बिहार में आंध्रप्रदेश की ही तरह उस ‘स्पेशल पैकेज’ की मांग पर जोर देने के लिए ‘सुशासन बाबूÓ यानी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर खासा दबाव है। कुछ समय पहले प्रधानमंत्री जब बिहार आए थे तो उन्होंने एक लाख पच्चीस हज़ार करोड़ का स्पेशल पैकेज बिहार को देने की घोषणा की थी। इस मुद्दे को विपक्ष ने खूब बढ़ाया है। साथ ही आंध्र से सीख लेने की नसीहत भी दी है। उधर पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मोझी एनडीए से अलग होकर आरजेडी में आ गए हैं। सुखदेव पासवान भी भाजपा छोड़ कर आरजेडी में आ गए हैं। इस उप चुनाव मेें मुकाबला दिलचस्प है।
लोकसभा के लिए 11 मार्च को बिहार के आररिया और जहांनाबाद और भभुआ विधानसभा सीटों पर मतदान हुए। विपक्ष इस उपचुनाव को त्रिपुरा और उत्तरपूर्वी प्रदेशों में भाजपा की विजय पताका को लहराते देख कर भी अपनी जीत को जुदा दिखा। उधर भाजपा को पूरी उम्मीद है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल (यू) के साथ हुए गठबंधन में उसकी जीत तो पक्की ही है।
बिहार की आररिया लोकसभा सीट से आरजेडी के सांसद रहे मोहम्मद तस्लीमुद्दीन, जहाआबाद विधानसभा से आरजेडी विधायक मुंद्रिका सिंह यादव और विधानसभा के बाद ये चुनाव हो रहे हैं। इन चुनावों में इस बार फिर प्रदीपकुमार सिंह मैदान में हैं। वे 2014 में मोदी की हवा के बावजूद आरजेडी के तस्लयुद्दीन के बेटे हैं। पहले आलम जेडीयू से विधायक थे। अब वे सुशासन बाबू का साथ छोड़ चुके हैं।