पंजाब में सिर उठा रहे आतंकी संगठन

तरनतारन की घटना से सुरक्षा एजेंसियाँ हुईं चौकन्नी, आईएसआई की साज़िश

क्या कुछ ताक़तें पंजाब में आतंकवाद को फिर ज़िन्दा करने की कोशिश कर रही हैं? राज्य के तरनतारन में सरहाली थाने को 9 दिसंबर को जिस तरह रॉकेट लॉन्चर से निशाना बनाया गया और इसकी ज़िम्मेदारी प्रतिबन्धित ख़ालिस्तानी आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस ने ली, उससे सुरक्षा एजेंसियाँ चौकन्नी हो गयी हैं। प्रदेश में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद राज्य की क़ानून व्यवस्था की स्थिति पर पहले से ही सवाल उठ रहे हैं, और अब इस घटना से भगवंत सिंह मान सरकार को विपक्ष ने निशाने पर ले लिया है।

इस घटना में रॉकेट लॉन्चर से हमला किया गया। हालाँकि इसमें किसी की जान नहीं गयी। घटना की गम्भीरता इस बात से लग जाती है कि सरकार ने आनन-फ़ानन क्षेत्र के एसएचओ को हटा दिया और मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से ख़ास मुलाक़ात की। मुख्यमंत्री ने गृह मंत्री के सामने पंजाब की सीमा पर फेंसिंग का मुद्दा उठाया। मान ने यह भी बताया कि पंजाब की सीमाओं को लेकर गृह मंत्री ने ज़रूरी सुझाव दिये हैं। इस घटना के बाद पंजाब और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियाँ चौकन्नी हो गयी हैं।

हाल के महीनों में पंजाब में आतंकवाद के फिर सिर उठाने की आशंका बढ़ी है। सुरक्षा एजेंसियों को मिले इनपुट्स और कुछ इंटेरसेप्ट्स इस बात का संकेत करते हैं कि एक समय लगभग ख़त्म कर दिये गये आतंकी संगठन और ख़ालिस्तानी तत्व सक्रिय और एकजुट होने के कोशिशें कर रहे हैं। इसे लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय समय-समय पर पंजाब सरकार को इनपुट्स देता रहा है।

जब यह घटना हुई, तो पंजाब के पुलिस प्रमुख गौरव यादव समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौक़े पर पहुँचे और यह जानने की कोशिश की कि क्या यह घटना विदेश से संचालित है और इसके पीछे आतंकी संगठन हैं। अभी तक जो चीज़ें सामने आयी हैं, उनसे यह ज़ाहिर हो गया है कि इसके पीछे आतंकी संगठन है। यह राकेट रात क़रीब 1:00 बजे दाग़ा गया, जो थाने के लोहे के गेट से टकराकर थाने में बने साँझ केंद्र में जा गिरा। इस घटना में थाने के इमारत में खिड़कियों के शीशे टूट गये।

यह जाँच चल ही रही थी कि पुलिस थाने पर हुए रॉकेट हमले की ज़िम्मेदारी प्रतिबन्धित ख़ालिस्तानी आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस ने ले ली। इसके बाद सुरक्षा एजेंसियों ने जाँच का दायरा बड़ा करके इसकी छानबीन शुरू कर दी है। साथ ही सुरक्षा तंत्र को भी मज़बूत किया जा रहा है, ताकि ऐसी घटना का दोहराब न हो। बहुत से सुरक्षा जानकारों को लगता है कि पंजाब में नयी सरकार होने के कारण आतंकी दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

इस घटना की राजनीतिक नुक़सान को समझते हुए आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी बयान जारी करने में देरी नहीं की। उन्होंने कहा- ‘इस घटना पर कड़ी कार्रवाई होगी। जब से आप सत्ता में आयी है, पंजाब में बड़े गैंगस्टर पकड़े गये हैं। पुराने दलों के संरक्षण में काम कर रहे लोगों को पकड़ा गया है।’

इस घटना के लिए ख़ालिस्तानी संगठन के ज़िम्मा लेने से चिन्ता इसलिए पसरी है, क्योंकि अगस्त में भी पंजाब में ऐसा आतंकी हमला हो चुका है। उस समय पंजाब पुलिस के ख़ुफ़िया विभाग के मोहाली स्थित मुख्यालय पर राकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड (आरपीजी) से आतंकियों ने हमला किया था। इसके तार कनाडा में बैठे आतंकी लखबीर सिंह लांडा से साथ जुड़े थे।

मोहाली में ख़ुफ़िया विभाग के मुख्यालय पर हमले, पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या, हिन्दू नेता सुधीर सूरी की हत्या से जुड़े इनपुट केंद्रीय एजेंसियों ने पुलिस को दिये थे। तरनतारन की इस घटना का भी अग्रिम अलर्ट दिया गया था। पिछले वर्ष 23 दिसंबर को लुधियाना के ज़िला अदालत में आइईडी ब्लास्ट हुआ था, जिसका अलर्ट 9 दिसंबर को ही ख़ुफ़िया एजेंसियों ने पुलिस को भेजा था।

याद रहे इस मामले की जाँच एनआईए कर रही है। इससे पहले जुलाई में इसी क्षेत्र में एक आतंकी को ढाई किलो आरडीएक्स और आइईडी के साथ गिरफ़्तार किया गया था। सीमावर्ती राज्य होने के कारण पंजाब में इस तरह के खतरे को लेकर सुरक्षा एजेंसियाँ हमेशा आगाह करती रही हैं।

पुलिस की लापरवाही

पंजाब में हुए आतंकी हमलों में पहले भी केएलएफ और लखबीर का नाम आता रहा है। एजेंसियों का मानना है कि लखबीर ने इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (आईएसवाईएफ) के प्रमुख लखबीर सिंह रोडे के माध्यम से तरनतारन ज़िले में अपना नेटवर्क बनाया है। रोडे युवाओं को ख़ालिस्तान मूवमेंट से जोडऩे का काम करता रहा है। घटना के बाद पुलिस ने लखबीर के गुर्गों की तलाश में छापेमारी भी की है। राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) और केंद्रीय फोरेंसिक टीम भी घटनास्थल का गहन जायज़ा ले चुकी है। आरपीजी लॉन्चर भी टीम ने क़ब्ज़ें में लिया है।