हरियाणा के ज़िला भिवानी के गाँव बडसर के पास सुनसान क्षेत्र में दो लोगों को ज़िन्दा जला देने की वारदात सभ्य समाज को कंलकित करने वाली है। जब भीड़ या संगठन पुलिस और न्यायालय को दरकिनार कर इंसाफ़ करने लगे, तो उसे जंगल राज कहा जाएगा। संरक्षण में ऐसी वारदात होना शासन-प्रशासन पर कालिख जैसा है। दिल दहलाने वाली इस घटना को समुदाय विशेष से जोडक़र नहीं, बल्कि मानवता के प्रति अमानवीय कृत्य के तौर पर लिया जाना चाहिए। मृतकों की पहचान नासिर (28) और जुनैद (38) के तौर पर होनी चाहिए। चूँकि शव इतनी बुरी तरह से जल गये कि अब शिना$ख्त डीएनए जाँच से स्पष्ट होगी।
15 जनवरी को जुनैद के भाई इस्माइल ने थाने में दोनों के अपहरण की प्राथमिकी दर्ज करायी थी। अगले दिन 16 फरवरी को हरियाणा के ज़िला भिवानी में लोहारू के पास गाँव बडसर में बोलरे जीप सुनसान क्षेत्र में जली हुई मिली। वाहन में दो कंकाल मिले। गाड़ी की पहचान के आधार पर दोनों को अभी तक नासिर और जुनैद ही माना गया है। राजस्थान सरकार ने दोनों के क़रीबी परिजनों को 15-15 लाख रुपये की आर्थिक मदद देते हुए इंसाफ़ दिलाने का भरोसा जताया है। चूँकि वारदात स्थल पड़ोसी राज्य हरियाणा में है, इसलिए राजस्थान पुलिस को अब तक वांछित सफलता नहीं मिल सकी है।
जघन्य दोहरा हत्याकांड अब मज़हबी रंग पकड़ चुका है। मृतकों के परिजनों को इंसाफ़ दिलाने के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद और अन्य संगठन एकजुट हो गये वहीं आरोपियों क बचाव में कई धार्मिक हिंदू संगठन लामबंद होने लगे हैं। घटना को राजनीतिक रंग दिया जाने लगा है। अब मामला दो राज्यों, दो सरकारों और दोनों की पुलिस से जुड़ गया है। घटना में हरियाणा पुलिस की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। कुछ ऐसी बातें सामने आयी हैं कि गौरक्षा के सदस्य आरोपियों को फ़िरोज़पुर झिरका पुलिस के पास ले गये; लेकिन बिना कोई मामला दर्ज किये उन्हें वहाँ से भेज दिया गया। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मुफ़्ती सलीम के मुताबिक, अगर हरियाणा पुलिस कार्रवाई करती तो नासिर और जुनैद की जान बच सकती थी। दोनों की बुरी तरह से पिटाई की गयी थी, उनकी हालत बेहद ख़राब थी। पुलिस चाहती तो उन्हें अस्पताल भिजवा सकती थी; लेकिन ऐसा नहीं किया, क्योंकि हमलावर गौरक्षा के सक्रिय सदस्य हैं।
जानकारी के मुताबिक, नासिर और जुनैद के वाहन को गौरक्षा दल के सदस्यों ने ट्रेस कर उन्हें पकड़ लिया, जबकि उस दौरान दोनों किसी अन्य काम से आये हुए थे। चूँकि दोनों पहले भी ऐसे मामलों में कई बार पकड़े जा चुके थे, इसलिए उन्हें सबक़ सिखाने के लिए इतनी बड़ी घटना को अंजाम दिया गया। गौतस्कर का इलाज करते हुए शीर्षक से वीडियो सोशल मीडिया पर डाले गये। गौररक्षा के नाम पर इस तरह की वारदात हिंदू समाज के लिए अशोभनीय है। किसी धर्म में ऐसा मान्य नहीं है फिर क्यों किसी को पहले बुरी तरह से पीटा गया और फिर गाड़़ी के अंदर बाँधकर उन्हें जला दिया गया। नासिर और जुनैद पर गौवंश तस्करी के आरोप हैं; लेकिन घटना के समय वह ऐसा कुछ नहीं कर रहे थे, फिर उन्हें निशाना क्यों बनाया गया?
