जनादेश के मायने

श्वेत सादा पहनावा और एक योद्धा! इस महिला ‘ममता बनर्जी के पास आज विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद वाम, दक्षिण और मध्य रु$ख वाले तमाम दलों को हराने की अनूठी उपलब्धि है। देश के सबसे शक्तिशाली पुरुषों के खिलाफ़ उभरने का अनूठा गौरव भी उन्होंने पाया है। विधानसभा चुनाव में जीत की उनकी हैट्रिक साबित करती है कि चुनाव प्रचार में उनके लिए ‘दीदी-ओ-दीदी’ कहने वालों पर जनता का उलटा वार हुआ है, जिसके चलते ममता अब विपक्षी एकता का केंद्र बन गयी हैं। यद्यपि वह नंदीग्राम के एक कड़े मुक़ाबले में मामूली अन्तर से पिछड़ गयीं; लेकिन ‘खेला होबे’ के नारे के साथ विरोधी के गढ़ में जाकर चुनौती देने की उनकी हिम्मत ने उनके क़द को और ऊँचा कर दिया है। बड़ी जीत के बाद अब समय है कि वह कोरोना वायरस की दूसरी लहर को परास्त करने के लिए अपनी जीवटता दिखाएँ।

चुनाव परिणामों का एक स्पष्ट सन्देश है कि ध्रुवीकरण केवल एक सीमित स्तर तक ही काम करता है और यह भी कि क्षेत्रीय दल अगर दम दिखाएँ, तो एक बार अजेय भाजपा को फिर परास्त कर सकते हैं। ममता, स्टालिन और विजयन जैसे नेताओं ने पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु में जीत दर्ज की है। तमिलनाडु में एम.के. स्टालिन के रूप में एक और पुत्र का ‘उदयÓ है। दिवंगत द्रविड़ क्षत्रप पिता एम. करुणानिधि के पुत्र और वारिस स्टालिन अब सत्ता में हैं। भाजपा ने असम में सत्ता को बर$करार रखा है और स्थानीय क़द्दावर नेता और पूर्व कांग्रेस नेता एन. रंगास्वामी के साथ गठबन्धन करके केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में जीत दर्ज की है। केरल में नया इतिहास लिखा गया है; क्योंकि वामपंथी गठबन्धन (एलडीएफ) ने केरल में चार दशक के बाद पहली बार दोबारा सत्ता हासिल करने का कीर्तिमान बनाया है। कांग्रेस नेता राहुल गाँधी केरल से ही सांसद हैं और उन्होंने राज्य में कड़ी मेहनत की थी; लेकिन वे पार्टी को जीत नहीं दिला पाये। दरअसल विपक्ष में सत्ता-संतुलन अब कांग्रेस के हाथ से निकलकर क्षेत्रीय दलों के पास के चला गया है। असम में अपने नागरिकता क़ानून के कारण रक्षात्मक भाजपा के सामने कांग्रेस का हार जाना इसे प्रमाणित करता है। इस तरह के क्षेत्रीय दल अब 2024 के आम चुनावों में महत्त्वपूर्ण ताक़त होंगे। भाजपा का वैचारिक रूप से विरोध करने वाले राजनीतिक दलों की जीत का मतलब है कि अब संघीय अधिकारों के लिए उनका केंद्र के सामने इन्हें वास्तविक और समान रूप से लागू करने पर अधिक-से-अधिक ज़ोर होगा।