थॉमस कप में लहराया तिरंगा

पूर्व में सिर्फ़ एक सेमीफाइनल खेली भारतीय बैडमिंटन टीम का स्वर्णिम प्रदर्शन

दिग्गज प्रकाश पादुकोण की कप्तानी में सन् 1979 में जब भारत की पुरुष टीम दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित बैडमिंटन टूर्नामेंट में से एक थॉमस कप में पहली बार सेमीफाइनल में पहुँची थी, तब शायद किसी ने सोचा भी नहीं था कि उसे दोबारा सेमीफाइनल में पहुँचने या कप जीतने में और 43 साल लग जाएँगे। यह संयोग ही है कि भारत की पुरुष टीम पहली बार न सिर्फ़ फाइनल में पहुँची, उसने कप जीतकर क़रीब 70 साल का सूखा भी ख़त्म कर दिया। निश्चित ही थॉमस कप में भारत की यह जीत देश की बैडमिंटन का स्वर्णिम काल है और प्रतिभा से भरपूर भारतीय टीम के लिए भविष्य में और ऐसे अवसर आएँगे।

भारत के खिलाडिय़ों ने हाल के वर्षों में विश्व बैडमिंटन सर्किट में बेहतरीन प्रदर्शन किया है; लेकिन थॉमस कप जैसे बड़े बैडमिंटन टूर्नामेंट में यह जीत भारत की विजय पताका दुनिया के नक़्शे पर फहराने में सफल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने थॉमस कप में भारतीय पुरुष बैडमिंटन टीम की पहली ख़िताबी जीत की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने इतिहास रच दिया है और साथ ही खिलाडिय़ों को बैंकॉक से लौटने पर अपने निवास पर आने के लिए आमंत्रित किया।

भारत को थॉमस कप में इंडोनेशिया जैसा प्रदर्शन करने के लिए बहुत समय लगेगा, जिसने कुल 14 बार ख़िताब पर क़ब्ज़ा जमाया है। चीन ने 10, तो मलेशिया ने 5 ख़िताब जीते हैं। हाँ, भारत अब जापान और डेनमार्क की श्रेणी में ज़रूर आ गया है, जिन्होंने एक-एक बार ख़िताब पाया। डेनमार्क अकेली ग़ैर-एशियाई टीम है, जिसने यह ख़िताब जीता; अन्यथा थॉमस कप पर एशियाई प्रभुत्व ही रहा है।

थॉमस कप की यह जीत भारत में बैडमिंटन की नयी और प्रतिभाशाली पौध तैयार करने में मदद करेगी। हाल के वर्षों में ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप और विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में भारत ने चमकदार प्रदर्शन किया है। इसके अलावा इंडोनेशिया ओपन, इंडिया ओपन प्री गोल्ड, सिंगापुर ओपन सीरीज, स्विस ओपन, बीडब्ल्यूएफ सुपर सीरीज, चाइना ओपन सुपर सीरीज और कोरिया ओपन सुपर सीरीज जैसे टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन किया है।

निश्चित ही भारत में बैडमिंटन हाल के वर्षों में लोकप्रियता की नयी सीढिय़ाँ चढ़ रही है। इसका असर भारत में होने वाले प्रीमियर बैडमिंटन लीग, रैंकिंग टूर्नामेंट अखिल भारतीय अंतर-संस्थागत बैडमिंटन टूर्नामेंट, सब जूनियर इंडियन नेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप, जूनियर इंडियन नेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप और भारतीय राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियनशिप में देखने को मिला है। निश्चित ही देश में बैडमिंटन के खेल को ऊपर ले जाने में सायना नेहवाल और पीवी सिंधु जैसी महिला खिलाडिय़ों के योगदान को भी नहीं भुलाया जा सकता।

कैसे जीता भारत

पहली बार प्रतिष्ठित थॉमस कप बैडमिंटन फाइनल में पहुँचकर टीम इंडिया वैसे तो उत्साह से भरी थी; लेकिन फाइनल में उसके सामने 14 बार का चैंपियन इंडोनेशिया था। बैंकॉक के इंडोर स्टेडियम में मैच देखने आये बैडमिंटन रसिकों को भारत के जीतने की शायद सबसे कम उम्मीद थी। लेकिन भारत ने फाइनल में इंडोनेशिया को सीधे मुक़ाबलों में 3-0 से मात देते हुए ख़िताब पर क़ब्ज़ा कर लिया।