नाबालिगों तक हुक्का

देश के छोटे-बड़े शहरों में चल रहे कुछ हुक्का बार नाबालिगों को भी परोस रहे तम्बाकू

बड़े शहरों में नशेड़ियों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ छोटे शहरों में नशेड़ी युवा और किशोर बढ़ रहे हैं। युवाओं और नाबालिगों को नशे के चंगुल में फँसाने वालों को इससे कोई मतलब नहीं कि वे कितना बड़ा अपराध कर रहे हैं। कानूनी तौर पर तमाम प्रतिबंधों के बावजूद आजकल हुक्का बारों में नाबालिगों को तम्बाकू तथा अन्य नशीले पदार्थ आसानी से मिल जाते हैं। भारत के बड़े शहरों से लेकर छोटे शहरों (टियर-II शहरों) तक में हुक्का बारों में जाकर हुक्के और चिलम से दम लगाने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसी को लेकर तहलका एसआईटी की एक खोजी रिपोर्ट :-

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‘मुझे नाबालिगों को हुक्का परोसने में कोई समस्या नहीं है। वे तम्बाकू का जो भी स्वाद माँगेंगे, स्ट्रॉन्ग या लाइट; मैं उनकी सेवा करूँगा। लेकिन हमें उस दौरान बहुत सावधान रहना होगा। अगर मेरे कैफे में नाबालिगों की हुक्का पार्टी करने की खबर लीक हो गयी, तो हम दोनों मुश्किल में पड़ जाएँगे। अधिकारी मेरा कैफे बन्द कर देंगे। कुछ ऐसा ही हाल बगल में स्थित कैफे का हुआ था। करीब 14-15 साल की एक लड़की कैफे में हुक्का पीती पकड़ी गयी। कैफे को सील कर दिया गया था, और तीन साल बाद जाकर ही उसे खोलने की अनुमति मिल पायी।’ यह बात कोलकाता स्थित क्लब 21 के प्रबंधक सपन देव ने ‘तहलका’ रिपोर्टर से कही।

बेशक कई लोग हुक्के को अपेक्षाकृत हानिरहित शगल के रूप में लेते हैं; लेकिन हुक्का धूम्रपान जल्दी ही एक आदत में भी बदल सकता है। फिर इसे लत में बदलने में भी देर नहीं लगती।

रेलवे के एक सेवानिवृत्त अधिकारी के इकलौते बेटे 21 वर्षीय निशेष (बदला हुआ नाम) ने ‘तहलका’ से बातचीत में बताया- ‘एक समय पर जब मेरे माता-पिता ने मुझे पैसे देना बन्द कर दिया, तो मैंने हुक्के की अपनी आदत को पूरा करने के लिए अपनी किडनी बेचने में मदद के लिए एक एजेंट से भी सम्पर्क किया था। मुझे स्कूल में हुक्का पीने की लत लग गयी थी, और जब मैं आगे की पढ़ाई के लिए एक इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिल हुआ, तब यह समस्या और गम्भीर हो गयी।’
निशेष के मुताबिक, जब वह सातवीं कक्षा में था, तब उसने दोस्तों के साथ समय बिताने के लिए धूम्रपान करना शुरू किया। जैसे-जैसे समय बीतता गया, उन्हें अकसर धूम्रपान करने का चस्का लग गया। धीरे-धीरे यह आदत लत में बदल गयी। लेकिन शुक्र है, परामर्श सत्रों की एक शृंखला के बाद निशेष ने आखिरकार इस आदत से छुटकारा पा लिया है और अब वह सामान्य जीवन जी रहा है। वर्तमान में वह सरकारी नौकरी में शामिल होने के लिए अपने नियुक्ति पत्र का इंतजार कर रहा है। निशेष अकेला नहीं है, जिसे हुक्का पीने की लत लग गयी है। पेशे से कैब ड्राइवर विक्की (बदला हुआ नाम) को 17 साल की उम्र में हुक्का पीने की लत लग गयी थी। वह जो भी कमाता, हुक्का पर उड़ा देता था। नशे की लत ने उसके पारिवारिक जीवन पर गहरा असर डाला, जिसका नतीजा यह हुआ कि उसकी हुक्के की आदत से परेशान उसकी पत्नी उसे 28 साल की उम्र में हमेशा के लिए छोड़कर चली गयी और उसका बेटा भी पत्नी के साथ ही चला गया।

