एक सीडी की एबीसीडी

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रायपुर के इंदिरा प्रियदर्शिनी सहकारी बैंक में छह साल पहले हुए घोटाले की जांच से जुड़ी एक सीडी सार्वजनिक होने के बाद छत्तीसगढ़ में चुनावी सरगर्मियां अचानक बढ़ गई हैं. यह सीडी बैंक के पूर्व मैनेजर उमेश सिन्हा के नार्को टेस्ट की है. रायपुर के जिला सत्र न्यायालय ने 2007 में उमेश के नार्को टेस्ट का आदेश दिया था. हालांकि सीडी कभी अदालत में पेश नहीं की गई. तब से राज्य में इस बात की चर्चा थी कि इसमें कुछ प्रभावशाली लोगों के नाम हैं इसलिए इसे दबा दिया गया. यह बात बीती 20 जुलाई को उस समय साबित हो गई जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल और प्रवक्ता शैलेष नितिन त्रिवेदी ने राजधानी स्थित पार्टी कार्यालय में यह सीडी सार्वजनिक की. इसमें उमेश को यह कहते हुए देखा जा सकता है कि उसने मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और उनकी कैबिनेट के चार मंत्रियों ब्रजमोहन अग्रवाल, अमर अग्रवाल, राजेश मूणत और रामविचार नेताम को एक-एक करोड़ रुपये की घूस दी है. साथ में उमेश ने राज्य के पूर्व डीजीपी को भी एक करोड़ रुपये देने की बात कबूली है.

सीडी उजागर होने के बाद कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री और संबंधित चार मंत्रियों के इस्तीफे की मांग को लेकर राज्य भर में आक्रामक प्रदर्शन शुरू कर दिया. लेकिन उस प्रदर्शन की धमक उस समय कुछ कम हो गई जब सीडी खुलासे के दो दिन बाद ही बैंक की पूर्व अध्यक्ष रीता तिवारी खुद सरकार के बचाव में आ गईं. उन्होंने मीडिया में जारी अपने बयान में दावा किया कि नार्को टेस्ट में उमेश ने फर्जी बयान दिया है. यह बयान आने के बाद कांग्रेस और आक्रामक हो गई. शैलेष कहते हैं, ‘ यह तो हद हो गई कि अब सरकार खुद को बचाने के लिए घोटाले की प्रमुख सूत्रधार से प्रमाणपत्र ले रही है.’ इस पूरे मामले का सबसे दिलचस्प पक्ष यह है घोटाले में मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों पर भले ही आरोप लग रहे हों लेकिन इस सहकारी बैंक के सभी प्रमुख पदों पर कांग्रेस से संबंधित व्यक्ति काबिज थे और सभी आरोपित पार्टी से जुड़े हुए हैं. कांग्रेस की खीज की एक बड़ी वजह यह है कि बैंक की पूर्व अध्यक्ष रीता तिवारी भी पार्टी से ही संबंधित हैं. उनके ससुर पूर्व सांसद रामगोपाल तिवारी एक समय राज्य के दिग्गज कांग्रेसी नेता रहे हैं. कहा जा रहा है कि रीता तिवारी के पति हर्षवर्धन तिवारी को सरकार ने किसी सरकारी विभाग के प्रमुख का पद देने का वादा किया है और इसी वजह से वे भाजपा के पाले में आ गई हैं.

इस मामले में चूंकि पूर्व डीजीपी का नाम भी आया था इसलिए पुलिस ने भी तुरत-फुरत सफाई दे दी. छत्तीसगढ़ के पुलिस प्रवक्ता जीपी सिंह कहते हैं कि मामले में गिरफ्तार 13 अभियुक्तों में से किसी ने उमेश की बात की पुष्टि नहीं की थी इसलिए सीडी को अदालत में बतौर सबूत पेश नहीं किया गया. इधर सीडी मसले पर राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रजमोहन अग्रवाल कहते हैं,  ‘यह सीडी फर्जी है. चुनावी साल में कांग्रेस के पास कोई मुद्दा नहीं है इसलिए वह झूठे मामले उठा रही है.’

रीता तिवारी के सरकार के बचाव में आने के बाद भी इस पूरे मामले में कांग्रेस का पलड़ा कुछ भारी है. उसके नेताओं का दावा है कि झीरम घाटी में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर हमले की संभावित वजह भी यह खुलासा हो सकता है. पार्टी नेताओं का कहना है कि परिवर्तन यात्रा में शामिल कुछ वरिष्ठ नेता इस मामले से जुड़े खुलासे करने वाले थे इसलिए एक साजिश के तहत उनकी हत्या करवा दी गई. शैलेष बताते हैं, ‘झीरम घाटी में कांग्रेस के काफिले पर नक्सली हमले के दो दिन पहले हमारी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल के बेटे दिनेश ने मुझे एसएमएस करके बताया था कि वे 15 जून को एक बड़ा खुलासा करने वाले हैं. वे यही खुलासा करने वाले थे लेकिन एक साजिश के तहत उनकी हत्या कर दी गई.’ यह मामला इस समय राजनीतिक दांवपेचों के कारण दोबारा से चर्चा में आ गया है लेकिन बीते सालों में हुई इसकी जांच अपने आप में कई सवालों के घेरे में है.

घोटाला और मनमर्जी की पुलिस जांच

1 COMMENT

  1. sach to yah hai ki hamare hukmran jis janta ke hit-chintak hone ka dava karte hain, usi janta ke karodon rupye indira bank men dubne ke baad bhi janta ki sudh lene ki jahmat kisi ne bhi nahin ki..!

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