मैं मानता हूं कि कहीं न कहीं इस व्यवस्था में पहली बार काम करने के चलते इसे बदलने में कई दिक्कतें होंगी. पूरी व्यवस्था पहले से ही हमारे खिलाफ काम कर रही है. लेकिन हमें ऐसे लोग नहीं चाहिए जिनका अनुभव बस इस पारंपरिक व्यवस्था में ही काम करने का हो. हम यह व्यवस्था बदलना चाहते हैं. अगर हम इसी व्यवस्था के लोगों को लाते हैं तो वे इस व्यवस्था के हिसाब से ही काम करेंगे. ऐसे में काम बनने की बजाय बिगड़ेगा.
वकील होने के नाते मैं व्यवस्था पर दबाव बना सकता था, लेकिन कानूनी प्रक्रिया मुझे बांध देती थी. आपको अदालत जाना होता है, मामला लड़ना होता है और नतीजे का इंतजार करना होता है. यह एक लंबी प्रक्रिया है. एक प्रशासक के रूप में आप सीधे काम कर सकते हैं.
अवलोक लांगर से बातचीत पर आधारित