पहलवानों के विरोध का डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष पर नहीं असरग्लैमर की दुनिया में गन्दगी इस दर हावी हो जाती है कि पर्दे के अन्दर झाँककर देखने पर नफ़रत होने लगती है। खेलों का ग्लैमर इन दिनों इतना हावी है कि करोड़ों लोग खेलों और खिलाडिय़ों के दीवाने हो चुके हैं। यही वजह है कि इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए युवा-युवतियाँ लालायित रहते हैं। इस क्षेत्र में मैडल जीतकर लाने का मक़सद हर खिलाड़ी का सपना होता है। लेकिन खेलों के लिए बनी संस्थाओं और मंत्रालयों में मठाधीश बनकर बैठे लोग, जिनकी बिना इच्छा के कोई खिलाड़ी आगे नहीं बढ़ सकता; इन खिलाडिय़ों का शोषण करते हैं। महिला खिलाड़ी इनका आसान शिकार होती हैं। आजकल कुश्ती की महिला खिलाडिय़ों के शरीरिक शोषण को लेकर देश भर में हंगामा मचा हुआ है। इसी को लेकर अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट :-
पूरा देश तब हतप्रभ हैरान रह गया, जब जनवरी में बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक, विनेश फोगाट, रवि दहिया और दीपक पुनिया जैसे नामी पहलवानों ने राजधानी दिल्ली में खेलों में भारत के सबसे बड़े ‘मी टू’ विरोधी धरने का नेतृत्व किया। भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह और कोचों के ख़िलाफ़ यौन दुराचार के आरोपों को लेकर यह खिलाड़ी सडक़ों पर उतरे। दबाव ऐसा था कि सरकार को इस मामले में जाँच के आदेश देने के लिए मजबूर होना पड़ा।
नई दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध करने वाले पहलवानों ने आरोप लगाया कि डब्ल्यूएफआई प्रमुख और उसके कोच वर्षों से युवा महिला खिलाडिय़ों का यौन और मानसिक शोषण कर रहे हैं। पहलवानों ने डब्ल्यूएफआई में वित्तीय कुप्रबंधन का भी आरोप लगाया और खेल निकाय में बदलाव की माँग की।
खेलों में यौन शोषण का मामला देश में कोई नया नहीं है। हाल में पूर्व हॉकी कप्तान और हरियाणा के खेल मंत्री संदीप सिंह पर एक जूनियर कोच ने यौन शोषण का आरोप लगाया था। काफ़ी विरोध के बाद उन्हें खेल मंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा। हालाँकि उनके पास अभी मुद्रण तथा लेखन सामग्री (स्वतंत्र कार्यभार) है।
सन् 1990 में 14 वर्षीय रुचिका गिरहोत्रा, जो एक होनहार टेनिस खिलाड़ी थी; की तरफ़ से उस समय हरियाणा टेनिस संघ के प्रमुख एसपीएस राठौड़ पर उनसे छेड़छाड़ के आरोप लगे थे। राठौड़ उस समय राज्य के पुलिस महानिरीक्षक भी थे। रुचिका ने आत्महत्या कर ली; लेकिन प्रभावशाली पुलिस अधिकारी को पदोन्नति मिल गयी।
पिछले वर्षों में हरियाणा ने एक ऐसा राज्य होने का गौरव अर्जित किया है, जो पहलवानों सहित विश्व स्तर के खिलाड़ी पैदा करता है, जिन्होंने देश के लिए कई पदक और पुरस्कार जीते हैं। इस वजह से डब्ल्यूएफआई प्रमुख और उसके कोचों पर पहलवानों के लगाये गये आरोपों ने देश भर के खेल प्रेमियों को झकझोर कर रख दिया।
आरोपी भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह, जो भाजपा के सांसद भी हैं; ने आरोपों को ग़लत बताया और विरोध-प्रदर्शन को हरियाणा कांग्रेस के नेताओं की रची गयी साज़िश क़रार दिया। घटनाक्रम से नाराज़ कांग्रेस पहलवानों के समर्थन में उतर आयी और इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाया।
