कांग्रेस का महिला कार्ड

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने अपने खोये हुए जनाधार को पाने के लिए जो महिला कार्ड खेला है, उससे उसके जनाधार में बदलाव आ सकता है। अभी तक राजनीतिक दल महिलाओं की राजनीति में भागीदारी को लेकर सिर्फ़ बयानबाज़ी ही करते रहे हैं। लेकिन प्रियंका गाँधी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 40 फ़ीसदी महिलाओं को टिकट देने की घोषणा करके देश के राजनीतिक आकाओं को साफ़ सन्देश दे दिया है कि अब कांग्रेस राजनीतिक समीकरणों में बदलाव लाना चाहती है। उत्तर प्रदेश में ही नहीं, पूरे देश में कांग्रेस की इस पहल को नयी राजनीति के तौर पर देखा जा रहा है। भले ही यह आधी आबादी के हित में है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस की इस पहल से देश में नये राजनीति समीकरण बनकर उभरेंगे। कांग्रेस की देखा-देखी अन्य राजनीतिक दल भी महिलाओं को टिकट देने को मजबूर हो सकते हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि भले ही आज कांग्रेस में उठा-पटक चली रही है। कुछ कांग्रेस नेता, जो पार्टी छोड़ रहे हैं; उसे डूबता जहाज़ बता रहे हैं। लेकिन कांग्रेस आलाकमान को इन बातों से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा है। पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गाँधी कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में जी-23 के नेताओं को साफ़ सन्देश दे चुकी हैं कि ‘कोई भ्रम में न रहे, मैं ही कांग्रेस अध्यक्ष हूँ।’ उनके इस सन्देश के बाद ही तय हो गया था कि कांग्रेस अपनी नीति के तहत राजनीति करेगी और उत्तर प्रदेश सहित पंजाब में जी-तोड़ मेहनत करके जनता के बीच जाएगी। तभी से कांग्रेस आक्रामक राजनीति कर रही है।

बताते चलें कि प्रियंका गाँधी उत्तर प्रदेश की सियासत पर लम्बे समय से पैनी नज़र रखे हुए हैं। किसान आन्दोलन से लेकर  हाथरस कांड, लखीमपुर खीरी कांड और उसके बाद आगरा में वाल्मीकि समाज के व्यक्ति की थाने में मौत के बाद पीडि़तों से मिलने के लिए उन्होंने जिस तरह से सत्ताधारी भाजपा से जिस तरह से लोहा लिया, उससे लोगों का रुझान प्रियंका और कांग्रेस की तरफ़ हुआ है। उत्तर प्रदेश की सियासत तीन दशक से पूरी तरह से जाति-धर्म को केंद्र में रखकर की जाती रही है और उत्तर प्रदेश से होकर ही दिल्ली की सियासत का रास्ता निकलता है। जनता के मिजाज़ को भाँपते हुए कांग्रेस ने जो महिला कार्ड खेला है, उससे प्रदेश के चुनाव परिणाम चौंकाने वाले साबित हो सकते हैं।