उपरोक्त दो उदाहरणों से संकेत मिलता है कि भारत में लोग, विशेष रूप से नाबालिग गाँजा पीने और धूम्रपान करने या अन्य नशीली दवाओं के विकल्प के रूप में हुक्के की तरफ आकर्षित होने लगे हैं। लोग सोचते हैं कि हुक्का धूम्रपान नुकसानदायक ड्रग्स का एक अपेक्षाकृत हानिरहित विकल्प है और अन्य अवैध मनोरंजनों, विशेष रूप से शराब की तुलना में इसे हासिल करना भी आसान है। जब आप 18 वर्ष के हो जाते हैं, तब कानूनी रूप से तम्बाकू खरीद सकते हैं। हाई स्कूल में कुछ वरिष्ठ छात्र उन उत्पादों को खरीदने के लिए पर्याप्त अनुभवी होते हैं, जिनमें वे चीजें भी शामिल हैं, जिन्हें वे हुक्के में डालकर धूम्रपान कर सकते हैं। वे इन उत्पादों को खरीदते हैं और उन्हें अपने छोटे साथियों को देते हैं। जाहिर है शराब की तुलना में तम्बाकू प्राप्त करना आसान है।

हालाँकि हुक्का बार, जो भारत भर के महानगरों और टियर-II शहरों में तेजी से बढ़ रहे हैं; अब दबाव महसूस करने लगे हैं। एक के बाद एक राज्य सरकारें उन पर प्रतिबंध लगा रही हैं। न केवल किशोरों को हुक्का आसानी से उपलब्ध कराने के लिए, बल्कि उन सामग्रियों का उपयोग करने के लिए भी, जो कानून की नजर में अवैध हैं। नाबालिगों को तम्बाकू परोसने के लिए बेंगलूरु, हैदराबाद, नोएडा, गाजियाबाद, दिल्ली, चंडीगढ़, कोलकाता आदि शहरों में हुक्का बार में समय-समय पर छापेमारी की गयी हैं; इसके बावजूद शहरी युवाओं के लिए हुक्का बार पसंदीदा ठिकाने बने हुए हैं।

हाल में पश्चिम बंगाल सरकार ने सार्वजनिक स्वास्थ्य पर हुक्का तम्बाकू के प्रतिकूल प्रभाव का हवाला देते हुए कोलकाता में हुक्का बार पर प्रतिबंध लगा दिया। फैसले की घोषणा करते हुए कोलकाता के मेयर फरहाद हकीम ने कहा कि कोलकाता नगर निगम (केएमसी) शहर में हुक्का बार संचालित करने वाले रेस्तरां के लाइसेंस रद्द कर देगा। उन्होंने कहा कि प्रशासन को शिकायतें मिली थीं कि इन बारों में हुक्के में कुछ नशीले पदार्थों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप युवा नशेड़ी बन रहे हैं। मेयर ने कहा कि हुक्के में सलाखों द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले रसायन स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हैं। इसलिए हमने उन्हें बन्द करने का फैसला किया है।

यह समझाने के लिए कि क्यों एक के बाद एक राज्य सरकारें सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव का हवाला देते हुए हुक्का बारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही हैं? ‘तहलका’ ने पश्चिम बंगाल सरकार के कोलकाता में उनके खिलाफ कार्रवाई की घोषणा करने से बहुत पहले इन बारों पर एक जाँच की थी। जाँच में खुलासा हुआ कि कैसे कुछ हुक्का बार नाबालिगों को तम्बाकू के साथ हुक्का परोस रहे थे, जो उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

भारत के संघीय खाद्य, औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम के अनुसार, खुदरा विक्रेता के लिए अब 21 वर्ष से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को सिगरेट, सिगार, ई-सिगरेट और हुक्का (शीशा) सहित कोई भी तम्बाकू उत्पाद बेचना अवैध है। लेकिन ‘तहलका’ की पड़ताल से जाहिर होता है कि कैसे हुक्का बार कम उम्र के मेहमानों को नशे के साथ तम्बाकू से भरा हुक्का परोसते हैं।

हम पहली बार क्लब 21, कोलकाता में बावर्ची व प्रबंधक सपन देव से मिले। हमने सपन से एक काल्पनिक सौदे के साथ सम्पर्क किया कि हम उसके बार में 40 मेहमानों की बर्थ-डे पार्टी आयोजित करना चाहते हैं, जिनमें ज्यादातर नाबालिग बच्चे हैं; जो पार्टी में हुक्का पी रहे होंगे। सपन ने हमारे प्रस्ताव पर तुरन्त हामी भर दी। हमारे द्वारा की गयी इस मुलाकात में क्लब 21, कोलकाता में बावर्ची व प्रबंधक सपन देव ने काफी कुछ ऐसा कहा, जो चौंकाने वाला है।

