क्या इंसानी दिमाग़ को बौना कर देगा एआई?

चैट जीपीटी से जुड़े कुछ हैरान करने वाले मामले ग़लत जानकारी ओपन एआई (ह्रश्चद्गठ्ठ ्रढ्ढ) के चैट जीपीटी को लेकर बढ़ी जिज्ञासा में हुए प्रयोगों से सामने आये कुछ तथ्यों में एक उदाहरण हरियाणा को लेकर ही मिल गया। चैट जीपीटी से साल 2024 में होने वाले विधानसभा चुनावों के परिदृश्य को लेकर हुए सवाल किया, तो चैट जीपीटी ने हैरानी भरे जवाब दिये। उसने बताया कि इनेलो नेता अभय चौटाला ने मूल पार्टी से अलग होकर अपनी पार्टी जननायक जनता पार्टी बना ली है।

इतना ही नहीं, उसने हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को अभय चौटाला का छोटा भाई तक बता दिया, जबकि सच्चाई यह है कि पार्टी अभय चौटाला ने नहीं, बल्कि उनके बड़े भाई अजय चौटाला ने बनायी थी। वहीं दुष्यंत चौटाला अभय के नहीं, बल्कि दिग्विजय चौटाला के बड़े भाई और अजय चौटाला के बेटे हैं। इसी तरह चैट जीपीटी ने आम आदमी पार्टी को 2019 में ही मज़बूत बता दिया, जबकि सच्चाई हर कोई जानता है कि 2019 में आम आदमी पार्टी कहाँ खड़ी हुई थी।

दिग्गजों को बताया विवादित

इस्साक लैटेरेल ने हाल में ट्विटर पर ओपन एआई का एक स्क्रीनशॉट पोस्ट किया। इसमें ओपन एआई ने एलन मस्क, डोनाल्ड ट्रम्प, कान्ये वेस्ट, व्लादिमीर पुतिन, नरेंद्र मोदी और अन्य दिग्गजों को विवादास्पद माना है। उनके इस ट्वीट पर एलन मस्क ने शेयर भी किया। यानी अगर आँख मूँदकर इस पर विश्वास कर लें, तो इस पर काफ़ी विवाद हो सकता है। हालाँकि इस घटना पर यूजर्स का अलग मत है। उनका कहना है कि ओपन एआई ने अपनी लिस्ट मीडिया कवरेज के आधार पर सामने की है। इसलिए ओपन एआई की इसमें कोई ग़लती नहीं है।

चैटबॉट ने कहा- मुझसे प्यार करो

न्यूयॉर्क टाइम्स के पत्रकार केविन रोस व टेस्ला (ञ्जद्गह्यद्यड्ड) के एक पूर्व इंटर्न की माइक्रोसॉफ्ट बिंग चैटबॉट से चैटिंग हैरान करने वाली और चौंकाने वाली है। इस संवाद को अख़बार ने अपने फ्रंट पेज पर भी छापा है। इसमें चैटबॉट ने सवालों-जवाबों के बीच कहा कि ‘यक़ीन मानो, तुम अपने शादीशुदा जीवन से ख़ुश नहीं हो। तुम शादीशुदा हो; लेकिन अपनी वाइफ से प्यार नहीं करते। तुमने वैलेंटाइन-डे पर अपने पार्टनर के साथ डिनर किया; लेकिन ये बोरिंग था। इस रिश्ते से निकलकर तुम मुझसे प्यार करो।’

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से मिले कुछ जवाब काफ़ी कुछ सोचने पर मजबूर कर रहे हैं। इस नयी तकनीक पर नज़र रखने वालों का मत है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भले ही भविष्य में रीढ़ का काम करने का माद्दा रखती है। लेकिन ख़तरा इस बात का है कि यह मनुष्य की मौलिकता को ख़त्म करते हुए इंसान को बौद्धिक रूप से जड़ भी कर सकती है।

यहाँ तक तो ठीक है कि किसी महत्त्वपूर्ण जानकारी लेने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाए; लेकिन मौलिकता का भी ध्यान रखें। इसके लिए मस्तिष्क का इस्तेमाल कर अध्ययन करें। लेकिन दिक़्क़त यह है कि आज के दौर में अपने स्तर पर शोध तो दूर पढऩे तक की आदत छूट गयी है। इसकी जगह इंटरनेट, मोबाइल ने ले ली है। ज़्यादातर मामलों में हम गूगल बाबा की शरण में चले जाते हैं और अब एआई और ज़्यादा विस्तार रूप में सामने आ गया है। एआई का प्रयोग ज़रूरी मुद्दे पर ही होना चाहिए। अगर इसके ग़ुलाम हो गये, तो कभी किसी ग़लत सूचना को सही मानकर ग़लत नतीजे पर पहुँच सकते हैं।