उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार अपनी छवि चमकाने का हर सम्भव प्रयास कर रही है। प्रदेश में बढ़ते अपराध एवं महँगाई की ओर भले ही उनका ध्यान न हो, मगर योगी आदित्यनाथ लोगों में ऐसा सन्देश देना चाहते हैं कि वह जनता के लिए काम कर रहे हैं। इस बार जब योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों के लिए योगी ने एक एक करके कई योजनाओं की घोषणा कर डाली। योगी की इन योजनाओं में ग्रामीण क्षेत्रों में तालाबों का पुनरुद्धार, पौधरोपण एवं ग्रामीण क्षेत्रों में ही घर घर में टंकी का पानी पहुँचाने की योजनाएँ प्रमुख हैं।
योगी सरकार की ये तीनों ही योजनाएँ कब तक पूर्ण होंगी एवं उनसे ग्रामीणों को कितना लाभ होगा, यह तो योजनाओं के पूर्ण होने के बाद ही पता चलेगा; मगर वर्तमान में तीनों ही योजनाओं पर काम हो रहा है। मिलक क्षेत्र के एक अधिकारी ने बताया कि कई गाँवों में टंकियाँ बनकर तैयार हो चुकी हैं, जबकि कई गाँवों में बोरिंग हो चुके हैं अथवा हो रहे हैं। यह काम शीघ्रता के साथ पूरे प्रदेश में चल रहा है, ताकि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए शुद्ध पानी उपलब्ध कराया जा सके। मीरगंज क्षेत्र के कुछ गाँवों के लोगों ने कहा कि उनके यहाँ 40 फुट से लेकर 70 फुट तक पानी प्रदूषित हो चुका है। इस पानी को थोड़ी देर भी रख दो, तो पीला पड़ जाता है। गहरा बोरिंग कराने में लगभग 60 से 70,000 रुपये लगते हैं। ऐसे में यदि सरकारी टंकी लगती है तथा घर-घर स्वच्छ पेयजल मिलने लगेगा, तो अच्छा रहेगा।
एक गाँव की ग्राम प्रधान के पति प्रदीप ने बताया टंकियों के निर्माण के बाद लगभग दो किलोमीटर लम्बी पाइप लाइन बिछायी जाएगी। अभी तो कुछ जगह टंकियाँ बन चुकी हैं। कुछ जगह बोरिंग हो गये हैं। कुछ जगह होने हैं; तो कुछ जगह पाइप लाइन बिछायी जा रही है। इस योजना से हर घर के दरवाज़े पर पानी की टोंटी लगेगी। टंकियाँ लगने का कार्य सरकारी भूमि पर हो रहा है। अभियंता, क्षेत्रीय अधिकारी, लेखपाल, ग्राम प्रधान भूमि की सीमांकन कर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। टंकियाँ लगने के बाद इन्हें चलाने के लिए नियुक्तियाँ की जाएँगी तथा जो लोग इन्हें चलाएँगे, उनको राज्य वित्त आयोग से प्राप्त धनराशि में से मनरेगा के वित्त कोष में से ग्राम प्रधान के माध्यम से 2,000 रुपये महीने का भत्ता दिया जाएगा।
गाँव-गाँव में पानी की टंकियाँ लगने की कुछ लोग प्रशंसा कर रहे हैं, तो कुछ लोग इसे भविष्य में घाटे का सौदा बताकर इसकी निंदा कर रहे हैं। गुलडिय़ा गाँव के गोविंद शर्मा का कहना है कि इससे ग्रामीणों को पीने योग्य पानी मिलने की सम्भावना है, मगर किस मूल्य पर? प्रश्न तो यह है। ठिरिया निवासी हरीश गंगवार कहते हैं कि गाँव में टंकियों से पानी लेने की ज़रूरत तो तब होती, जब यहाँ पानी की कमी होती। यहाँ तो जहाँ भी बोरिंग करो, वहीं पानी है। हर घर में नल लगे हुए हैं। लगभग 35-40 फ़ीसदी लोगों के यहाँ तो पानी की मोटर लगी हुई हैं। इसलिए जहाँ पानी की कमी है, वहाँ सरकार को पानी पहुँचाना चाहिए। ऐसी योजनाएँ कारगर नहीं होती हैं।
प्रदेश में भूजल की स्थिति
उत्तर प्रदेश में भूमिजल की निकासी बड़ी मात्रा में होती है। इसकी वजह यह है कि प्रदेश में कृषि क्षेत्र 694.35 लाख हेक्टेयर है, जबकि मानव निवास क्षेत्र इसके सातवें हिस्से से भी कम है। मगर उत्तर प्रदेश में घटता भूजल एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आ रहा है। प्रदेश के कई स्थानों पर पानी की समस्या पैदा हो रही है। बुंदेलखण्ड में पानी की कमी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। ऐसे स्थानों पर पानी की व्यवस्था करने का प्रयास सराहनीय है। मगर प्रश्न यह है कि जहाँ भूमि में जल ही नहीं है अथवा अत्यधिक गहराई में है, वहाँ टंकियों के माध्यम से योगी सरकार पानी की व्यवस्था कैसे करेगी?
कुल मिलाकर टंकियाँ लगने की कार्ययोजना वर्ष 2021 में ही बन गयी थी। इसके तहत भूजल के प्रभावी प्रबन्धन हेतु भूगर्भ जल विभाग को प्रदेश की भूजल सम्पदा के सर्वेक्षण, अनुसंधान, नियोजन, विकास एवं प्रबंधन के लिए उत्तरदायी बनाया गया था। इस योजना में भूजल दोहन पर नियंत्रण, भूजल संरक्षण एवं जल संचय करने की व्यवस्था है। अब उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल (प्रबंधन और विनियमन) अधिनियम-2019 बनने के बाद इस पर पिछले छ:-सात महीने से युद्धस्तर पर काम हो रहा है।
भूजल दोहन पर लगेगा प्रतिबंध?
एक ग्राम प्रधान ने नाम प्रकाशित न करने की प्रार्थना करते हुए बताया कि यह सरकार आम लोगों से उन संसाधनों छीन लेना चाहती है, जिन पर उसका जन्मसिद्ध अधिकार है। भाजपा सरकार अगर सीधे-सीधे भूजल दोहन पर रोक लगाएगी, तो इसका विरोध होगा और सरकार गिर जाएगी अथवा उसे भविष्य में कोई नहीं चुनेगा। इसलिए उसने गाँव-गाँव में टंकियाँ लगानी शुरू कर दी हैं। इसे ग्रामीण लोग विकास समझ रहे हैं, किन्तु प्रदेश के भोले-भाले लोगों को नहीं पता कि भविष्य में वे भूमि से पानी नहीं निकाल सकेंगे। क्योंकि सरकार की योजना यही है कि आम लोगों, विशेषकर किसानों द्वारा भूजल दोहन पर रोक लगायी जाए; तथा उन्हें जब पानी की आवश्यकता हो, तो वे पानी सरकार से मोल लें। ऐसे में तत्काल की प्रसन्नता जीवन भर का रोना बन सकती है।