भारत ने बार-बार झेला बँटवारे का दु:ख

कितना विशाल था अखण्ड भारत, यह जानना दिलचस्प है

हाल ही में ट्विटर यूजर्स ने एक दिलचस्प सवाल उठाया कि भारत का विभाजन कितनी बार हुआ? अधिकांश लोगों ने जवाब दिया कि भारत का विभाजन एक ही बार सन् 1947 में हुआ था, जब भारत और पाकिस्तान दो अलग-अलग राष्ट्र बन गये, जिन्हें भारत गणराज्य और इस्लामिक गणराज्य पाकिस्तान के नाम से जाना जाता है।
क्या आप जानते हैं कि 61 साल में अंग्रेजों ने भारत का सात बार विभाजन कर दिया था? यह निश्चित रूप से सन् 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश के अलग होने के अलावा है। इसके अलावा इसमें पहले का बर्मा अब म्यांमार और पहले का सीलोन अब श्रीलंका भारत का हिस्सा नहीं हैं। भारतीय उपमहाद्वीप के बारे में कुछ महत्त्वपूर्ण प्रश्न हैं, जो अभी भी अनुत्तरित हैं। इस सवाल के के हैरान करने वाले जवाब हैं।

भारत से निकले कितने देश
अखण्ड भारत हिमालय से हिन्द महासागर तक और ईरान से इंडोनेशिया तक फैला हुआ था। ब्रिटिश हुकूमत के दौर सन् 1857 में भारत का क्षेत्रफल 83 लाख वर्ग किलोमीटर था, जो वर्तमान में सिमटकर महज़ 33 लाख वर्ग किलोमीटर रह गया है। यानी भारत का 50 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र अब भारत का हिस्सा नहीं रहा, बल्कि पड़ोसी देशों के रूप में हमारे सामने है। इस बँटवारे में कितने देश बने? कब बने? यह जानना इसलिए भी ज़रूरी है, क्योंकि वर्तमान में अखण्ड भारत की बात भी चल रही है और विश्व गुरु बनने की भी। आइए, जानते हैं कब, कौन-सा देश भारत से अलग होकर बना :-

श्रीलंका : सन् 1935 में अंग्रेजों ने श्रीलंका को भारत से अलग कर दिया। श्रीलंका का पुराना नाम सिंहलद्वीप था। बाद में सिंहलद्वीप नाम का नाम बदलकर सीलोन कर दिया गया। सम्राट अशोक के शासनकाल में श्रीलंका का नाम ताम्रपर्णी था। सम्राट अशोक के पुत्र महेंद्र और उनकी बेटी संघमित्रा बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए श्रीलंका गये थे। श्रीलंका अखण्ड भारत का अंग था।

अफ़ग़ानिस्तान : अफ़ग़ानिस्तान का प्राचीन नाम उपगणस्थान व कंधार का नाम गांधार था। अफ़ग़ानिस्तान एक शैव देश था। महाभारत में वर्णित गांधार अफ़ग़ानिस्तान में है, जहाँ से कौरवों की माता गांधारी और मामा शकुनि थे। कंधार (गांधार) का वर्णन शाहजहाँ के शासन-काल तक मिलता है। यह भारत का हिस्सा था। सन् 1876 में रूस और ब्रिटेन के बीच गंडामक सन्धि पर हस्ताक्षर हुए थे। संधि के बाद, अफ़ग़ानिस्तान को एक अलग देश के रूप में स्वीकार कर लिया गया था।

म्यांमार : कभी बर्मा और अब म्यांमार का प्राचीन नाम ब्रह्मदेश था। सन् 1937 में म्यांमार यानी बर्मा को एक अलग देश की मान्यता अंग्रेजों ने दी थी। प्राचीन काल में हिन्दू राजा आनंद व्रत ने यहाँ शासन किया था।

नेपाल : नेपाल को प्राचीन काल में देवधर के नाम से जाना जाता था। भगवान बुद्ध का जन्म लुंबिनी में हुआ था और माता सीता का जन्म जनकपुर में हुआ था, जो आज नेपाल में है। सन् 1904 में अंग्रेजों ने नेपाल को एक अलग देश बनाया था। नेपाल हिन्दू राष्ट्र था और उसे आधिकारिक रूप से हिन्दू राष्ट्र नेपाल कहा जाता था। कुछ साल पहले तक नेपाल के राजा को नेपाल नरेश कहा जाता था। नेपाल में 81 फ़ीसदी हिन्दू और नौ फ़ीसदी बौद्ध हैं। सम्राट अशोक और समुद्रगुप्त के शासनकाल के दौरान नेपाल भारत का एक अभिन्न अंग था। सन् 1951 में नेपाल के महाराजा त्रिभुवन सिंह ने भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू से नेपाल के भारत में विलय की अपील की थी; लेकिन जवाहरलाल नेहरू ने प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।

थाईलैंड : सन् 1939 तक थाईलैंड को श्याम के नाम से जाना जाता था। इसे भी इस साल अंग्रेजों ने भारत से अलग कर दिया। अयोध्या, श्री विजय आदि इसके प्रमुख शहर थे। श्याम में बौद्ध मन्दिरों का निर्माण तीसरी शताब्दी में शुरू हुआ था। इस देश में आज भी कई शिव मन्दिर हैं। थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भी सैकड़ों हिन्दू मन्दिर हैं।

कंबोडिया : कंबोडिया संस्कृत नाम कंबोज से निकला है, जो अखण्ड भारत का हिस्सा था। पहली शताब्दी से ही यहाँ भारतीय मूल के कौंडिन्य वंश का शासन था। यहाँ के लोग शिव, विष्णु और बुद्ध की पूजा करते थे। राष्ट्रभाषा संस्कृत थी। कंबोडिया में आज भी भारतीय महीनों जैसे चैत्र, वैशाख, आषाढ़ के नामों का प्रयोग किया जाता है। विश्व प्रसिद्ध अंगकोर वाट मन्दिर भगवान विष्णु को समर्पित है, जिसे हिन्दू राजा सूर्यदेव वर्मन ने बनवाया था। मन्दिर की दीवारों पर रामायण और महाभारत से सम्बन्धित पेंटिंग हैं। अंकोरवाट का प्राचीन नाम यशोधरपुर है।