पंजाब कांग्रेस का संकट हल होने के करीब, सिद्धू से मिलकर अब प्रियंका-राहुल-सोनिया मुलाक़ात

पंजाब में कांग्रेस का संकट हल होने के नजदीक पहुँच रहा है। अहमद पटेल की मौत के बाद कांग्रेस में संकट मोचक की भूमिका संभाल रहीं प्रियंका गांधी से बुधवार पंजाब के पार्टी नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान ही प्रियंका राहुल गांधी से मिलने उनके तुगलक रोड स्थित आवास पर गईं। सिद्धू के जाने के बाद प्रियंका गांधी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने दस जनपथ पहुंचीं। इसके बाद सोनिया गांधी से प्रियंका और राहुल गांधी उनके आवास पर मिले हैं। पंजाब संकट हल करने के लिए बनी तीन सदस्यी समिति की भी बैठक हो रही है।

सिद्धू और राहुल से मुलाकात के बाद प्रियंका सोनिया गांधी से मिलीं और उसके बाद राहुल-प्रियंका एक साथ सोनिया गांधी से मुलाकात करने पहुंचे। ‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक सिद्धू के लिए कांग्रेस आलाकमान ने रोल तय कर लिया है और सिद्धू ने इसके लिए सहमति जता दी है। अब कांग्रेस की पंजाब को लेकर बनी समिति बैठक कर रही है। संभावना है जल्द ही पंजाब को लेकर हुए फैसले पर अमल किया जाएगा। हो सकता है समिति सदस्य प्रेस कांफ्रेंस करें।
प्रियंका से मुलाकात के बाद अपने ट्वीटर हैंडल पर सिद्धू ने मुस्कुराते हुए एक तस्वीर डाली है। इस तस्वीर में प्रियंका भी मुस्कुराती हुई दिख रही हैं। ‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक पंजाब में कांग्रेस का संकट हल होने के करीब है। सिद्धू को पंजाब में उपमुख्यमंत्री या प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का जिम्मा देने के अलावा प्रचार समिति का अध्यक्ष भी बनाया जा सकता है। कांग्रेस ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर महासचिव का पद देने की भी बात की थी।
कांग्रेस ने सिद्धू के लिए जो रोल चुना है उसके लिए सिद्धू ने अपनी सहमति जता दी है। इसकी जानकारी देने ही संभवता प्रियंका गांधी राहुल गांधी से मिलने गईं। प्रियंका इसकी जानकारी सोनिया गांधी को देने गईं। इसके बाद सोनिया-प्रियंका दोनों राहुल गांधी से मुलाकात करने पहुंचीं।
कल राहुल गांधी ने एक ट्वीट में बताया था कि सिद्धू से उनकी कोई मुलाकात नहीं हुई है न अभी तक ऐसी कोई मुलाकात प्रस्तावित है। ऐसा माना जाता है कि राहुल गांधी सिद्धू के सार्वजनिक बयानों से प्रसन्न नहीं थे और यही कारण है कि उन्होंने सिद्धू से मुलाकात नहीं होने की बात ट्वीटर पर सार्वजनिक रूप से बताई। हालांकि, आपतौर पर राहुल ऐसा कभी करते नहीं हैं।
हाल के समय से राज्यों में राहुल गांधी के पसंद के नेताओं को अध्यक्ष का जिम्मा दिया जा रहा है। यह इस बात का संकेत है कि अध्यक्ष का चुनाव होने से पहले ही राहुल पार्टी में मुख्य भूमिका में आ चुके हैं। चुनाव में राज्यों के अध्यक्ष उनकी पसंद के होने से उन्हें आसानी रहेगी। ऐसे में चुनाव होता भी है तो भी राहुल ही अध्यक्ष बनेंगे जो संभवता पार्टी का बहुत बड़ा वर्ग चाहता भी है।
केरल, तेलंगाना और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में राहुल की पसंद के अध्यक्ष बन चुके हैं।
हाल में तेलंगाना में राहुल के भरोसेमंद सांसद रेवंत रेड्डी को पुराने लोगों पर तरजीह देते हुए अध्यक्ष बनाया गया है। वरिष्ठों के तमाम विरोध के बावजूद तेलंगाना में रेवंत रेड्डी को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपने से जाहिर हो गया है कि राहुल का सिक्का पार्टी में चल रहा है।
इसी तरह कुछ समय पहले महाराष्ट्र में नाना पटोले को प्रदेश कांग्रेस का जिम्मा देने का फैसला भी राहुल गांधी का ही है। यह जगजाहिर है कि राहुल गांधी महाराष्ट्र में स शिव सेना-एनसीपी के साथ सरकार में शामिल होने के पक्ष में नहीं थे। राहुल सरकार में शामिल होने से ज्यादा संगठन को मजबूत करने पर जोर दे रहे हैं।
उधर केरल में सुधाकरण को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाकर राहुल गांधी ने वहां पार्टी और संगठन का स्वरुप ही बदल दिया है। यही नहीं वहां वीडी सतीशन को विपक्ष का नेता बना दिया गया है। राहुल केरल से ही सांसद हैओं और हाल में पार्टी वहां सरकार बनाने में सफल नहीं हुई थी। वरिष्ठ नेता रमेश चेन्निथला और पूर्व सीएम ओमान चांडी इससे विचलित हुए और उन्होंने आवाज उठाने की भी कोशिश की लेकिन अंतता राहुल का फैसला उन्हें स्वीकार करना पड़ा।
अब पंजाब की बारी है। देखना है वहां के लिए पार्टी का क्या फैसला आता है। संभावना प्रवल है कि सिद्धू को वहां बड़ी जिम्मेवारी दी जाएगी। यही नहीं वहां किसी दलित विधायक को भई बड़ा पद मिल सकता है।