जेवर हवाई अड्डे से जगी लोगों में उम्मीद

The Prime Minister, Shri Narendra Modi witnessing the Air Show at the inauguration of the Purvanchal Expressway, in Sultanpur, Uttar Pradesh on July 16, 2021.

उत्तर प्रदेश ही नहीं, वरन पूरे देश के लिए भी जेवर परियोजना ऐतिहासिक है। लेकिन क्या यह परियोजना इस प्रदेश के साथ-साथ देश के लिए मील का पत्थर साबित होगी? देश की जनता को जेवर हवाई अड्डे के अलावा कई अन्य ऐसी मेगा परियोजनाओं की सौगात मिल रही है, जिससे उत्तर प्रदेश के साथ-साथ देश की तरक़्क़ी के द्वार खुलेंगे। माना जा रहा है कि क़रीब 30,000 करोड़ की जेवर परियोजना पर तेज़ी से काम चल रहा है और 2024 तक जेवर हवाई अड्डे से हवाई जहाज़ उड़ान भरने लगेंगे। लेकिन यह हवाई अड्डा पूरी तरह 2030 तक तैयार हो सकेगा। हवाई अड्डे के अलावा उत्तर प्रदेश सरकार की कई बड़ी परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं, तो कई परियोजनाएँ 2024 तक पूरी करने का लक्ष्य तय किया गया है, जिनमें केंद्र की मोदी सरकार पूरी दिलचस्पी दिखा रही है।

सरकारी सूत्रों का कहना है कि ये वो मेगा परियोजनाएँ हैं, जिनका निर्माण कार्य मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता सँभालने के बाद शुरू कराया था। इन मेगा परियोजनाओं में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे और काशी विश्वनाथ मन्दिर कॉरिडोर का निर्माण कार्य पूरा हो गया है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन मेगा परियोजनाओं को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौज़ूदगी में सूबे की जनता को सौंपने का काम किया। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जेवर हवाई अड्डा, फ़िल्म सिटी और गंगा एक्सप्रेस-वे जैसी मेगा परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी।

माना जा रहा है कि राज्य में यह पहला अवसर है, जब जनता के उपयोग वाली करोड़ों रुपये ख़र्च कर तैयार करायी गयी कई मेगा परियोजनाएँ जनता को सौंपी जा रही हैं। इसके तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौज़ूदगी में क़रीब 42,000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार कराया गया 340.82 किलोमीटर लम्बा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता को सौंपा। यह एक्सप्रेस-वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ज़िले मेरठ से शुरू होकर प्रयागराज पर समाप्त होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की स्वप्निल परियोजना (ड्रीम प्रोजेक्ट) कहे जाने वाले पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास जुलाई, 2018 में आजमगढ़ में प्रधानमंत्री मोदी ने किया था। इस एक्सप्रेस-वे को पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए लाइफ लाइन कहा जा रहा है। लखनऊ से आजमगढ़ और मऊ होते हुए ग़ाज़ीपुर तक 340.824 किमी लम्बे इस एक्सप्रेस-वे पर वाहनों के फर्राटा भरने से जहाँ समय के लिहाज़ से पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बीच की दूरी कम हो जाएगी, वहीं व्यापार और वाणिज्य को पंख लगेंगे। क़रीब 15,000 करोड़ रुपये की लागत से 296 किलोमीटर लम्बा बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे के निर्माण का कार्य तेज़ी से हो रहा है।

बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास बीते वर्ष फरवरी में किया था। चित्रकूट से शुरू होने वाला यह एक्सप्रेस-वे बाँदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन होते हुए इटावा के कुदरौल गाँव के पास लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे से जुड़ेगा। इस एक्सप्रेस-वे के बनने से बुंदेलखण्ड पहुँचना आसान होगा। वहाँ कृषि, वाणिज्यिक, पर्यटन और उद्यमिता के लिए राह आसान होगी और बुंदेलखण्ड का विकास होगा। इस प्रकार गौतमबुद्धनगर (नोएडा) में बनने वाले जेवर हवाई अड्डा, फ़िल्म सिटी और अन्य परियोजनाएँ भविष्य में सूबे की शान साबित होंगी और इन महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं से हज़ारों लोगों को रोज़गार मिलेगा। बता दें कि जेवर हवाई अड्डा देश का सबसे बड़ा और दुनिया का चौथा सबसे बड़ा हवाई अड्डा होगा, जो दिल्ली के इंदिरा गाँधी हवाई अड्डे से तक़रीबन 72 किलोमीटर दूर होगा। सर्वविदित है कि जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के विनिर्माण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को सभी ज़रूरी अनापत्ति प्रमाण-पत्र (एनओसी) सरकार को मिल चुके हैं। हवाई अड्डे का पहला चरण तीन साल में पूरा होगा। शुरू में हर साल 1.20 करोड़ यात्री सफ़र कर सकेंगे। अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2040-50 तक इस हवाई अड्डे पर तक़रीबन सात करोड़ यात्रियों का भार होगा। ज़ाहिर है जेवर हवाई अड्डा कार्गो हवाई अड्डा भी है। इसलिए साल 2040-50 तक 2.6 मिलियन टन कार्गो की क्षमता का विकास यहाँ होगा। नोएडा इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे के रनवे की संख्या दो से बढ़ाकर छ: की गयी है। माना जा रहा है कि जेवर हवाई अड्डे के सुचारू होने से दिल्ली के हवाई अड्डों का बोझ हल्का होगा। जेवर हवाई अड्डा राष्ट्रीय राजधानी के निकट बनने वाला एक बड़ा हवाई अड्डा होगा, जिससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की $कीमत और देश का रुतबा दोनों बढ़ेंगे।

इतना ही नहीं जेवर हवाई अड्डे को हाई स्पीड रेल से जोड़ा जाएगा। साथ ही इंदिरा गाँधी हवाई अड्डे से सडक़ मार्ग द्वारा जोड़े जाने तथा मेट्रो रेल से जोड़े जाने पर भी काम चल रहा है।

विदित हो कि जेवर हवाई अड्डे का नाम पिछले साल ही प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नोएडा इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट, जेवर करने का प्रस्ताव पास किया था। लेकिन अभी तक यह साफ़ नहीं हो सका है कि इस हवाई अड्डे का नाम जेवर हवाई अड्डा ही रहेगा या के नाम नोएडा इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट, जेवर यानी नोएडा अंतरराष्ट्रीय हरित क्षेत्र, जेवर होगा। लेकिन यह तय है कि जेवर के इस हवाई अड्डे में परम्परा और आधुनिकता की झलक दिखेगी। यह हवाई अड्डा भारतीय परम्परा को समेटे हुए होगा। हवाई अड्डे में प्रवेश करते समय वाराणसी के घाटों का अहसास होगा, तो लोग प्रयागराज संगम जैसा अनुभव भी महसूस कर सकेंगे। अवसान भवन (टर्मिनल बिल्डिंग) में प्रवेश करने के बाद आँगन जैसा स्वरूप मिलेगा।