जयललिता की हत्या का शक

जे. जयललिता के मौत मामले की जाँच ने शशिकला को कठघरे में किया खड़ा

कहा जाता है कि राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता। पद और पैसे की चमाचम वाली राजनीति अब एक ऐसा प्रोफेशन हो चली है, जिसमें ऊँची-से-ऊँची कुर्सी की चाह हर किसी के मन में हमेशा रहती है। ऐसे में ज़ाहिर है हर किसी को मौक़े की तलाश रहती है। इसलिए कहा भी गया है कि राजनीति में अपने बाप पर भी भरोसा नहीं करना चाहिए।

यह 5 दिसंबर, 2016 की बात है, जब तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री और एआईएडीएमके नेता रहीं जे. जयललिता की मौत की ख़बर पूरे देश को दी गयी। उनकी मौत को साधारण बताया गया। लेकिन सवाल भी कई उठे और कहा गया कि हो न हो, जयललिता की हत्या हुई है। क्योंकि यह कोई साधारण मौत नहीं थी। लेकिन इन सवालों को कुछ ताक़तवर लोगों ने दबा दिया। हालाँकि तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम इस मामले को लेकर बराबर सवाल उठाते रहे और उन्होंने जयललिता की मौत की जाँच कराने का अनुरोध मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन से किया। मुख्यमंत्री स्टालिन एक ईमानदार और अच्छे मुख्यमंत्री हैं और उन्होंने इस मुद्दे को गम्भीरता से लेते हुए एक जाँच समिति का गठन किया, जिसका प्रमुख सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए. अरुमुगा सामी को बनाया। अब इस मामले में सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए. अरुमुगा सामी जाँच समिति ने एक बार फिर सवालिया निशान लगाकर जाँच के घेरे में खड़ा कर दिया है। अरुमुगा सामी जाँच समिति ने अपनी जाँच रिपोर्ट मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन को सौंपी थी। एम.के. स्टालिन के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार ने इसे विधानसभा में पेश कर दिया है, जिससे यह रिपोर्ट सार्वजनिक हो चुकी है। तमिल भाषा में अरुमुगा सामी समिति की यह रिपोर्ट 608 पन्नों की है, जबकि अंग्रेजी में अन्तिम रिपोर्ट 500 पन्नों की है।

अरुमुगा सामी जाँच समिति की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता की मौत के मामले में वी.के. शशिकला, डॉक्टर के.एस. शिवकुमार, तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव जे. राधाकृष्णन और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सी. विजय भास्कर के ख़िलाफ़ जाँच होनी चाहिए। समिति की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता की नाज़ुक हालत को कई दिनों तक लोगों से छुपाकर रखा गया और यह कहा गया कि वह बिलकुल ठीक हैं, जल्द ही उनकी अस्पताल से छुट्टी हो जाएगी। क्योंकि तमिलनाडु के लोग जे. जयललिता को अम्मा कहकर बुलाते थे, इसलिए उनके मन में जयललिता के प्रति जो प्यार और अपनापन था, वैसा प्यार और अपनापन उत्तर भारत के किसी भी बड़े-से-बड़े नेता के लिए जनता का कभी नहीं देखा गया। इसलिए जैसे ही 5 दिसंबर, 2016 को 11:30 बजे यह घोषित किया गया कि अम्मा यानी जे.जयललिता नहीं रहीं, तो जनता में हाहाकार मच गया। काफ़ी दिनों से अस्पताल को घेरे बैठे लोग पुलिस सुरक्षा तोडक़र उन्हें देखने के लिए उतावले हो उठे और दर्ज़नों लोगों ने जयललिता के जाने के शोक में आत्महत्या तक कर ली। अब अरुमुगा सामी जाँच समिति की रिपोर्ट ने ख़ुलासा किया है कि जयललिता की मौत 5 दिसंबर को नहीं, बल्कि 4 दिसंबर को ही दिन में 3-3:50 बजे के बीच हो चुकी थी।

जब भी कोई अपराधी अपराध करता है, तो वो सुबूतों को पहले मिटाने की कोशिश करता है। तमिलनाडु की छ: बार मुख्यमंत्री रहीं जयललिता के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ। दरअसल उनकी बचपन की सहेली वी.के. शशिकला जानती थीं कि जयललिता की हत्या की बात अगर किसी तरह सामने आ गयी, तो उन्हें भी सज़ा से कोई नहीं बचा सकता। इसलिए ऐसे कई सुबूत मिटा दिये गये, जो जाँच में अहम साबित होते।

इन सुबूतों में सबसे अहम थी चेन्नई के अपोलो अस्पताल की सीसीटीवी फुटेज, जिसे डिलीट कर दिया गया। ऐसे में जाँच समिति अभी इस बात का ठीक से पता नहीं लगा पायी है कि जयललिता के चिकित्सीय कमरे में कौन-कौन आता था और उन्हें इलाज के दौरान कौन-कौन सी दवाइयाँ दी जाती थीं।

जयललिता और शशिकला