दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव मार्च-अप्रैल में होने की सम्भावना है। हालाँकि दिल्ली की दूसरी सत्ता के इन चुनावों में भले ही दो-ढाई महीने का समय बचा है और देश के पाँच राज्यों के विधानसभा चुनावों के शोर में एमसीडी के चुनावों का शोर बहुत ज़्यादा सुनायी नहीं दे रहा है; लेकिन दिल्ली की सियासत में हर रोज़ आरोप-प्रत्यारोप के हमले तेज़ होते जा रहे हैं। क्योंकि एमसीडी के चुनाव का दिल्ली की सियासत में बड़ा महत्त्व है। तभी तो एमसीडी को दिल्ली की छोटी सरकार कहा जाता है। दिल्ली की इस छोटी सत्ता में पिछले क़रीब 15 साल से भाजपा का क़ब्ज़ा है। लेकिन इस बार कयास लगाये जा रहे हैं कि जनता एमसीडी में भी सत्ता-परिवर्तन चाहती है। फ़िलहाल जनता के रूख़ और पार्टियों की तैयारियाँ क्या हैं? इन्हीं पहलुओं पर विशेष संवाददाता राजीव दुबे की पड़ताल :-
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को सन् 2012 में तीन भागों में बाँटा गया था, तब पूर्वीनगर निगम, उत्तरी दिल्ली नगर निगम और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम स्थापित किये गये थे; ताकि जनता के अपने काम करवाने के लिए कोई दिक़्क़त न हो। उसके बाद से तीनों नगर निगमों पर भाजपा का क़ब्ज़ा है। सन् 2012 से एमसीडी में कांग्रेस हासिये पर है। सन् 2017 में हुए एमसीडी की 272 सीटों के चुनाव में भाजपा ने 181 सीटें जीतीं, जबकि आप पार्टी ने 49 जीतीं और कांग्रेस सिमट कर 31 सीटों पर ही जीत दर्ज करा सकी। बताते चलें कि जब आम आदमी पार्टी (आप) का उदय नहीं हुआ था, तब एमसीडी के चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुक़ाबला होता था। लेकिन सन् 2017 में आम आदमी पार्टी ने पहली बार चुनाव लडक़र 49 सीटों के साथ खाता खोलकर एमसीडी की सियासत में नये समीकरणों को जन्म दिया।
इसके बाद सन् 2021 में एमसीडी के उपचुनाव में पाँच में चार सीटें जीतकर आम आदमी पार्टी ने यह साबित कर दिया कि एमसीडी के होने वाले 2022 चुनाव में वह जीत हासिल कर सकती है। क्योंकि इस बार 2022 में एमसीडी के चुनाव के पूर्व ही माहौल और मिजाज़ बदला-बदला सा नज़र आ रहा है। उसको लेकर जानकारों का कहना है कि आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच मुक़ाबला हो सकता है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता का कहना है कि इस बार एमसीडी में भाजपा 2017 के मुक़ाबले ज़्यादा सीटों पर जीत दर्ज करेगी। क्योंकि आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली में है, जिससे जनता काफ़ी नाराज़ है। क्योंकि एमसीडी को जो बजट दिल्ली सरकार से मिलना चाहिए। उसको दिल्ली सरकार ने रोका है। इससे एमसीडी के काम-काज में बाधा आयी है। जनता को आप पार्टी की सरकार मुफ़्त की राजनीति कर गुमराह कर रही है। जनता आम आदमी पार्टी की जन विरोधी नीतियों को समझ गयी है। आम आदमी पार्टी काम नहीं कर पाती है, तो उसका आरोप केंद्र सरकार पर लगाती है। और जब केंद्र की भाजपा सरकार काम कर देती है, तो आप पार्टी उस काम पर अपनी फोटो लगाकर विज्ञापनबाज़ी करती है। उनका कहना है कि आम आदमी पार्टी ने हर काम में रोड़ा लगाया है, जिससे एमसीडी में विकास कार्य बाधित हुए हैं। एमसीडी के चुनाव में जनता आम आदमी पार्टी को सबक़ सिखाएगी।
वहीं भाजपा के नेता दीपक कुमार का कहना है कि आम आदमी पार्टी के नेता एक समय कहते थे कि वे किसी भी ऐसे दल से समझौता व उनका समर्थन नहीं करेंगे, जिस पर भ्रष्टाचार के आरोप हो। लेकिन जनता सब देख रही है। आम आदमी पार्टी अपनी महात्त्वाकांक्षी के चलते सिर्फ़ भाजपा का विरोध करने लिए सभी अन्य दलों का समर्थन कर रही है, जिसको जनता बख़ूबी जान-समझ रही है। उनका कहना है कि दिल्ली में विकास कार्य ठप पड़े हैं। एमसीडी के तहत जो भी काम हो रहा है, वो ही दिख रहा है; अन्यथा कुछ भी नहीं हो रहा है।
वहीं आम आदमी पार्टी का कहना है कि 2022 के एमसीडी के चुनाव में भाजपा का सूपड़ा होगा। क्योंकि जिस क़दर भाजपा ने भ्रष्टाचार किया है और कर रही है; उसका हिसाब जनता चुनाव में लेगी। एमसीडी के तहत आने वाले स्कूलों और अस्पतालों की हालत किसी से छिपी नहीं है। आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज का कहना है कि निगम के स्कूलों में सिर्फ़ काग़ज़ों पर बच्चों की संख्या बढ़ रही है। एमसीडी ने लगभग 100 स्कूलों को बन्द कर दिया है; जबकि दिल्ली सरकार ने स्कूलों का विस्तार किया है। आम आदमी पार्टी के नेता और टीचर विंग के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन का कहना है कि दिल्ली एमसीडी के अस्पतालों में बड़ा भ्रष्टाचार है। दिल्ली के लोग जब मकान बनवाते हैं, तब अनापत्ति प्रमाण पत्र के दौरान, जो एमसीडी में चढ़ावा चढ़ता है; उससे लोगों में भारी नाराज़गी है। एमसीडी में चुनाव जीतने के बाद आम आदमी पार्टी सबसे फैले भ्रष्टाचार को समाप्त करेगी। क्योंकि दिल्ली वालों को एमसीडी में काम करवाने के नाम पर जो पैसा देना होता है, उससे लोगों की मेहनत की कमायी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है। इस भ्रष्टाचार को बन्द करना है।