प्रधानमंत्री मोदी के इस दावे के बीच कि खेल के लिए बेहतर माहौल बनाने के लिए पिछले आठ वर्षों में काम किया गया है, स्थिति से निपटने में सरकार के लिए यह कठिन समय था। प्रधानमंत्री ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा कि कई प्रतिभाएँ मैदान से दूर रहीं। लेकिन पिछले आठ वर्षों में देश इस पुरानी सोच को पीछे छोड़ चुका है। खेलों के लिए बेहतर माहौल बनाने का काम किया गया है और अब ज़्यादा बच्चे और युवा खेल को करियर के विकल्प के रूप में देख रहे हैं।’
विवाद पर जनता के मूड को भाँपते हुए केंद्र ने तब केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर को मोर्चे पर तैनात किया, जिन्होंने दो दौर में पहलवानों से बात करने के बाद घोषणा की कि ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज़ मैरी कॉम की अध्यक्षता वाली पाँच सदस्यीय समिति आरोपों की पड़ताल करेगी और चार हफ़्ते में रिपोर्ट पेश करेगी। मंत्री ने यह भी कहा कि बृजभूषण शरण सिंह जाँच पूरी होने तक डब्ल्यूएफआई के प्रमुख के पद पर नहीं रहेंगे।
इस भरोसे के बाद पहलवानों ने अपना धरना समाप्त कर दिया। बजरंग पुनिया ने कहा- ‘हमें सम्मानित मंत्री से आश्वासन मिला है। धन्यवाद! हमने केवल अन्तिम उपाय के रूप में विरोध किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वास्तव में हमारे खेल में मदद की है।’
आईओए की जाँच
खिलाडिय़ों ने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की प्रमुख पीटी उषा से भी आरोपों की जाँच करने का आग्रह किया था, एसोसिएशन ने डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ आरोपों की जाँच करने और 10 दिन में एक रिपोर्ट पेश करने के लिए मुक्केबाज़ मैरी कॉम की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति का गठन किया।
पैनल में भारतीय भारोत्तोलन महासंघ के अध्यक्ष सहदेव यादव, तीरंदाज़ डोला बनर्जी और ओलंपिक पदक विजेता पहलवान योगेश्वर दत्त शामिल हैं। कमेटी में दो वकील भी होंगे। आईओए की आपातकालीन कार्यकारी परिषद् की बैठक के दौरान यह निर्णय किया गया, जिसमें शीर्ष निशानेबाज़ अभिनव बिंद्रा, योगेश्वर दत्त के साथ आईओए अध्यक्ष पीटी उषा और संयुक्त सचिव कल्याण चौबे ने भाग लिया।
पीटी उषा को लिखे पत्र में पहलवानों ने डब्ल्यूएफआई में धन की हेराफेरी का आरोप लगाया था और दावा किया था कि राष्ट्रीय शिविर में कोच और खेल विज्ञान कर्मचारी बिलकुल अक्षम थे।
ओलंपिक कांस्य पदक विजेता योगेश्वर दत्त ने कहा कि यौन उत्पीडऩ के आरोपों के मामले में कोई समझौता नहीं हो सकता। अगर ऐसा हुआ है, तो इसकी जाँच होनी चाहिए और आरोपियों को सज़ा मिलनी चाहिए। अगर आरोप झूठे हैं, तो इसकी जाँच की जानी चाहिए कि उन्हें क्यों लगाया गया और इसके पीछे क्या मक़सद था? हम खेल मंत्रालय और गृह मंत्रालय दोनों के साथ-साथ प्रधानमंत्री को भी रिपोर्ट भेजेंगे।’
सवाल और आरोप
राष्ट्रमंडल स्वर्ण पदक विजेता विनेश फोगाट ने नई दिल्ली के जंतर मंतर पर कई शीर्ष पहलवानों की उपस्थिति में आरोप लगाये। फोगाट ने आरोप में कहा कि महिला पहलवानों का राष्ट्रीय शिविरों में प्रशिक्षकों और डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह द्वारा यौन उत्पीडऩ किया गया है। राष्ट्रीय शिविरों में नियुक्त कोचों में से कुछ वर्षों से महिला पहलवानों का यौन उत्पीडऩ कर रहे हैं। डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष भी यौन उत्पीडऩ में शामिल हैं।
