कांग्रेस की तैयारी
पार्टी ज़मीनी मुद्दों पर लड़ेगी आगामी विधानसभा चुनाव और 2024 का लोकसभा चुनाव
दीपक बल्यूटिया
कांग्रेस का 85वाँ महाधिवेशन ख़त्म हो गया है। इस महाधिवेशन में रायपुर डिक्लेरेशन के नाम से शीर्ष नेतृत्व ने कई निर्णय लिये हैं। माना जा रहा है कि इससे न केवल कांग्रेस ने 2024 में होने वाले आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है, बल्कि उसके भविष्य का रास्ता भी प्रशस्त होगा। सही मायने में भाजपा विपक्षी दलों पर हमलावर है, जिसमें कांग्रेस सबसे ज़्यादा निशाने पर है; क्योंकि भाजपा जानती है कि देश में अगर कोई पार्टी पूरी तरह से भाजपा को टक्कर दे सकती है और कभी भी सत्ता में वापसी कर सकती है, वह सिर्फ़ और सिर्फ़ कांग्रेस है।
भाजपा को अच्छी तरह पता है कि कांग्रेस ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के माध्यम से कन्याकुमारी से लेकर जम्मू-कश्मीर तक पूरे भारत से लोगों का जो समर्थन हासिल किया है, उससे उसकी सीटें 2024 में फिर बढ़ेंगी। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस अचानक सत्ता में वापसी करेगी। यही वजह है कि भाजपा ने कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को भी रोकने की पूरी कोशिश की थी। लेकिन राहुल गाँधी के दृढ़ संकल्प और लोगों के समर्थन से भारत जोड़ो यात्रा पूर्ण हुई। अब कांग्रेस राजनीतिक एंगल से अपनी आगे की मुहिम में जुट गयी है, जो भाजपा के लिए बेचैनी का कारण बन रही है।
रायपुर महाधिवेशन में पारित हुए प्रस्ताव कांग्रेस पार्टी के लिए 2023 के विधानसभा चुनावों और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में महत्त्वपूर्ण साबित होंगे। इससे देश के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार होगा। कांग्रेस ने रायपुर डिक्लेरेशन में साफ़ कर दिया है कि वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की ‘फूट डालो और राज करो’ की राजनीति का मुखर विरोध करती रहेगी। कांग्रेस ने कहा कि पार्टी हमेशा भाजपा के सत्तावादी, सांप्रदायिक और क्रोनी पूँजीवादी हमले के ख़िलाफ़ अपने राजनीतिक मूल्यों की रक्षा के लिए लड़ेगी। रायपुर अधिवेशन इस मामले में भी महत्त्वपूर्ण रहा कि कांग्रेस के संविधान में छ: बड़े संशोधन किये गये। इन संशोधनों के मुताबिक, कांग्रेस राजनीति में एससी / एसटी, आदिवासी, पिछड़ों महिलाओं और अल्पसंख्यक समुदाय को उचित भागीदारी देेगी, जिससे अन्य पार्टियों को भी ऐसा करना पड़ सकता है। कांग्रेस के संशोधनों के मुताबिक, पार्टी कार्यसमिति में 50 फ़ीसदी सीटें एससी, एसटी, ओबीसी, महिला और युवा वर्ग के लोगों के लिए आरक्षित कर दी गयी हैं। निर्णय का फ़ायदा कांग्रेस को आगामी चुनावों में मिलेगा। आरक्षण के इस महत्त्वपूर्ण निर्णय से देश के सबसे ज़्यादा जनसंख्या वाले वर्गों, ख़ासतौर पर ओबीसी वर्ग को राजनीतिक तौर पर फ़ायदा होगा और देश की राजनीति में उनकी भागीदारी बढ़ेगी। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के एसटी समुदाय की भी राजनीतिक भागीदारी रायपुर महाधिवेशन में लिये गये इस निर्णय से बढ़ेगी। कांग्रेस ने इस संशोधन प्रस्ताव को ‘सामाजिक न्याय और सामाजिक बदलाव की क्रान्ति’ का नाम दिया है। पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि आने वाले समय में अपने नाम के अनुरूप ‘सामाजिक बदलाव की क्रान्ति’ साबित भी होगा।
राहुल गाँधी की कन्याकुमारी से कश्मीर तक की सफल भारत जोड़ो यात्रा ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नव ऊर्जा का संचार किया है, तो वहीं युवाओं देश के उन युवाओं, महिलाओं, किसानों समेत हर वर्ग से सीधा संवाद करने का मौक़ा दिया। दरअसल राहुल गाँधी का मक़सद पिछले नौ वर्षों में मिली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की बाँटने वाली राजनीति से युवाओं को मुक्त करते हुए भारत जोड़ो यात्रा और दूसरी योजनाओं के माध्यम से इस नफ़रत की राजनीति पर गहरी चोट करना है। इससे हाल के वर्षों में वोटर बने युवाओं को राहुल गाँधी की मोहब्बत वाली राजनीति ने आकर्षित किया है।
राहुल गाँधी की बढ़ती लोकप्रियता से भाजपा घबरायी हुई है। इसलिए ही राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा जब उत्तर भारत में पहुँच रही थी तो केंद्र सरकार ने कोरोना का शिगूफ़ा छोड़ा था और पूरी सरकारी मशीनरी कैसे भी भारत जोड़ो यात्रा को स्थगित कराने के लिए जी-जान से जुट गयी थी। फिर जैसे ही कांग्रेस का रायपुर महाधिवेशन शुरू होने वाला था, उससे पहले रायपुर में कांग्रेस नेताओं पर ईडी के छापे भाजपा की हताशा को साबित करते हैं।