कमज़ोर हो रही चीनी कम्युनिस्ट पार्टी

हाल के महीनों में क़रीब 415 मिलियन लोग पार्टी से अलग हुए क्या चीन की कम्युनिस्ट पार्टी कमज़ोर हो रही है और देश के लोगों का उस पर से भरोसा उठ रहा है? ख़ुद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग हाल के कुछ महीनों में कम-से-कम दो बार चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के टूटने के ख़तरे को लेकर कहते रहे हैं। इसके पीछे एक ठोस कारण भी है। ग्रीक सिटी टाइम्स की एक रिपोर्ट में किये गये दावे के मुताबिक, सिर्फ़ जुलाई में दुनिया भर में क़रीब 415 मिलियन लोग ख़ुद को सीसीपी के असंबद्ध (अलग) कर चुके हैं। इनमें ज़्यादातर लोग सीसीपी की रेजिमेंट, टीमों और सम्बद्ध संगठनों से जुड़े थे। कुछ जानकार इसे जिनपिंग के कमज़ोर होने से जोड़ते हैं। यहाँ यह भी दिलचस्प है कि चीन के विदेश मंत्री क्विन गेंग, जिनकी लोकप्रियता हाल के समय में तेज़ी से बढ़ी है; 25 जून को अचानक ग़ायब हो गये। एक महीने के बाद चीन की सरकार यह तो नहीं बता सकी कि गेंग कहाँ ग़ायब हो गये हैं; लेकिन उनकी जगह वांग यी को विदेश मंत्री बना गिया गया। चीन में लोगों की नाराज़गी की शुरुआत कोरोना में सरकार की तरफ़ से लादी गयी पाबंदियों के समय से शुरू हुई मानी जाती है। जिनपिंग सरकार ने कोरोना के दौरान जिस जीरो-कोविड नीति को दो साल बहुत सख़्ती के साथ चलाया उसका सबसे ज़्यादा असर रोज़गार पर पड़ा। चीन के लोगों का घरों से बाहर निकलना बन्द रहा। बड़े शहर इससे ख़ासे प्रभावित हुए। यही वह दौर था, जब लोगों का कम्युनिस्ट पार्टी से मोह भंग होना शुरू हुआ। यह माना जाता है कि कोरोना के दौर के बाद ही लोग पार्टी छोडऩे लगे। दूसरे चीन के बाहर रह रहे अधिकतर चीनी भी स्वतंत्रता की हवा अपने देश में बहती देखना चाहते हैं। तीसरा कारण चीन की सत्ता देश में निजी संस्थाओं को आर्थिक तौर पर इतना ताक़तवर होना देना नहीं चाहती कि सरकार उसके सामने बौनी दिखे। जैक मा जैसे व्यापारी इसी नीति का शिकार हुए। यही कारण है चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से इतने लोगों का अलग होना शी जिनपिंग के शब्दों में भी चिन्ता के रूप में झलकने लगा है। जानकार मानते हैं कि विदेश मंत्री क्विन गेंग के अचानक ग़ायब होने से भी लोग चीन में वर्तमान नेतृत्व से नाराज़ हो सकते हैं। क्विन गेंग को बहुत-से जानकार चीन के भावी नेता के रूप में देखते रहे हैं। जानकार मानते हैं कि यदि चीन में भीतरी असन्तोष तीव्र होता है, उसके सामने भी सोवियत संघ की तरह अलग-अलग राज्यों में टूटने का ख़तरा रहेगा। ग्रीक सिटी टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर में लोगों की प्रतिक्रिया ने सीसीपी अधिकारियों को आश्चर्यचकित किया है। ग्रीक सिटी टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जिनपिंग सीसीपी के पतन के बारे में बार-बार चेतावनी जारी कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि अगर इससे जल्दी नहीं निपटा गया, तो मुश्किल होगी। शी जिनपिंग ने पिछले साल यंग कैडर ट्रेनिंग सेक्शन में दिये भाषण में सीसीपी के पतन के बारे में बढ़ती चिन्ता को ज़ाहिर किया था। जिनपिंग के उस भाषण के अंश हाल में सीसीपी के जर्नल सीकिंग ट्रुथ में प्रकाशित किया गया है। जिनपिंग ने भाषण में चीनी विशेषताओं के तहत माक्र्सवाद और साम्यवाद की मान्यताओं को बनाये रखने के महत्त्व पर ज़ोर दिया था। सीसीपी की चिन्ता चीन की बिगड़ती आंतरिक और बाहरी समस्याओं पर आधारित है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ बढ़ती प्रतिद्वंद्विता, आर्थिक और सामाजिक मोर्चे पर उसके सामने आने वाली चुनौतियों से चीन की चिन्ताएँ जुड़ी हैं। ग्रीक सिटी टाइम्स की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि लाखों लोग पार्टी (चीनी कम्युनिस्ट पार्टी) छोड़ रहे हैं, जिससे पार्टी नेतृत्व प्रभावित हुआ है। उसके मुताबिक, चीनी लोगों के बीच सीसीपी के प्रभाव में कमी का संकेत मिला है। वैसे जिनपिंग हाल में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में जिनपिंग ने ख़ुद के किसी भी कारण से किसी भी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के विरोध में होने की बात कही थी। जिनपिंग का सदस्य देशों से कहना था कि उन्हें नये शीट युद्ध के माहौल को तैयार करने वाली बाहरी ताक़तों से सावधान रहना चाहिए। ख़तरा कितना वास्तविक?