उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2021

बढ़ रही हैं सत्तापक्ष की मुश्किलें

उत्तर प्रदेश में सियासत रोज़ करवट बदलती नज़र आ रही है। हर रोज़ एक नयी मुसीबत और नये-नये हंगामों के चलते न सत्तपक्ष चैन से बैठ पा रहा है और न विपक्षी दलों को क़रार आ पा रहा है। दोनों ही तरफ़ कुर्सी को पाने की तड़प इस क़दर है कि दोनों ही तरफ़ के लोग एक-दूसरे को दबाने और जनता में एक-दूसरे की छवि का ख़राब पहलू उजागर करने की कोशिश में परेशान हैं। इसकी वजह यह भी है कि योगी सरकार में एक के बाद एक ऐसी कई घटनाएँ अब तक घट चुकी हैं, जिन पर विपक्षी दलों को गरजना वाजिब है।

जनता ने भी योगी सरकार की ख़ामियों को काफ़ी क़रीब से देखा, फिर भी ख़ामोश रही। इसकी एक वजह यह भी है कि संख्या में ज़्यादा हिन्दुओं ने राम मंदिर के निर्माण का श्रेय योगी को देते हुए उनकी ओर झुकाव बरक़रार रखा है। यही वजह रही कि योगी सरकार एक अहं में घिर गयी और सत्ता के नशे में उसे अपनी ही ग़लतियाँ नज़र नहीं आ रहीं। प्रदेश में सरकार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वालों के हनन से लेकर दबंगों के ख़िलाफ़ बोलने वालों की हत्याओं, बलात्कारों और उसके बाद कोरोना महामारी में कीड़े-मकोड़ों की तरह लोगों के मरने के बावजूद लोगों ने धैर्य नहीं खोया। परन्तु इस बार पुलिस द्वारा होटल में जाकर तलाशी के नाम पर कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता (36) की हत्या और उसके बाद एक मंत्री के बेटे द्वारा अपनी गाड़ी से किसानों को कुचल देने की घटना ने पुराने जख़्मों को भुला बैठे लोगों को फिर से ग़ुस्से से भर दिया है। विशेषतौर पर किसानों की कार से कुचलकर की गयी हत्या ने जहाँ सत्ता पक्ष को बेतहाशा डरा दिया है; वहीं विपक्षी दलों को कुर्सी की राह बहुत आसान दिखने लगी है। विपक्ष को नेताओं की गिरफ़्तारी ने और मज़बूत कर दिया है। इसमें प्रियंका गाँधी की गिरफ़्तारी से उनका पलड़ा कुछ ज़्यादा ही भारी हुआ है। हादसे वाली जगह का दौरा करने और पीडि़तों से मिलने जाने की उनकी ज़िद और उन्हें वहाँ न जाने देने की सरकार की हनक ने उनकी गिरफ़्तारी को अंजाम दे डाला, जिससे लोग प्रियंका गाँधी और कांग्रेस के पक्ष में आने शुरू हो गये। परन्तु सत्तपक्ष का यह अहं ही कहा जाएगा कि उसने मृतक किसानों के परिवारों को 45 लाख का मुआवज़ा देने की घोषणा करके और उनकी माँगें मानकर ऐसे समझ लिया कि मानों कुछ हुआ ही न हो। इसी वजह से आरोपियों पर कार्रवाई करने के बजाय वह लम्बे समय तक अकड़ में तनी रही और घटनास्थल पर जाने की कोशिश करने वाले विपक्षी दलों के नेताओं की गिरफ़्तारी में लग गयी। शंका है कि यही अकड़ कहीं भारतीय जनता पार्टी की नाव न डुबो दे। क्योंकि किसान आन्दोलन के चलते किसानों का ग़ुस्सा पहले ही भाजपा के प्रति कम नहीं था, उस पर गन्ना किसानों को योगी ने नाख़ुश कर दिया और इसके बाद कार से आन्दोलनकारी किसानों को कुचलने की घटना ने लोगों में भी आक्रोश ही पैदा किया है। अब एक ऐसा धड़ा, जो अन्दर-ही-अन्दर कुछ गरम और कुछ नरम वाली स्थिति में था; लगभग भड़कने लगा है और सरकार की ख़ामियों पर तीखी नज़र फेरकर ज़ुबानी हमले कर रहा है।

भाजपा में भी विरोध

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भले ही अपनी तारीफ़ में क़सीदे पढ़ रही हो, परन्तु हक़ीक़त यह है कि विपक्षी दल ही नहीं, बल्कि भाजपा के लोग भी अपनी ही सरकार के विरोध में बोल रहे हैं। लखीमपुर खीरी में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत को लेकर घिरी योगी सरकार पर पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गाँधी ने निशाना साधा है। वरुण के अपनी ही सरकार के विरोध में मुखर होने से भाजपा में दो गुट साफ़ नज़र आने लगे हैं। हालाँकि वरुण गाँधी के अलावा कुछ भाजपा नेता दबी ज़ुबान से सरकार की कमियों की निंदा कर रहे हैं। यह कोई नयी बात नहीं है, पिछले समय में कई भाजपा विधायकों ने अपनी ही सरकार पर हनन के आरोप लगाये। वरुण गाँधी भी पहली बार विरोध नहीं कर रहे हैं। उन्होंने सरकार की कमियों और ग़लत नीतियों के विरोध में हमेशा ही बाग़ी तेवर अपनाये हैं और हर बार उन्होंने योगी आदित्यनाथ को चिट्ठियाँ लिखकर उनकी सरकार की कमियाँ उजागर की हैं। चाहे वो लखीमपुर खीरी का मामला हो, चाहे गन्ने के दामों में 25 रुपये प्रति कुंतल की मामूली बढ़ोतरी हो। उन्होंने हर बार सरकार की नीतियों की खुली आलोचना करते हुए विरोध प्रकट किया है। यहाँ तक वरुण गाँधी किसानों के पक्ष में साफ़तौर पर खड़े नज़र आये हैं। उन्होंने तो मुज़फ़्फ़रनगर में हुई महापंचायत को लेकर किसानों का समर्थन तक किया था। लखीमपुर खीरी मामले से जुड़ा एक वीडियो ट्वीट करके वरुण गाँधी ने लिखा कि लखीमपुर खीरी में किसानों को गाडिय़ों से जानबूझकर कुचलने का यह वीडियो किसी की भी आत्मा को झकझोर देगा। पुलिस इस वीडियो का संज्ञान लेकर इन गाडिय़ों के मालिकों, इनमें बैठे लोगों और इस प्रकरण में संलिप्त अन्य व्यक्तियों को चिह्नित कर तत्काल गिरफ़्तार करे। अपनी ही सरकार के विरोध में उठे वरुण गाँधी के इन शब्दों ने लाखों लोगों को एक ही झटके में योगी सरकार के ख़िलाफ़ खड़ा कर दिया, जिससे योगी सरकार और शायद केंद्र सरकार भी उनसे ख़ासी नाराज़ है। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूची से वरुण गाँधी और उनकी माँ मेनका गाँधी को हटाना इसका संकेत है।

क्यों झुकी सरकार?