कोरोना से ज़्यादा मौतें दिखाने से भारत नाख़ुश

डब्ल्यूएचओ के मॉडलों की वैधता और डाटा संग्रह की पद्धति को बताया संदिग्ध

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट में कोरोना से मौतों का आँकड़ा सरकार के आधिकारिक आँकड़ों से क़रीब 10 गुना ज़्यादा अर्थात् 47.4 लाख बताया गया है। हालाँकि भारत ने प्रामाणिक डेटा की उपलब्धता को देखते हुए अधिक मृत्यु दर अनुमान के लिए गणितीय मॉडल के उपयोग पर कड़ी आपत्ति जतायी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ज़्यादा मृत्यु दर के आँकड़ों ने कई सवाल उठाये हैं; क्योंकि भारत का कहना है कि इस्तेमाल किये गये मॉडलों की वैधता और डेटा संग्रह की पद्धति संदिग्ध हैं।

भारत लगातार डब्ल्यूएचओ द्वारा गणितीय मॉडल के आधार पर अधिक मृत्यु दर अनुमान लगाने के लिए अपनायी गयी कार्यप्रणाली पर आपत्ति जताता रहा है। इस मॉडलिंग अभ्यास की प्रक्रिया, कार्यप्रणाली और परिणाम पर भारत की आपत्ति के बावजूद, डब्ल्यूएचओ ने भारत की चिन्ताओं पर पर्याप्त रूप से ध्यान दिये बिना अतिरिक्त मृत्यु दर अनुमान जारी किया है।

भारत ने डब्ल्यूएचओ को यह भी सूचित किया था कि भारत के रजिस्ट्रार जनरल (आरजीआई) द्वारा नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) के माध्यम से प्रकाशित प्रामाणिक डेटा की उपलब्धता को देखते हुए गणितीय मॉडल का उपयोग भारत के लिए अतिरिक्त मृत्यु संख्या पेश करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। सरकार का कहना रहा है कि भारत में जन्म और मृत्यु की पंजीकरण व्यवस्था काफ़ी मज़बूत है और दशकों पुराने वैधानिक क़ानूनी ढाँचे ‘जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम-1969’ द्वारा शासित है। नागरिक पंजीकरण डेटा के साथ-साथ आरजीआई द्वारा प्रतिवर्ष जारी किये गये नमूना पंजीकरण डेटा का उपयोग घरेलू और वैश्विक स्तर पर बड़ी संख्या में शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है।

आरजीआई एक सदी से अधिक पुराना वैधानिक संगठन है और इसे राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य रजिस्ट्रारों और देश भर में लगभग तीन लाख रजिस्ट्रारों / सब-रजिस्ट्रारों द्वारा सहायता प्रदान की जाती है। राज्यों / संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा प्रस्तुत रिपोट्र्स के आधार पर राष्ट्रीय रिपोर्ट- नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) पर आधारित भारत के महत्त्वपूर्ण आँकड़े आरजीआई द्वारा प्रतिवर्ष प्रकाशित किये जाते हैं। वर्ष 2019 के लिए इस तरह की अन्तिम राष्ट्रीय रिपोर्ट जून, 2021 में प्रकाशित हुई थी और वर्ष 2020 के लिए 3 मई, 2022 को प्रकाशित की गयी थी। ये रिपोर्ट सार्वजनिक है। भारत का दृढ़ विश्वास है कि किसी सदस्य राज्य के क़ानूनी ढाँचे के माध्यम से उत्पन्न इस तरह के मज़बूत और सटीक डेटा को ग़ैर-आधिकारिक डेटा स्रोतों के आधार पर सटीक गणितीय अनुमान से कम पर भरोसा करने के बजाय डब्ल्यूएचओ द्वारा सम्मान, स्वीकार और उपयोग किया जाना चाहिए।

भारत ने श्रेणी-1 और श्रेणी-2 देशों को वर्गीकृत करने के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा उपयोग किये गये मानदंड और धारणा में विसंगतियों (जिसके लिए एक गणितीय मॉडलिंग अनुमान का उपयोग किया जाता है) की ओर इशारा किया था और साथ ही भारत को श्रेणी-2 वाले देशों में रखने के आधार पर सवाल उठाया था। भारत ने इस तथ्य को भी रेखांकित किया था कि एक प्रभावी और मज़बूत वैधानिक प्रणाली के माध्यम से एकत्र किये गये मृत्यु डेटा की सटीकता को देखते हुए भारत श्रेणी-2 देशों में रखे जाने के योग्य नहीं है। डब्ल्यूएचओ ने आज तक भारत की दलील का जवाब नहीं दिया है।

भारत ने डब्ल्यूएचओ के स्वयं के इस स्वीकारोक्ति पर लगातार सवाल उठाया है कि 17 भारतीय राज्यों के सम्बन्ध में डेटा कुछ वेबसाइट्स और मीडिया रिपोट्र्स से प्राप्त किया गया था और गणितीय मॉडल इस्तेमाल किया गया था। यह भारत के मामले में अधिक मृत्यु दर अनुमान लगाने के लिए डेटा संग्रह की सांख्यिकीय रूप से ख़राब और वैज्ञानिक रूप से संदिग्ध कार्यप्रणाली को दर्शाता है।