दिल्ली नगर निगम में खींचतान बरक़रार
भाजपा की तिकड़मों के बावजूद बने आम आदमी पार्टी के महापौर और उप महापौर
चुनाव में स्पष्ट हार के बाद भी हार स्वीकार न करने की भाजपा की ज़िद के कारण दिल्ली नगर निगम के मेयर का चुनाव तीन बैठकों में जब नहीं हुआ, तो आख़िर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद चौथी बैठक में चुनाव हो सके। आख़िर 22 फरवरी को आम आदमी पार्टी (आप) की शैली ओबेरॉय भाजपा प्रत्याशी रेखा गुप्ता को हराकर महापौर (मेयर) और आले मोहम्मद इक़बाल भाजपा के कमल बागड़ी को हराकर उप महापौर (डिप्टी मेयर) चुने गये। लेकिन इसके बाद हार से बौखलाये भाजपा पार्षदों ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश को दरकिनार कर अनैतिक तरीक़े से संविधान की अवहेलना करते हुए स्थायी समिति के छ: सदस्यों के चुनाव से पहले ही देर रात तक हंगामा किया, तोडफ़ोड़ की और चुनाव नहीं होने दिया।
भाजपा की महापौर पद की उम्मीदवार रेखा गुप्ता का वीडियो वायरल हो गया, जिसमें वह तोडफ़ोड़ करती दिख रही हैं। इसके बाद 23 फरवरी को नवनिर्वाचित महापौर शैली ओबेरॉय ने सदन की कार्यवाही 24 फरवरी तक स्थगित कर दी। बाद में स्थायी समिति के छ: सदस्यों के चुनाव पर भी हंगामा हुआ। आख़िर भाजपा और आम आदमी पार्टी ने एक-दूसरे के ख़िला$फ रिपोर्ट दर्ज करायी और मामला दिल्ली उच्च न्यायालय पहुँचा।
दरअसल भाजपा ने यह आदत ही बना ली है कि जहाँ जनादेश से सत्ता न मिले, वहाँ हंगामा, तोडफ़ोड़ और सदस्यों-विधायकों को ख़रीदने की कोशिश करके उन्हें ईडी-सीबीआई-आईटी की धौंस दिखाकर अपने साथ मिलाकर सत्ता हासिल कर लो। राज्यों में भाजपा यह सब कर ही रही थी और अब निगम जैसे छोटे चुनाव में उसने यही तरीक़ा अपना लिया है। लोकतंत्र के लिए यह ख़तरनाक है; लेकिन ताक़त के दम पर चल रहा है।