विप्रतियोगी परीक्षाओं के पारखियों का दावा है कि बिना किसी पुख़्ता कड़ी और पारंगत खिलाडिय़ों के बड़े पैमाने पर नक़ल का गोरखधन्धा हो ही नहीं सकता। हर खेल, ख़ासतौर से चोरी-चकारी और हेराफेरी में तो इन क्षेत्रों के गुरु होते हैं। नक़ल के गोरखधन्धे की संस्कृति एक अपारदर्शी षड्यंत्र सरीखी होती है। राजस्थान में शैक्षिक पात्रता से जुड़ी प्रतियोगी परीक्षा बड़े पैमाने पर हुए नक़ल के खेल के खलनायक और मुख्य कड़ी बत्तीलाल को बेशक एसओजी ने केदारनाथ से धर लिया; लेकिन उसकी गिरफ़्तारी से सांसद किरोड़ीलाल मीणा सन्तुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि बत्तीलाल तो इस पानी की छोटी मछली है। परीक्षा का आयोजन कराने वाले और वे लोग, जिनकी निगरानी में प्रश्न-पत्र था; असली घडिय़ाल तो वे थे। एसओजी उन पर हाथ डालने का हौसला क्यों नहीं जुटा रही? बत्तीलाल के साथ मलारणा डूंगर का शिवदास मीणा भी पकड़ा गया है। शिवदास जयपुर में गुर्जर की थड़ी के आस-पास हुक्काबार चलाता था।
बत्तीलाल से प्रश्न पत्र लेने और आगे परीक्षार्थियों तक पहुँचाने के लिए एसओजी ने 13 लोगों को गिरफ़्तार किया है। ऐसे में अब तक कुल 16 लोग गिरफ़्तार किये जा चुके हैं, जिनमें पाँच परीक्षार्थी और एक पुलिस कांस्टेबल भी शामिल है। सवाल उठते हैं कि बत्तीलाल को किस-किस ने पैसे दिये? प्रश्न पत्र बाहर लाने वालों में रसूख़दार लोग कौन-कौन थे? बत्तीलाल को जिसने प्रश्न पत्र दिया, क्या उसने प्रश्न पत्र आगे बाँटने का काम किया और वह कई घंटे पहले बाहर कैसे आया? नक़ल की पटकथा कैसे लिखी गयी? परीक्षा की घूसख़ोरी में किस-किसने अपने मुँह घुसा रखे थे? इतने बड़े संगठित गिरोह का मुखिया कौन है? उसकी इस मामले में क्या भूमिका है? और शिक्षा पात्रता परीक्षा का प्रश्न पत्र कब, कैसे और कहाँ से लीक हुआ? तय समय से कई घंटे पहले प्रश्न पत्र बाहर कैसे आया? परीक्षा तंत्र से जुड़े कर्मचारियों या अधिकारियों की इसमें कितनी संलिप्तता है?
बत्तीलाल को जाँच में फ़िलहाल सिर्फ़ एक कड़ी माना जा रहा है। उससे पहले 15 लोगों को एसओजी गिरफ़्तार कर चुकी है। लेकिन अभी सरगना तक नहीं पहुँचा जा सका है। सरकार परीक्षा के सफल आयोजन के लिए अपनी पीठ थपथपा रही है। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड भी पर्चा लीक होने की बात नहीं मान रहा। मामला उजागर होने के बाद बत्तीलाल के नेताओं के साथ जिस तरह के फोटो सामने आये उससे उसे प्रभाव का तो ख़ुलासा हुआ ही है, सन्देह भी उठता है कि कहीं यह अपराधियों और नेताओं की मिलीभगत का खेल तो नहीं है?
रीट यानी शिक्षक प्रतियोगी पात्रता परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक की घटना ने साबित किया है कि हमारे परीक्षा तंत्र में आसानी से सेंधमारी की जा सकती है। ऐसी घटनाएँ लगातार सामने आने से सरकार और परीक्षा एजेंसियों की साख गिरती है। वैसे भी संगठित गिरोह परीक्षा के सुरक्षित संचालन की प्रणाली में ख़ामियों का पूरा फ़ायदा उठाने की फ़िराक़ में रहते हैं। यह खेल मिलीभगत के बिना कामयाब नहीं हो सकता। नक़ल से पास होने की चाह रखने वाले अभ्यर्थी ऐसे गिरोह के आसान निशाना होते हैं। नक़ल के लिए जो तरीक़े अपनाये गये हैं, वो भी सभी को चौंकाते हैं। ऐसे में मेहनत के बूते ईमानदारी से परीक्षा देने वाले लाखों परिजन भी ख़ासे प्रभावित हुए हैं। मानसिक तनाव तो वे झेलते ही हैं और तंत्र से भी उनका भरोसा टूटता है। सभी चाहते हैं कि इस मामले का शीघ्रता से ख़ुलासा होना चाहिए। आख़िर 25 लाख से अधिक अभ्यर्थियों का भविष्य और उम्मीदें इस परीक्षा से जुड़ी हुई है। भविष्य में भी भर्तियों के लिए परीक्षाएँ होती रहेंगी। सख़्त सज़ा का प्रावधान लागू कर इस तरह की धाँधली को रोका जाना चाहिए। सूत्रों का कहना है कि रीट की परीक्षा शुरू होने के तय समय 10:00 बजे से पहले ही परीक्षा केंद्र के बाहर पहुँच चुका था। सवाई माधोपुर ज़िले के कुछ परीक्षा केंद्रों पर इस गड़बड़ी का ख़ुलासा हुआ है।