रिपोर्टर : एक पार्टी आयोजित करनी है।

सपन

सपन : कौन-सी तारीख को?
रिपोर्टर : ये पब है न! क्लब 21; …हमने 26 जनवरी को एक पार्टी आयोजित करनी है, 40 लोगों की।
सपन : कितने बजे होगी?
रिपोर्टर : शाम को होगी, …बर्थ-डे पार्टी है।
सपन : हम्म, उस दिन …एक छोटा हाल है, वो ही दे पाएँगे। पूरा नहीं दे पाएँगे।
रिपोर्टर : 40 हैं।
सपन : 40 हैं, …बच्चे हैं?
रिपोर्टर : हमने देख लिया।
सपन : आपने देख लिया छोटा वाला? वास्तव में हुक्का बार है यह।
रिपोर्टर : बच्चों के लिए हुक्का तो चल जाएगा न?
सपन : अंडर 18 को वास्तव में अनुमति नहीं है। अभी अभिभावक हैं, वो ही अनुमति दे सकते हैं। पीयो-न-पीयो, आपका मामला है।
रिपोर्टर : आपको कोई दिक्कत नहीं है?
सपन : नहीं, हमको नहीं है।
रिपोर्टर : अगर कोई बच्चा हुक्का पीये, तो आपको कोई दिक्कत नहीं है?
सपन : नहीं है। अगर उसका अभिभावक इज़ाज़त देगा, तो हमें कोई परेशानी नहीं है।

अब सपन ने अपने हुक्का बार में परोसे जाने वाले तम्बाकू के फ्लेवर के बारे में ‘तहलका’ को बताया। उनके मुताबिक, उनके बार में तम्बाकू के करीब 18 फ्लेवर (सुगंध) परोसे जाते हैं।

रिपोर्टर : कितने टाइप का तम्बाकू मिलेगा उसमें?
सपन : कितने टाइप का तम्बाकू होगा?
रिपोर्टर : तम्बाकू कितने तरह के होंगे?
सपन : इसमें कितना हम देख लेते हैं शायद। हम लोगों के पास अभी 17-18 फ्लेवर का है।
रिपोर्टर : का तम्बाकू?
सपन : हाँ।

हमने सपन देव से आश्वासन लेने की कोशिश की कि वह अन्तिम समय में अपने हुक्का बार में बच्चों को जाने देने के अपने वादे से पीछे नहीं हटेंगे। हालाँकि सपन ने हमारी आशंका को दूर करने की कोशिश की। उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि 15-16-17 आयु वर्ग के सभी 40 नाबालिग बच्चे हुक्का पार्टी के लिए उनके कैफे का उपयोग कर सकते हैं।

रिपोर्टर : ऐसा तो नहीं है, आपसे बात हुई है। हम आपको पैसा दें और आप बाद में नकार दें कि बच्चों के लिए हुक्का बार नहीं चलेगा?
सपन : नहीं, नहीं; वो नहीं होगा।
रिपोर्टर : मैं पहले ही बता रहा हूँ, …16 साल के बच्चे हैं। मस्ती करेंगे, …40 बच्चे हैं। 15-16-17 किशोर श्रेणी के होंगे, वो कर लेंगे अपने आप। यहाँ आइसोलेशन में डांस वगैरह सब कर लेंगे।
सपन : सब कर लेंगे, पर्सनल (निजी) है।

अब सपन ने 40 नाबालिग बच्चों के लिए जरूरी हुक्का की संख्या बतायी। उनके मुताबिक, एक हुक्का तीन बच्चों द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है।

रिपोर्टर : सपन जी! यह बताएँ कि इसमें 40 बच्चे हैं, …40 बच्चों के लिए कितना हुक्का ठीक रहेगा?
सपन : 40 बच्चों में एक हुक्का तीन आदमियों के लिए शेयर हो सकता है। उससे ज्यादा नहीं।
रिपोर्टर : एक हुक्का तीन आदमियों में।
सपन : हम्म।

सपन के मुताबिक, हमें 40 बच्चों के लिए 12 से 15 हुक्का चाहिए। इस संख्या के नीचे एक किलजॉय (आनन्द रहित) होगा, क्योंकि हम हुक्का का आनन्द नहीं ले जाएँगे।

रिपोर्टर : तो 40 बच्चों में कितने हुक्का आप देंगे?
सपन : उस हिसाब से 12 या 15 लेना चाहिए।
रिपोर्टर : 12-15 हुक्का?
सपन : हाँ, अगर इससे कम लेंगे, तो आपका फ्लेवर जल जाएगा।
रिपोर्टर : मजा नहीं आएगा?
सपन : मजा नहीं आएगा।

अब सपन ने हमें हुक्का में इस्तेमाल होने वाले तम्बाकू के फ्लेवर के नाम बताये। उनके मुताबिक, वह हुक्का में ट्री-पन, पान, सेब और रसभरी फ्लेवर का इस्तेमाल करेंगे।