उन्होंने आरोपों में आगे कहा कि यह शोषण हर दिन हो रहा है। लखनऊ में ही क्यों होता है राष्ट्रीय शिविर? हमने प्रधानमंत्री और खेल मंत्री को लिखा है। वहाँ ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि वहाँ उसका घर है और इसलिए लड़कियों का शोषण करना आसान है। वे हमें बहुत परेशान करते हैं। वे हमारे निजी जीवन और रिश्तों में दख़ल देते हैं। वे सब कुछ जानना चाहते हैं।
हरियाणा की रहने वाली विनेश ने कहा कि आरोप लगाने के बाद उन्हें अपनी जान का ख़तरा महसूस हो रहा है। उन्होंने आरोप में आगे कहा- वे (प्रशिक्षक और मंत्री) बहुत शक्तिशाली हो गये हैं। मैंने आज बोला है और मुझे नहीं पता कि इस वजह से मैं कल ज़िन्दा रहूँगा या नहीं। मैं ऐसी 10-20 लड़कियों को जानती हूँ, जिनका पिछले 10 साल में नेशनल कैंप में शोषण हुआ है। वह लड़कियाँ अपने पारिवारिक पृष्ठभूमि को लेकर डरी हुई हैं। वे उनके ख़िलाफ़ नहीं लड़ सकतीं, क्योंकि वे शक्तिशाली नहीं हैं। मैं ऐसा कर सकती हूँ, क्योंकि मुझे कोई आपत्ति नहीं है अगर वे मुझे कुश्ती से रोकते हैं। मेरे पास घर है, मेरे पास रोज़ी-रोटी का ज़रिया है। मैं यहाँ इसलिए हूँ, क्योंकि मैं नहीं चाहती कि आने वाली पीढिय़ाँ इस दु:ख और दर्द से गुज़रें। कुश्ती ही हमारी रोज़ी-रोटी का ज़रिया है। वे हमारी रोज़ी-रोटी छीन रहे हैं। हमारा एकमात्र विकल्प मौत है, इसलिए अच्छा कर सकते हैं और मर सकते हैं।’
फोगाट ने बीबीएस सिंह की कथित मनमानी पर कहा- ‘वह मुझे हर चीज़ के लिए मानसिक रूप से प्रताडि़त करता है। कोई भी अनुमति प्राप्त करने के लिए हमें उनके सामने और यहाँ तक कि सहायक सचिव से भीख माँगनी पड़ती है। खिलाड़ी उसे राष्ट्रीय शिविर में जाने के लिए उपहार देते हैं। राष्ट्रीय शिविर में जाने के लिए कोच भी ऐसा ही करते हैं।’
भारत की एकमात्र ओलंपिक पदक विजेता पहलवान साक्षी मलिक ने विनेश के आरोपों का समर्थन किया। उन्होंने कहा- ‘हम सिर्फ़ युवा पहलवानों को बचाने आये हैं। हम उनके लिए लड़ रहे हैं। जब समय आएगा, हम बोलेंगे। हम उन लोगों के नाम देंगे, जिनका शोषण हुआ है और जो भी जाँच कर रहे हैं। विनेश और साक्षी के अलावा विश्व चैंपियनशिप विजेता सरिता मोर, संगीता फोगाट, अंशु मलिक, सोनम मलिक, सत्यव्रत मलिक, जितेंद्र किन्हा, अमित धनखड़ और राष्ट्रमंडल खेलों के पदक विजेता सुमित मलिक भी धरना स्थल पर मौज़ूद थे। क़रीब 30 पहलवान वहाँ विरोध के इकट्ठे हुए थे।
विनेश फोगाट ने स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी भी इस तरह के शोषण का सामना नहीं किया; लेकिन दावा किया कि जंतर मंतर पर धरने में एक पीडि़ता मौज़ूद थी। उसने कहा कि पीडि़तों के नाम का ख़ुलासा करने से उन्हें ख़तरा होगा और कहा कि यह अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं करने के कारणों में से एक था।
