पिछले दिनों बाराबंकी की शिवदेवी मिश्रा के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के बचत (सेविंग) खाते से क़रीब सवा दो लाख और उनके पति अनुराग मिश्रा के उसी बैंक में एसबीआई खाते से क़रीब इतनी ही बड़ी रक़म उड़ा ली गयी। पुलिस और बैंक वालों से जब इसकी शिकायत की गयी, तो उन्होंने यह कहते हुए हाथ खड़े कर दिये कि जिस बैंक खाते में आपकी रक़म स्थानांतरित (ट्रांसफर) हुई है, वह झारखण्ड का है और उस खाते में कोई धनराशि (बैलेंस) नहीं है। यानी पैसे की वसूली (रिकवरी) की कोशिश नहीं की गयी। शिवदेवी मिश्रा और अनुराग मिश्रा आज भी परेशान घूम रहे हैं और उनकी कोई मदद नहीं कर रहा है। इसी वजह से साइबर अपराधियों के हौसले बढ़े हुए हैं और वे शिवदेवी तथा अनुराग मिश्रा की तरह ही गाँवों से शहरों तक के लोगों को बेखौफ़ लगातार अपना शिकार बना रहे हैं।
भारत में पिछले साल 11.8 फ़ीसदी साइबर अपराध बढ़े हैं। यह बात ख़ुद भारत सरकार के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आँकड़ों से सामने आयी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में साल 2020 में साइबर अपराध के 50,035 मामले दर्ज किये गये, जो कि साल 2019 की अपेक्षा 11.8 फ़ीसदी ज़्यादा हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि साल 2020 में ऑनलाइन बैंकिंग धोखाधड़ी के 4,047 मामले, ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) धोखाधड़ी के 1,093 मामले, क्रेडिट और डेबिट कार्ड धोखाधड़ी के 1,194 मामले तथा एटीएम से धोखाधड़ी के 2,160 मामले दर्ज किये गये। वहीं इस एक साल में सोशल मीडिया पर फ़र्ज़ी सूचना के 578 मामले सामने दर्ज कराये गये। इसी प्रकार ऑनलाइन परेशान करने या महिलाओं एवं बच्चों को साइबर धमकी से जुड़े 972 मामले, फ़र्ज़ी प्रोफाइल के 149 मामले और आँकड़ों की चोरी के 98 मामले सामने आये। गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाले एनसीआरबी के आँकड़ों के मुताबिक, देश में साइबर अपराध की दर प्रति एक लाख पर 2019 की 3.3 फ़ीसदी दर से बढ़कर 2020 में 3.7 फ़ीसदी हो गयी, जिसके 2021 में और बढऩे की आशंका है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में साल 2018 में साइबर अपराध के 27,248 मामले दर्ज हुए थे, जबकि साल 2019 में 44,735 मामले दर्ज हुए थे। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 में दर्ज 50,035 साइबर अपराधों में से 30,142 यानी 60.2 फ़ीसदी साइबर अपराध फ़र्ज़ीवाड़े से सम्बन्धित दर्ज हुए।
अन्य अपराधों के आँकड़े
साइबर अपराध के अलावा यौन उत्पीडऩ के 3,293 यानी 6.6 फ़ीसदी मामले और अवैध उगाही के 2,440 यानी 4.9 फ़ीसदी मामले दर्ज किये गये। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 में देश में 29,193 हत्याएँ हुईं, जिनकी संख्या हर रोज़ औसतन 80 रही। कुल अपराधों की बात करें, तो साल 2019 के मुक़ाबले साल 2020 में 28 फ़ीसदी अपराध बढ़े। साल 2020 में देश में अपराध के कुल 66,01,285 मामले दर्ज हुए, जबकि साल 2019 में 51,56,158 मामले दर्ज हुए थे। यानी साल 2019 की अपेक्षा साल 2020 में अपराध के 14,45,127 मामले ज़्यादा दर्ज किये गये।
प्रदेशों की स्थिति
एनसीआरबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि साइबर अपराध के सबसे ज़्यादा 11,097 मामले उत्तर प्रदेश के हैं। इसके बाद कर्नाटक साइबर अपराध में दूसरे और महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर हैं, जहाँ क्रमश: 10,741 और 5,496 मामले साल 2020 में दर्ज हुए। वहीं तेलंगाना में 5,024 मामले, असम में 3,530 मामले दर्ज हुए। बलात्कार के मामले में राजस्थान की स्थिति बहुत ख़राब है और आदिवासियों, दलितों व महिलाओं के ख़िलाफ़ अत्याचारों में मध्य प्रदेश की स्थिति ठीक नहीं है। तो उत्तर प्रदेश दबे-कुचलों, महिलाओं पर अत्याचार और हत्याओं के मामले में आगे रहा है। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने एनसीआरटी के आँकड़ों को ही नकार दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि प्रदेश में अपराधों पर नियंत्रण हुआ है। प्रदेश की जनसंख्या के लिहाज़ से पूरे देश की तुलना में यहाँ अपराध के आँकड़े कम हैं। सरकार ताबड़तोड़ एनकाउंटर और रासुका जैसे कड़े क़ानून का इस्तेमाल अपराधियों और अपराध पर लगाम कसने के लिए लगातार कर रही है। वहीं मध्य प्रदेश में अपराधों को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ सिंह ने सरकार को घेरा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, हत्या के मामले उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहा। उसके बाद क्रमश: बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में हत्याएँ हुईं। वहीं राजधानी दिल्ली में साल 2020 में 472 हत्याएँ हुईं।