दूरसंचार क्षेत्र के लिए मुफ़्त सुविधाएँ ठोस समाधान नहीं!

मुफ़्तउपहार हमारे लिए कोई नयी चीज़ नहीं है। यह किसी समस्या को दूर करने का एक तरीक़ा ज़रूर है; लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं। सरकार ने समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) को फिर परिभाषित करके ठीक ही किया है, चाहे ठोस रूप से नहीं; लेकिन स्पेक्ट्रम के जीवन में 10 साल की वृद्धि करके एक क़दम बढ़ाया है। वित्तीय बाधाओं को दूर करके दूरसंचार क्षेत्र के लिए एक जीवन रेखा प्रदान की है। इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि सभी स्पेक्ट्रम और एजीआर बक़ाया पर चार साल की मोहलत दी है।

हालाँकि सरकार ने स्थगन अवधि के अन्त में भी शेष बक़ाया राशि को इक्विटी में बदलने का विकल्प बरकरार रखा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या दूरसंचार क्षेत्र जिन समस्यायों का सामना कर रहा है, उनका यह रामबाण इलाज है?

वोडाफोन, आइडिया और भारती एयरटेल इन नयी घोषणाओं के सबसे बड़े लाभार्थी हैं। इसमें कोई हैरानी नहीं कि भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल, रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी, आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला और वोडाफोन ग्रुप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी निक रीड ने इस क़दम का स्वागत किया है। मित्तल ने नीतिगत क़दमों को मौलिक सुधार बताया, जबकि जियो ने उन्हें इस क्षेत्र को मज़बूत करने की दिशा में समयबद्ध क़दम बताया। निक रीड ने सरकार के संकल्प की सराहना करते हुए कहा कि इससे भारत में प्रतिस्पर्धी और टिकाऊ दूरसंचार क्षेत्र मज़बूत होगा। वोडाफोन आइडिया के पतन से विदेशी निवेश आकर्षित करने में भारत की छवि प्रभावित होती। अब इन उपायों से कम्पनी को अल्पावधि में भारत में अपना परिचालन जारी रखने में मदद मिलेगी। सरकार द्वारा घोषित किये गये सुधार दूरसंचार क्षेत्र को अस्थिर करने में एक लम्बा सफ़र तय करेंगे।

सुधारों का स्वागत करते हुए एयरटेल के एमडी और सीईओ गोपाल विट्टल ने कहा कि नये सुधार इस रोमांचक डिजिटल भविष्य में निवेश करने के हमारे प्रयासों को और बढ़ावा देंगे और हमें भारत की डिजिटल अर्थ-व्यवस्था में अग्रणी खिलाडिय़ों में से एक बनाने में सक्षम करेंगे। हालाँकि अभी और अधिक करने की आवश्यकता है, फिर भी उद्योग की उचित वापसी सुनिश्चित करने के लिए यह एक स्थायी टैरिफ व्यवस्था की ओर जानी की कोशिश तो है ही।

भारत के सबसे बड़ी सेवा प्रदाता रिलायंस जियो की मूल कम्पनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र अर्थ-व्यवस्था के प्रमुख प्रेरकों में से एक है और भारत को एक डिजिटल समाज बनाने के लिए प्रमुख प्रवर्तक है। भारत सरकार द्वारा सुधारों और राहत उपायों की घोषणा का स्वागत है। यह क़दम उद्योग को डिजिटल इंडिया के लक्ष्यों को हासिल करने में सक्षम बनाएगा। वोडाफोन पर जहाँ सरकार के क़रीब 50,000 करोड़ रुपये बक़ाया हैं, वहीं भारती एयरटेल पर सरकार के क़रीब 26,000 करोड़ रुपये बक़ाया हैं। वास्तव में राहत उपाय (बेलआउट) से घाटे में चल रही वोडाफोन-आइडिया और दो अन्य बड़े खिलाडिय़ों- भारती एयरटेल और रिलायंस जियो दोनों को फ़ायदा होगा। वोडाफोन आइडिया, जो बन्द होने के कगार पर था, उसके पास अन्तर आवृत्ति बैंड में कुल 1,849.6 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम है, जिसमें से 1,714.8 मेगाहर्ट्ज उदारीकृत है और इसका उपयोग किसी भी तकनीक (2जी, 3जी, 4जी या 5जी) के लिए किया जा सकता है। सन् 2014 से सन् 2016 के बीच नीलामी के माध्यम से प्राप्त 1316.8 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम केवल साल 2034 से 2036 तक वैध है। इस क़दम से मुख्य रूप से वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल को लाभ होने की उम्मीद है, जो बड़े एजीआर बक़ाया से दु:खी हैं।

राहत से उनके वित्तीय बोझ को कम करने, क्षेत्र में नौकरियों को बचाने में मदद करने और उद्योग में बहुत ज़रूरी प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने की सम्भावना है। याद रहे कि वोडाफोन आइडिया ने अगस्त में अपने 23 जुलाई के आदेश की समीक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया था, जिसमें सरकार को एजीआर बक़ाया की गणना में त्रुटियों को ठीक करने की अनुमति देने के लिए कम्पनियों की याचिका ख़ारिज कर दी गयी थी।

विशेषज्ञों के अनुसार, दूरसंचार क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए सबसे अच्छी नीति यह होनी चाहिए कि किसी नवागंतुक को मुफ़्तस्पेक्ट्रम दिया जाए और कम्पनी के एक निश्चित बाज़ार हिस्सेदारी पर क़ब्ज़ा करते ही औसत सकल राजस्व पर लाइसेंस शुल्क लागू किया जाए। भारत अब स्वचालित मार्ग के माध्यम से इस क्षेत्र में 100 फ़ीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देता है। यह एक निवेशक के अनुकूल माहौल में वापसी का संकेत देता है, कम-से-कम काग़ज़ पर तो यही लगता है। वर्तमान में इस क्षेत्र में 100 फ़ीसदी एफडीआई की अनुमति है; लेकिन केवल 49 फ़ीसदी स्वचालित है। उस सीमा से ऊपर के किसी भी निवेश के लिए सरकार की मंज़ूरी की आवश्यकता होती है। केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 100 फ़ीसदी एफडीआई, एजीआर से सम्बन्धित कम्प्यूटिंग बक़ाया पर राहत, समायोजित सकल राजस्व, बक़ाया पर चार साल की मोहलत और सरकार के लिए स्थगन अवधि समाप्त होने के बाद बक़ाया राशि को इक्विटी में बदलने का विकल्प राहत पैकेज के प्रमुख तत्त्व हैं। सरकारी राजस्व की रक्षा के लिए अधिस्थगन का लाभ उठाने वाली कम्पनियों को ब्याज देना होगा। यह फंड की सीमांत लागत आधारित उधार दर (एमसीएलआर) प्लस दो फ़ीसदी की दर से होगा। अन्य संरचनात्मक सुधार स्पेक्ट्रम उपयोगकर्ता शुल्क और लाइसेंस शुल्क और अन्य शुल्क के बारे में है।