फोगाट ने कहा- ‘अगर हम पीडि़तों के नाम का ख़ुलासा करते हैं, तो यह उनके परिवारों सहित उन्हें ख़तरे में डाल देगा। हम उनकी पहचान का ख़ुलासा नहीं कर सकते, क्योंकि कुछ भी काग़ज़ पर नहीं रखा गया है और इसे अभी तक आधिकारिक नहीं बनाया गया है। हम यहाँ लडऩे के लिए आये थे। हमारी गरिमा ही अगर हमसे छीन ली गयी, तो हमारे विरोध करने का क्या मतलब है? हम सभी जटिल विवरण साझा नहीं कर सकते, क्योंकि यह महिला पहलवानों के स्वाभिमान से जुड़ा एक संवेदनशील मामला है। हम आपके साथ सभी विवरण साझा करेंगे एक बार सब कुछ हमारे लिए आश्वस्त हो जाए।’
उन्होंने कहा कि हम सभी मुद्दों को सामने ला रहे हैं। यदि यह केवल कुश्ती के बारे में होता, तो चर्चा के बाद मामला हल हो जाता। लेकिन यह एक बड़ा मुद्दा है। यह सिर्फ़ एक नहीं, बल्कि कई लड़कियों का मामला है। हम उनकी पहचान का ख़ुलासा नहीं कर सकते हैं और अगर हम करते हैं, तो यह उनके जीवन और परिवारों के लिए ख़तरा होगा।
एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता और अर्जुन पुरस्कार विजेता विनेश ने कहा कि उन्होंने डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृजभूषण सरन सिंह से टोक्यो ओलंपिक से लौटने के बाद उनसे मिलने का अनुरोध किया था; लेकिन उन्होंने उनके अनुरोध को स्वीकार नहीं किया। विनेश ने कहा- ‘जब मैं टोक्यो ओलंपिक से वापस आयी तबसे वह मुझसे नहीं मिला है। कई खिलाडिय़ों ने महासंघ को अपने साथ हुए उत्पीडऩ के बारे में लिखा; लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। अगर हम अपने मुद्दे को सार्वजनिक करते हैं, तो डब्ल्यूएफआई प्रमुख अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए मामले को रफ़ा-दफ़ा करने की कोशिश करेंगे।’
आरोपों से इनकार
जैसा कि अपेक्षित था कि फरवरी, 2019 में लगातार तीसरी बार डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष के रूप में निर्विरोध चुने गये बीबीएस सिंह ने आरोपों से इनकार किया। क्या कोई कह रहा है कि डब्ल्यूएफआई ने एक पहलवान का यौन उत्पीडऩ किया? विनेश ने ही कहा है। क्या किसी ने आगे आकर कहा है कि उनका व्यक्तिगत रूप से यौन उत्पीडऩ किया गया है? यहाँ तक कि अगर एक पहलवान भी सामने आती है और कहती है कि उसका यौन उत्पीडऩ किया गया है, तो उस दिन मुझे फाँसी दे दें। सिंह ने 21 जनवरी को उत्तर प्रदेश के गोंडा में अपने जवाब देने के लिए एक संवाददाता सम्मेलन बुलाया था। हालाँकि खेल मंत्री के सुझाव के बाद उन्होंने ज़्यादा कुछ नहीं कहा। उन्होंने मामले को राजनीतिक बताया और कहा कि वह इसका भंडाफोड़ करेंगे।
हालाँकि उस दिन उनके बेटे और गोंडा सदर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा विधायक प्रतीक ने कहा कि डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष 22 जनवरी को खेल निकाय की वार्षिक आम बैठक के बाद उनके ख़िलाफ़ यौन उत्पीडऩ के आरोपों पर एक बयान जारी करेंगे। आरोपों पर प्रतीक ने 22 जनवरी को खेल निकाय की वार्षिक आम बैठक के बाद अपने ब्यान में कहा- ‘मैं यहाँ अपने पिता की ओर से हूँ और मैं आप सभी को सूचित करना चाहता हूँ कि हम 22 जनवरी को डब्ल्यूएफआई की एजीएम के बाद ही एक लिखित बयान जारी करेंगे। हम पूरे भारत के सदस्यों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करना चाहते हैं और फिर कोई फ़ैसला लेंगे। हम जो भी निर्णय लेंगे, हम एक लिखित बयान के माध्यम से प्रेस को सूचित करेंगे।’