क्या लापरवाही के चलते हुआ एम्स का डेटा चोरी?

शैलेंद्र कुमार ‘इंसान’

दिल्ली में स्थित देश के सबसे बड़े केंद्रीय अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के ऑनलाइन सिस्टम से चार करोड़ मरीज़ों का डेटा चोरी होना अब तक की डेटा चोरी की सबसे बड़ी घटना है। इस साइबर अटैक पर केंद्र सरकार को गम्भीर होना चाहिए। हालाँकि डेटा चोरी की देश की इस सबसे बड़ी घटना की जाँच में सीबीआई, एनआईसी, आईबी, जीआरडीओ और दिल्ली पुलिस की टीमें लगी हुई हैं। साथ ही सावधानी बरतने के लिए एम्स में सारा काम पुराने समय की तरह ऑफलाइन हो रहा है, जिससे मरीज़ों को धीमी गति जैसी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एम्स के एक कर्मचारी ने बताया कि एम्स में कभी डेटा चोरी नहीं हुई, यह पहली घटना है। तेज़ी से मामले की जाँच हो रही है, जिसकी सही जाँच के लिए कई दिनों तक एम्स का सर्वर बन्द रखा गया। सवाल यह उठता है कि क्या एम्स से इतनी बड़ी डेटा चोरी सीधे तौर पर लापरवाही का नतीजा है?

विदित हो कि कुछ ही दिन पहले एम्स में अचानक साइबर अपराधियों ने चार करोड़ मरीज़ों का डेटा चोरी कर लिया। इस घटना मे एम्स में इलाज करा चुके कई पूर्व प्रधानमंत्रियों, राष्ट्रपतियों, उपराष्ट्रपतियों, सोनिया गाँधी, कई नेताओं, सांसदों और विधायकों समेत कई बड़े अधिकारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों, कलाकारों और आम लोगों का डेटा भी चोरी हुआ है। आननफानन में इस मामले की जाँच के लिए सेंट्रल क्राइम ब्रांच, नेशनल इंफार्मेटिक सेंटर, इंटेलिजेंट ब्यूरो, डिफेंस रिसर्च एंड डवलपमेंट आर्गेनाइजेशन, दिल्ली पुलिस और इंडियन कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स को तत्काल प्रभाव से जाँच में लगा दिया गया। मेडिकल सेक्टर में हुई अब तक की सबसे बड़ी डेटा चोरी में नेशनल साइबर के अतिरिक्त इंटरनेशनल साइबर क्राइम के कनेक्शन का हाथ होने की भी आशंका जतायी जा रही है। जाँच एजेंसियाँ इसे रैंसमवेयर अटैक मान रही हैं और एम्स के ऑनलाइन सेंट्रलाइज्ड सिस्टम से जुड़े कंप्यूटर्स को खंगाल रही हैं। जाँच एजेंसियाँ साइबर एक्सपर्ट और सॉफ्टवेयर इंजीनियर डेटा हैक के सोर्स और रिसीवर की तलाश में जुटी हैं और फ़िलहाल अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की गयी है। एम्स के दो सिस्टम एनालिस्ट को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।