उत्तर प्रदेश में सदैव राजनीतिक माहौल गर्म रहता है। बिहार में भाजपा को झटका लगने के बाद उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार थोड़ी चौकन्नी दिखायी दे रही है। ऊपर से प्रदेश के वर्तमान सबसे बड़े विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं अखिलेश यादव की सरकार में मंत्री रहे नारद राय ने ऐसा बयान दे दिया है, जिसका उत्तर भारतीय जनता पार्टी के लिए भारी पड़ गया है।
नारद राय ने समाजवादी पार्टी के सदस्यता अभियान में खुले रूप से कहा है कि जिस दिन अखिलेश यादव मन बना लेंगे, 15 दिन में सरकार गिर जाएगी। भाजपा के क़रीब 150 विधायक दु:खी हैं। मंत्री भी दु:खी हैं। उन्होंने लोगों से कहा कि आपने ब्रजेश पाठक का चेहरा देखा है, जबसे उनका ट्रांसफर बदला है तो क्या अन्दर-अन्दर घाव नहीं है? उन्होंने लोगों से यह भी कहा है कि झूठे वादे करने वाली सरकार से बचकर रहें। राय का यह संकेत सीधे-सीधे योगी सरकार की तरफ़ ही था।
पत्रकारों के प्रश्नों के उत्तर में पूर्व मंत्री ने यहाँ तक कह दिया कि हम लोग चुनाव इसलिए हार गये, क्योंकि बूथ पर हमारे काम कर रहे लोगों को डराया गया और मशीनें गड़बड़ कर दी गयीं। कर्मचारियों ने गड़बड़ करने का काम किया। अब हम समाजवादी पार्टी को मज़बूत बनाने के लिए बूथ स्तर पर 100 लोगों को सदस्य बनाएँगे। नारद राय और ने यह भी दावा किया कि 2024 में समाजवादी पार्टी की सरकार फिर बनेगी। अगले प्रधानमंत्री के प्रश्न पर नारद राय ने कहा कि देश में प्रधानमंत्री कौन होगा? यह तो हम नहीं जानते; मगर जो भी होगा, अखिलेश यादव के इशारे पर होगा।
अब चर्चा यह है कि समाजवादी पार्टी के नेता नारद राय के इस बयान को भारतीय जनता पार्टी ने भले ही दिखाने के लिए इस प्रकार अनसुना कर दिया है, मानो कुछ हुआ ही न हो। मगर सच तो यह है कि नारद राय के इस बयान ने भारतीय जनता पार्टी के धुरंधरों की नींद उड़ाकर रख दी है। इसका तात्पर्य यही है कि प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। अगर सब कुछ ठीकठाक होता, तो अब तक भारतीय जनता पार्टी के नेता नारद राय को घेर चुके होते। वास्तव में नारद राय का बयान में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में वही बेचैनी पैदा करने के लिए आया है, जो बेचैनी भारतीय जनता पार्टी दूसरे दलों की सरकार गिराने के पूर्व करती है। संदेहास्पद यह है कि नारद राय का बयान सोशल मीडिया पर $खूब वायरल हो रहा है। इतने पर भी हाज़िर जवाब भारतीय जनता पार्टी के नेता चुप हैं। इस चुप्पी पर कयास लग रहे हैं।
एक स्थानीय भाजपा नेता ने नाम न छापने की सौगंध देते हुए कहा कि भाजपा में अब हाईकमान की चलती है। योगी भी कुछ नहीं हैं। क्योंकि उत्तर प्रदेश अध्यक्ष के पद पर वह अपनी पसन्द के आदमी को नहीं बैठा पा रहे हैं। योगी कहने को सत्ता में हैं और उनकी तूती बोलती है, मगर जब कोई बड़ा निर्णय लेना होता है, तो उन्हें हाईकमान का मुँह ही ताकना पड़ता है। इसी कारण से अन्दरख़ाने मनमुटाव की स्थिति बनी हुई है। हाल यह है कि जो नेता हाईकमान के सम्पर्क में हैं और वहीं से उन्हें दिशा-निर्देश मिलता है, उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पसन्द नहीं करते; और जो नेता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ खुलकर खड़े हैं, उन्हें हाईकमान कुछ नहीं समझता। जो नेता दोनों तरफ़ के भले रहने में भलाई समझते हैं, उन्हें दोनों ही ओर से सन्देह भरी दृष्टि से देखा जाता है। भाजपा नेता के बयान से समाजवादी पार्टी के नेता की यह बात तो सच लगती है कि भाजपा के कुछ विधायक योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व से रूठे हुए हैं। मगर यह बात गले नहीं उतरती कि 150 विधायक अखिलेश यादव के सम्पर्क में हैं और अखिलेश जब चाहें योगी सरकार को गिराकर अपनी सरकार बना सकते हैं। मगर यह एक कोरी अफ़वाह है, यह दावा भी नहीं किया जा सकता। क्योंकि राजनीति में कोई भी हलचल तभी होती है, जब किसी दिशा में हवा बहती हो। भाजपा में बह रही अनबन की हवा कितनी तेज़ बह रही है? इसका अनावरण तो तभी सम्भव है, जब उत्तर प्रदेश में नये भाजपा अध्यक्ष की घोषणा होगी।