हरियाणा में सरकार ने वर्ष 2021 में राज्य स्तरीय विशेष गौसंरक्षण कार्यबल की अधिसूचना जारी की थी। राज्य के लगभग हर ज़िले में इसकी इकाइयाँ कार्यरत है। 10 से 15,000 सदस्य गौरक्षा दल, बजरंग दल, गौपुत्र सेना और अन्य संगठनों से सीधे जुड़े हुए हैं। इनका नेटवर्क कहीं-कहीं पुलिस से भी ज़्यादा मज़बूत है। सदस्य अपने तौर पर ऐसे वाहनों का पीछा कर आरोपियों को क़ाबू कर लेते हैं। पुलिस इसके बाद में ही कार्रवार्ई करती है। इनकी निशानदेही और पकड़ के बाद पुलिस ने ऐसे कई मामले दर्ज किये।
गहन सक्रियता के चलते हरियाणा में गौवंश की तस्करी करने वालों में ख़ौफ़ पैदा हुआ। कुछ प्रमुख सदस्य सुरक्षा के नाम पर गौतस्करी रोकने के लिए लाइसेंसी हथियार भी हासिल कर चुके हैं। कई घटनाओं में गौवंश तस्करों ने पीछा करने पर सदस्यों पर जानलेवा हमले भी किये हैं। बावजूद इसके गौरक्षकों के संगठन गुडग़ाँव और मेवात क्षेत्र में मज़बूती से काम कर रहे हैं। लेकिन इस तरह किसी को सज़ा-ए-मौत देना संगठन सदस्यों का काम नहीं है।
नासिर और जुनैद की हत्या के आरोप में राजस्थान पुलिस ने रिंकू सैनी नामक आरोपी को गिरफ़्तार करने में सफलता मिली है। मामले के आठ आरोपी अब तक उसकी पकड़ से बाहर हैं। इनमें अनिल, श्रीकांत, कालू, मोनू राणा, विकास, शशिकांत और गोगी के मय फोटो पोस्टर जारी कर राजस्थान पुलिस ने इन्हें वांछित बताया है। शुरुआती जाँच में पहले प्रमुख आरोपी के तौर पर मोहित उर्फ़ मोनू मानेसर का नाम लिया जा रहा था; लेकिन अब उसका नाम सूची से बाहर है। घटना के बाद से मोनू मानेसर $गायब है। वह घटना के समय कहीं और मौज़ूद होने के वीडियो डाल रहा है; लेकिन सामने नहीं आ रहा। चाहे अभी आरोपियों की सूची में वह नहीं है; लेकिन पूछताछ के बहाने पुलिस उसे हिरासत में ले सकती है। मोनू मानसेर के बचाव में महापंचायत तक हो चुकी हैं। राजस्थान पुलिस ने अपहरण और हत्या में प्रयुक्त स्कार्पियो गाड़ी जींद की एक गौशाला से बरामद कर ली है। हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में इस मामले की गूँज हुई।
कांग्रेस विधायकों फ़िरोज़पुर झिरका के मम्मन खान और पुन्हाना से मोहम्मद इलियास ने इस मुद्दे को उठाया। सदस्यों ने कहा कि मेवात इलाक़े में गौरक्षा के नाम पर तस्करी के आरोप में बहुत कुछ ग़लत हो रहा है। इसी वर्ष जनवरी में ऐसे ही एक मामले में एक व्यक्ति की मौत हो गयी। मौत की वजह दुर्घटना करार दी गयी, जबकि यह सही नहीं है। मेवात इलाक़े में गौरक्षा की आड़ में कुछ संगठन क़ानून से बेपरवाह काम कर रहे हैं। ऐसे संगठनों की कार्यप्रणाली पर सरकार को नज़र रखनी चाहिए वरना कट्टरता की आड़ में नासिर और जुनैद जैसे लोग मारे जाते रहेंगे।