टोक्यो ओलंपिक भारत को कई पदकों की उम्मीद

टोक्यो ओलंपिक खेल बिना दर्शकों के आयोजित होने को तैयार हैं। 2020 में होने वाले इन खेलों को कोरोना वायरस के कारण एक साल के लिए स्थगित कर दिया गया था। अब भी इस महामारी के कारण ये खेल ख़ाली स्टेडियम में होंगे। यह फै़सला जापान के प्रधानमंत्री योशिदे सुगा ने आईओए के पदाधिकारियों के साथ बातचीत के बाद लिया। अब खिलाड़ी बिना तालियों की आवाज़ सुने खेलेंगे।

भारत की स्थिति
अब तक के सभी ओलंपिक खेलों को मिलाकर भारत ने 28 पदक जीते हैं। इनमें नौ स्वर्ण (गोल्ड), सात रजत (सिल्वर) और 12 कांस्य (ब्रेंज) हैं। इनमें से भी 11 पदक अकेले हॉकी में जीते हैं। इनमें आठ स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य के हैं। हॉकी के अलावा सोने का एक पदक अभिनव बिंद्रा ने 2008 के बीजिंग ओलंपिक में निशानेबाज़ी में हासिल किया। इस प्रकार देश को निशानेबाज़ी, कुश्ती, तीरंदाज़ी, मुक्केबाज़ी, बैडमिंटन, टेनिस, और भारोत्तोलन में भी पदक मिले। भारत का सबसे अच्छा प्रदर्शन 2012 के ओलंपिक खेल रहे, जहाँ उसने छ: पदक हासिल किये थे। देश की उम्मीद इससे कहीं ज़्यादा है। इस बार दिल्ली सरकार की यह घोषणा कि टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीतने वाले दिल्ली के खिलाडिय़ों को वह क्रमश: तीन करोड़, दो करोड़ और एक करोड़ रुपये से सम्मानित करेगी, खेल और खिलाडिय़ों के प्रोत्साहन के लिए सराहनीय है।
देश को निशानेबाज़ी, तीरंदाज़ी, कुश्ती, मुक्केबाज़ी, भारोत्तोलन और बैडमिंटन से पदकों की उम्मीद है। यदि क़िस्मत ने साथ दिया, तो एक-दो पदक एथलेटिक्स (खेल-कूद) में भी आ सकते हैं। सबसे पहले बात निशानेबाज़ी की। भारत के 15 निशानेबाज़ मैदान में हैं। ये महिला और पुरुष खिलाड़ी आठ स्पर्धाओं में भाग लेंगे। इनमें 10 मीटर एयर राइफल महिला वर्ग में अंजुम मोदगिल और अपूर्वी चंदेला, 10 मीटर एयर पिस्टल महिला वर्ग में मनु भाकर और यशस्विनी सिंह देसवाल, 25 मीटर एयर पिस्टल महिला वर्ग में राही सरनोबत और इलावेनिल वालारिवान और 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन (महिला) में तेजस्विनी सावंत हिस्सा लेंगी।
इस तरह सात महिलाएँ पदकों पर निशाना साधने का प्रयास करेंगी। पुरुष वर्ग में दिव्यांश सिंह पंवार और दीपक कुमार 10 मीटर एयर रायफल स्पर्धा में, संजीव राजपूत और ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन में और अंगद वीर सिंह बाजवा और मेराज अहमद ख़ान स्कीट मुक़ाबलों में हिस्सा लेंगे। इस तरह आठ पुरुष खिलाड़ी अपना निशाना आजमाएँगे।

तीरंदाज़ी : देश के लिए तीरंदाज़ी में भी पदकों की उम्मीद है। यह उम्मीद पूरी तरह ग़लत भी नहीं है। जिस तरह पिछले दोनों दीपिका कुमारी ने विश्व चैम्पियनशिप तीन गोल्ड मेडल जीते हैं, उससे उम्मीद बँधती है। इसके अलावा अतानु दास, तरुणदीप राय और प्रवीण जाधव ने जो प्रदर्शन इन दिनों किया है, वह भी पदक की उम्मीद जगाता है। इस स्पर्धा में भारत के केवल चार खिलाड़ी हैं, जिनमें एक महिला है।

कुश्ती : कुश्ती भारत का सबसे पुराना खेल है। इसी खेल में देश ने सन् 1952 हेलसिंकी ओलंपिक में पहला व्यक्तिगत कांस्य पदक जीता था। यह कांस्य पदक के.डी. जाधव ने भारत को दिलाया था। इसके बाद सुशील कुमार ने भी एक रजत और एक कांस्य पदक कुश्ती में जीता और एक कांस्य पदक साक्षी मलिक भी जीतकर ला चुकी हैं।
इस तरह अब तक भारत कुश्ती में कुल चार ओलंपिक पदक जीत चुका है। लेकिन अभी भारत को इस खेल में स्वर्ण पदक की तलाश है।
इस बार सात पहलवान देश के लिए पदक जीतने का प्रयास करेंगे। इनमे चार महिलाएँ- सीमा बिस्ला (50 किलोग्राम भार वर्ग), विनेश फोगाट (53 किलोग्राम भार वर्ग), अंशु मलिक (57 किलोग्राम भार वर्ग) और सोनम मलिक (62 किलोग्राम भार वर्ग) होंगी। हालाँकि ये सभी पदक जीत सकती हैं; पर देश की निगाहें अनुभवी विनेश फोगाट पर होंगी। पुरुष वर्ग में पदक जीतने की ज़िम्मेदारी रवि कुमार दहिया (57 किलोग्राम भार वर्ग), बजरंग पूनिया (65 किलोग्राम भार वर्ग) और दीपक पूनिया (86 किलोग्राम भार वर्ग) पर रहेगी।