इस मामले में दो पुलिसकर्मियों सहित आठ लोगों को गिरफ़्तार किया है। गिरफ़्तार आरोपियों में शामिल पुलिस कांस्टेबल देवेन्द्र गुर्जर के मोबाइल में रीट प्रश्न पत्र मिला है, जिसकी रविवार सुबह 8.32 बजे फोटो खींची गयी थी। कांस्टेबल के अलावा सवाई माधोपुर शहर उप अधीक्षक के रीडर यदुवीर सिंह तथा दो अन्य को परीक्षा से पहले ही गिरफ़्तार कर लिया गया था। इसके बाद परीक्षा केंद्र पर ही दोनों पुलिसकर्मियों की पत्नियों सहित चार परीक्षार्थी महिलाओं की पहचान कर उनकी कॉपी में टिप्पणी भी डाली गयी। परीक्षा केंद्र से निक़लते ही चारों को गिरफ़्तार भी कर लिया गया। वहीं बोर्ड अधिकारियों का कहना है कि प्रश्न पत्र कोषागार तक सुरक्षित पहुँचा दिया गया। फिर क्यों कर प्रश्न पत्र लीक हुआ? जबकि सुरक्षा का पूरा ज़िम्मा पुलिस के पास था। सवाई माधोपुर वाले मामले में हमें अभी कोई रिपोर्ट नहीं मिली है। गिरफ़्तार कांस्टेबल देवेन्द्र वन विभाग में प्रतिनियुक्ति पर है। इसके साथ ही दूसरा आरोपी हैड कांस्टेबल यदुवीर सिंह सवाई माधोपुर शहर उप अधीक्षक का रीडर है। दोनों की परीक्षा में ड्यूटी नहीं थी। वे अपनी पत्नियों के लिए प्रश्न पत्र जुगाडऩे में जुटे थे। अभी तक की पड़ताल में सामने आया है कि प्रश्न पत्र एक गिरोह ने कहीं से हथियाया था। उनसे दोनों पुलिसकर्मी सम्पर्क में थे। इससे साफ़ है कि गिरोह के पास प्रश्न पत्र 8:32 बजे से पहले ही पहुँच चुका था। अब पुलिस इस पड़ताल में जुटी है कि आख़िर प्रश्न पत्र किस केंद्र से लीक हुआ तथा किस-किस के पास पहुँचा?
अलबत्ता यह बात सही है कि पूरी सख़्ती के बावजूद ‘रीट’ परीक्षा में परीक्षार्थी नक़ल की जुगत लगाने से बाज़ नहीं आये। हालाँकि यह सच है कि पुलिस ने परीक्षा शुरू होने से पहले एक महिला सहित पाँच अभ्यर्थियों को दबोच लिया था। बीकानेर पुलिस की सूचना पर अजमेर के किशनगढ़ एवं सीकर के नीमकाथाना में एक एक एवं प्रतापगढ़ में दो अभ्यर्थियों को गिरफ़्तार किया गया था। पुलिस अधीक्षक प्रीतीचन्द्रा ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर नोखा रोड स्थित नया बस स्टेंड से एक महिला समेत पाँच लोगों को दबोचा। इनके पास से नक़ल कराने वाली सामग्री ज़ब्त की गयी। दिलचस्प बात है कि नक़ल माफिया तुलसाराम ने प्रदेश भर में 25 से अधिक लोगों को विशेष डिवाइस लगी चप्पलें उपलब्ध करायी थीं। तुलसाराम फ़िलहाल फ़रार है। रीट प्रश्न पत्र लीक मामले का सरगना बाड़मेर निवासी भजनलाल विश्नोई निकला है। पुलिस अधिकारी पृथ्वीराज मीणा ने पूछताछ में इसका ख़ुलासा किया। एसओजी सूत्रों के मुताबिक, मनरेगा में कनष्ठि तकनीकी सहायक पृथ्वीराज ने पूछताछ में इस बात को क़ुबूल किया है कि बाड़मेर निवासी भजनलाल ने परीक्षा से पहले रीट का प्रश्न पत्र उसको दिया था। आरोपी ने बताया कि बाड़मेर में पोस्टिंग के दौरान भजनलाल से उसकी मुलाक़ात हुई थी। भजनलाल ने पृथ्वीराज को रीट के आयोजन से आठ-नौ दिन पहले व्हाट्सऐप कॉल किया और प्रश्न पत्र उपलब्ध कराने पर प्रत्येक परीक्षार्थी 12 लाख रुपये बताये। इसके बाद पृथ्वीराज ने उसके साथी लाइनमैन रवि मीना उर्फ़ रवि पागड़ी और मीना जीनापुर तथा बत्तीलाल मीना से प्रश्न पत्र बेचने के सम्बन्ध में बातचीत की। भजनलाल ने 26 सितंबर तडक़े 3:45 बजे रीट प्रश्न पत्र पृथ्वीराज को व्हाट्सऐप पर उपलब्ध करवाया। पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह ने बताया कि पृथ्वीराज गैंग ने यहाँ पर पकड़े गये परीक्षार्थियों के अलावा 14 परीक्षार्थियों को प्रश्न पत्र तीन लाख, सात लाख, आठ लाख और 10 लाख रुपये में बेचा।