टिकैत ने सरकार को दी चेतावनी

 

क़रीब सात महीने से तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसान आन्दोलन अब फिर से तेज़ी पकड़ रहा है। पिछले कुछ दिनों से पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब से किसान ग़ाज़ीपुर बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पहुँच रहे हैं। किसान पिछले क़रीब एक साल से नये कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है। सरकार ने कानों में तेल डाल लिया है और सेंट्रल विस्टा बनाने में जुटी है। क़रीब 12 दौर की किसान-सरकार वार्ता फेल होने के बाद सरकार ने इस मुद्दे से जिस तरह मुँह फेरा है, वह किसानों की अवहेलना ही है। लेकिन सरकार को किसानों की ताक़त का अंदाज़ा नहीं है। देश के किसान 2022 में उत्तर प्रदेश समेत छ: राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों पर प्रभाव डाल सकते हैं। वैसे भी किसान भाजपा सरकार को देश की सत्ता से जड़ से उखाडऩे की बात कह चुके हैं, जिसे हल्के में लेना सरकार को भारी पड़ सकता है।

भाकियू (टिकैत) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि संसद तो किसानों का अस्पताल है। वहाँ हमारा इलाज होगा। हमें पता चला है कि किसानों का इलाज एम्स से अच्छा तो संसद में होता है। हम अपना इलाज वहाँ कराएँगे। अब जब भी हम दिल्ली जाएँगे, संसद में जाएँगे। बता दें कि हाल के दिनों में अलग-अलग राज्यों में किसानों की गिर$फ्तारियाँ की जा रही हैं, जिस पर टिकैत ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि हमारे जिन पदाधिकारियों को पकड़ा गया है, उन्हें या तो तिहाड़ जेल भेजा जाए या फिर राज्यपाल से मुलाक़ात करायी जाए। हम आगे बताएँगे कि दिल्ली का क्या इलाज करना है?

उन्होंने कहा कि दिल्ली बग़ैर ट्रैक्टर के नहीं मानती। लड़ाई कहाँ होगी? उसका स्थान और समय क्या होगा? यह तय करके अब बड़ी क्रान्ति होगी। देश के किसान सात महीने से बड़ी संख्या में दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हैं। सरकार बार-बार आन्दोलन को बदनाम करने की कोशिश कर रही है, लेकिन उसके मंसूबे फेल हो रहे हैं। किसी भी हाल में किसान अपना अधिकार लेने के बाद ही घर वापसी करेंगे। कृषि क़ानून के विरोध में ग़ाज़ीपुर में बैठे किसान रघुवीर सिंह का कहना है कि केंद्र सरकार यह सोचती है कि किसान की माँगों को अनदेखा कर दो, शायद किसान आन्दोलन समाप्त करके घर चले जाएँगे; लेकिन यह सरकार की भूल है। किसानों ने अपनी माँगों का ख़ातिर आन्दोलन में जानें दी हैं, गोलीकांड से लेकर अग्निकांड को सहा है। तामाम देशद्रोही लांछन किसानों पर लगे हैं। अब कैसे किसान आन्दोलन को समाप्त कर दें? किसानों ने जब 26 नवंबर, 2020 को किसान आन्दोलन शुरू किया था, तब किसानों की देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सहित तामाम केंद्रीय मंत्रियों से 12 दौर की बैठकें हुईं। लेकिन सरकार ने कोई समाधान नहीं निकाला और अपनी ज़िद पर अड़ी है कि देश के किसान इस आन्दोलन को समाप्त कर दें।