉवरहाउस माने-जाने वाले प्रकाश सिंह बादल का निधन हो गया; लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। दूसरी ओर लेखक और पत्रकार, तारिक फ़तेह, जिन्होंने इस्लाम में पुनर्जागरण का प्रतिनिधित्व किया था; दुनिया से रुख़सत कर गये। उनके निधन के बाद एक ट्वीट में उनकी बेटी नताशा फ़तेह ने अपने पिता को ‘पंजाब का शेर, हिंदुस्तान का बेटा और मजलूमों की आवाज़’ बताया।